गीत - Open Books Online
2024-03-29T13:23:17Z
https://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:406044?groupUrl=maithilisahitya&commentId=5170231%3AComment%3A687721&groupId=5170231%3AGroup%3A10464&feed=yes&xn_auth=no
आदरणीय जगदानंद झा 'मनु'जी , र…
tag:openbooks.ning.com,2015-08-10:5170231:Comment:687553
2015-08-10T05:13:11.709Z
kanta roy
https://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
आदरणीय जगदानंद झा 'मनु'जी , रचना बड्ड नीक लिखलहूँ । एकर सब आखर नीक बनल अछी मुदा गेबई कोना एकरा । आँहाक मुखरा तय भाष पर नई चैढ रहल अछी । मैथिलीक सब गीतक भाष हम गबैत छी । भगवती के गीत तय लिखलहूँ मुदा मुखरा में एकटा पाँति नीचा के होबाक चाही जे मुखरा के पकडत ....बुझना जा रहल अछी जे ईहे पाँति छूटी रहल अछी । ओना हम अपने बेसी किछो नई जनैत छी । जे बुझायल से कहलहूँ आँहाके । सादर
आदरणीय जगदानंद झा 'मनु'जी , रचना बड्ड नीक लिखलहूँ । एकर सब आखर नीक बनल अछी मुदा गेबई कोना एकरा । आँहाक मुखरा तय भाष पर नई चैढ रहल अछी । मैथिलीक सब गीतक भाष हम गबैत छी । भगवती के गीत तय लिखलहूँ मुदा मुखरा में एकटा पाँति नीचा के होबाक चाही जे मुखरा के पकडत ....बुझना जा रहल अछी जे ईहे पाँति छूटी रहल अछी । ओना हम अपने बेसी किछो नई जनैत छी । जे बुझायल से कहलहूँ आँहाके । सादर
भाई संजयजी, पाण्डेयजी कहबाक स…
tag:openbooks.ning.com,2015-08-09:5170231:Comment:687721
2015-08-09T18:08:51.162Z
Saurabh Pandey
https://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई संजयजी, पाण्डेयजी कहबाक स्थानऽप अहाँ जे सौरभजी लिखू त सेहो नीक हेत.</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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<p>भाई संजयजी, पाण्डेयजी कहबाक स्थानऽप अहाँ जे सौरभजी लिखू त सेहो नीक हेत.</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
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सुन्नर, जगदानन्द जी
tag:openbooks.ning.com,2015-08-09:5170231:Comment:687479
2015-08-09T12:14:47.139Z
SANJAY KUMAR JHA
https://openbooks.ning.com/profile/SANJAYKUMARJHA
<p>सुन्नर, जगदानन्द जी </p>
<p>सुन्नर, जगदानन्द जी </p>
सादर नमन आ० पाण्डेय जी , दु …
tag:openbooks.ning.com,2015-08-09:5170231:Comment:687711
2015-08-09T12:13:38.574Z
SANJAY KUMAR JHA
https://openbooks.ning.com/profile/SANJAYKUMARJHA
<p>सादर नमन आ० पाण्डेय जी , दु वर्षक प्रवासक प्रभाव एहन ? जानि मोनक हर्ष कहबायोग्य नहि अछि । </p>
<p>सादर नमन आ० पाण्डेय जी , दु वर्षक प्रवासक प्रभाव एहन ? जानि मोनक हर्ष कहबायोग्य नहि अछि । </p>
अहाँक ई प्रत्युत्तर से हमरो म…
tag:openbooks.ning.com,2013-07-31:5170231:Comment:406249
2013-07-31T16:46:59.626Z
Saurabh Pandey
https://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>अहाँक ई प्रत्युत्तर से हमरो मोनटा प्रसन्न भेल, जगदानन्दभाई. मैथिली मुदा हम पढ़ि-लीखि सकै छी, जेक्कर हमरा कनियै संतोष अछि. अन्यथा मिथिला प्रदेस छुटनाइयो हमरा लेल २५-२८ बरस भ गेल. अध्ययनकाल में दू बरसक हम्मर प्रवास मिथिलांचले में छल.</p>
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<p>अहाँक ई प्रत्युत्तर से हमरो मोनटा प्रसन्न भेल, जगदानन्दभाई. मैथिली मुदा हम पढ़ि-लीखि सकै छी, जेक्कर हमरा कनियै संतोष अछि. अन्यथा मिथिला प्रदेस छुटनाइयो हमरा लेल २५-२८ बरस भ गेल. अध्ययनकाल में दू बरसक हम्मर प्रवास मिथिलांचले में छल.</p>
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आदरणीय Saurabh Pandeyजी सादर…
tag:openbooks.ning.com,2013-07-31:5170231:Comment:406162
2013-07-31T15:37:02.093Z
जगदानन्द झा 'मनु'
https://openbooks.ning.com/profile/1aci0yjyugur3
<p>आदरणीय <a class="fn url" href="http://www.openbooksonline.com/group/maithilisahitya/forum/topic/listForContributor?user=2hgrsx5v453xn">Saurabh Pandey</a>जी सादर प्रणाम,</p>
<p>अपनेक दिप्पणी पाबि धन्य भेलहुँ <span class="timestamp">। हम साहित्यक नव-नव विद्यार्धि छी, ताहि कारणे एकर नीक बेजए पक्षसँ अनभिक छी, मोनक उद्गार जे केखनो कए अबैत अछि ओकरा अपनेक सभक सोंझा राखि दै छी</span> <span class="timestamp"><span class="timestamp">। आगू अपनेक सभक संगतमे रहि कए गीत, गजल, कविता आदि विधाक व्याकरणक…</span></span></p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/group/maithilisahitya/forum/topic/listForContributor?user=2hgrsx5v453xn" class="fn url">Saurabh Pandey</a>जी सादर प्रणाम,</p>
<p>अपनेक दिप्पणी पाबि धन्य भेलहुँ <span class="timestamp">। हम साहित्यक नव-नव विद्यार्धि छी, ताहि कारणे एकर नीक बेजए पक्षसँ अनभिक छी, मोनक उद्गार जे केखनो कए अबैत अछि ओकरा अपनेक सभक सोंझा राखि दै छी</span> <span class="timestamp"><span class="timestamp">। आगू अपनेक सभक संगतमे रहि कए गीत, गजल, कविता आदि विधाक व्याकरणक पक्ष सिखैक चेष्टामे छी</span></span> <span class="timestamp"><span class="timestamp"><span class="timestamp">। </span> सदिखन अपनेक आशीर्वाद आ सुझाबक प्रतीक्षामे....... </span> </span></p>
हार्दिक धन्यवाद विजय मिश्रजी,…
tag:openbooks.ning.com,2013-07-31:5170231:Comment:406234
2013-07-31T15:22:58.962Z
जगदानन्द झा 'मनु'
https://openbooks.ning.com/profile/1aci0yjyugur3
<p>हार्दिक धन्यवाद <a href="http://www.openbooksonline.com/group/maithilisahitya/forum/topic/listForContributor?user=37jicf27kggmy" class="fn url">विजय मिश्र</a><span class="timestamp">जी, अपनेक विचार जानि नीक लागल । अपने एहि रचनाकेँ पशीन कएलहुँ, सादर आभार । <br/></span></p>
<p>हार्दिक धन्यवाद <a href="http://www.openbooksonline.com/group/maithilisahitya/forum/topic/listForContributor?user=37jicf27kggmy" class="fn url">विजय मिश्र</a><span class="timestamp">जी, अपनेक विचार जानि नीक लागल । अपने एहि रचनाकेँ पशीन कएलहुँ, सादर आभार । <br/></span></p>
जगतानंदजी , अतिआनन्दक अनुभूति…
tag:openbooks.ning.com,2013-07-31:5170231:Comment:405890
2013-07-31T10:11:24.023Z
विजय मिश्र
https://openbooks.ning.com/profile/37jicf27kggmy
जगतानंदजी , अतिआनन्दक अनुभूति भेल , गोसाओनगीत देखकऽ , पढ़ने भावातिरेक सेहो भेल . सब प्रबुद्ध आ कविगण जे एई तरहे योगदान करैथ तऽ ई पृष्ठ के जीवन्तता सेहो भेटत आ संसार के सब सऽ मृदुल बोल के साहित्य संसारक रस सुधीजन सब के भेटतैन से अलग स .अपने हमर साधुवाद ग्रहण करि कृतार्थ करै कऽ कृपा करी .आभार भाई जगदानन्दजी .
जगतानंदजी , अतिआनन्दक अनुभूति भेल , गोसाओनगीत देखकऽ , पढ़ने भावातिरेक सेहो भेल . सब प्रबुद्ध आ कविगण जे एई तरहे योगदान करैथ तऽ ई पृष्ठ के जीवन्तता सेहो भेटत आ संसार के सब सऽ मृदुल बोल के साहित्य संसारक रस सुधीजन सब के भेटतैन से अलग स .अपने हमर साधुवाद ग्रहण करि कृतार्थ करै कऽ कृपा करी .आभार भाई जगदानन्दजी .
भाई जगदानन्द मनुजी, मातृ-शक्…
tag:openbooks.ning.com,2013-07-31:5170231:Comment:405966
2013-07-31T09:47:33.575Z
Saurabh Pandey
https://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई जगदानन्द मनुजी, मातृ-शक्ति वास्ते मिथिलांचलक लोक सदाए सँ आग्रही रहै छथिन्ह. आदिशक्तिक सोझा निवेदनक परिक्षेत्र म पइग परम्परा अछि. कारनो स्पष्टे अछि.</p>
<p>ई प्रस्तुति प हम अहाँक बधाई आ शुभकामना बाइज रहल छी. आय बड्ड दिन भेल हम मंच पर मैथिली भासा में कोनो टटका रचना देख रहल छी. <br/><br/>किन्तु, प्रस्तुत रचना के अहाँ गीत सँ कियै सम्बोधित केलौं ? गीत लेल किछु विन्दु निर्धारित अछि नै ! मुदा, भाईजी, अहूँ बिचार करब.<br/><br/>शुभेच्छा.. .<br/><br/></p>
<p>भाई जगदानन्द मनुजी, मातृ-शक्ति वास्ते मिथिलांचलक लोक सदाए सँ आग्रही रहै छथिन्ह. आदिशक्तिक सोझा निवेदनक परिक्षेत्र म पइग परम्परा अछि. कारनो स्पष्टे अछि.</p>
<p>ई प्रस्तुति प हम अहाँक बधाई आ शुभकामना बाइज रहल छी. आय बड्ड दिन भेल हम मंच पर मैथिली भासा में कोनो टटका रचना देख रहल छी. <br/><br/>किन्तु, प्रस्तुत रचना के अहाँ गीत सँ कियै सम्बोधित केलौं ? गीत लेल किछु विन्दु निर्धारित अछि नै ! मुदा, भाईजी, अहूँ बिचार करब.<br/><br/>शुभेच्छा.. .<br/><br/></p>