आतंकवादी या अतिथि ? - Open Books Online2024-03-29T01:14:34Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:3164?commentId=5170231%3AComment%3A27464&feed=yes&xn_auth=noकभी-कभी ऐसा लगता है कि हमारी…tag:openbooks.ning.com,2012-05-10:5170231:Comment:2240582012-05-10T05:46:09.895ZBhawesh Rajpalhttps://openbooks.ning.com/profile/BhaweshRajpal
<div>कभी-कभी ऐसा लगता है कि हमारी सरकार में बैठे कुछ नेताओं का आतंकियों से कुछ रिश्ता है !</div>
<div>अपराधियों से रिश्ता तो जगजाहिर है ! गरीबों को पेट भर अन्न नसीब नहीं है और आतंकी /अपराधी </div>
<div>सरकारी दावतें उड़ा रहे हैं ! क्यों उनके ऊपर इतना खर्च किया जा रहा है ! उन्हें ऐसी बेरहम मौत देनी चाहिए ,जो </div>
<div>उन्होंने निर्दोषों को दी , और सारी दुनिया को एक सख्त सन्देश जाना चाहिए ! लेकिन मुझे आज के नेताओं में</div>
<div>ऐसी मर्दानगी नहीं दिखाई देती ! </div>
<div>कभी-कभी ऐसा लगता है कि हमारी सरकार में बैठे कुछ नेताओं का आतंकियों से कुछ रिश्ता है !</div>
<div>अपराधियों से रिश्ता तो जगजाहिर है ! गरीबों को पेट भर अन्न नसीब नहीं है और आतंकी /अपराधी </div>
<div>सरकारी दावतें उड़ा रहे हैं ! क्यों उनके ऊपर इतना खर्च किया जा रहा है ! उन्हें ऐसी बेरहम मौत देनी चाहिए ,जो </div>
<div>उन्होंने निर्दोषों को दी , और सारी दुनिया को एक सख्त सन्देश जाना चाहिए ! लेकिन मुझे आज के नेताओं में</div>
<div>ऐसी मर्दानगी नहीं दिखाई देती ! </div> नेहरू-गाँधी का भारत ऐसे सभी आ…tag:openbooks.ning.com,2011-06-22:5170231:Comment:952382011-06-22T09:43:41.788Zl.r.gandhihttps://openbooks.ning.com/profile/lrgandhi
नेहरू-गाँधी का भारत ऐसे सभी आतंकियों के लिए 'सुरक्षित स्वर्ग है- ओसामा भी यहाँ होता तो सुरक्षित होता . ह्मारे दिग्गी मियाँ जैसे कांग्रेसियों के लिए तो वह 'ओसामा जी ' है- अफ़ज़ल किी बारी आते आते कसाब तो 'कंधार पहुँच हिी जाएगा- मुस्लिम वोट का स्वाल है भाई.
नेहरू-गाँधी का भारत ऐसे सभी आतंकियों के लिए 'सुरक्षित स्वर्ग है- ओसामा भी यहाँ होता तो सुरक्षित होता . ह्मारे दिग्गी मियाँ जैसे कांग्रेसियों के लिए तो वह 'ओसामा जी ' है- अफ़ज़ल किी बारी आते आते कसाब तो 'कंधार पहुँच हिी जाएगा- मुस्लिम वोट का स्वाल है भाई. naveen bhaiya yahti to main b…tag:openbooks.ning.com,2010-11-28:5170231:Comment:364272010-11-28T05:33:03.933ZRatnesh Raman Pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/pathakbaba
naveen bhaiya yahti to main bhi kahna chah raha hun ...lekin hamari bharat sarkar sayad use atithi hi samajh rahi hai ...tabhi to ab tak wah jiwit hai.
naveen bhaiya yahti to main bhi kahna chah raha hun ...lekin hamari bharat sarkar sayad use atithi hi samajh rahi hai ...tabhi to ab tak wah jiwit hai. वन्दे मातरम भाई रत्नेशजी,
जिस…tag:openbooks.ning.com,2010-11-27:5170231:Comment:363682010-11-27T19:04:35.029Zrakesh guptahttps://openbooks.ning.com/profile/rakeshgupta
वन्दे मातरम भाई रत्नेशजी,<br />
जिस देश के न्यायाधीशों की आँखे बंद नही हुई बल्कि फूट चुकी हैं क्योंकि जिसका गवाह पूरा देश है, संसार के बड़े हिस्से ने टी वी के माध्यम से मौत का नंगा नाच देखा उसके लिए न्यायाधीशों को किस सबूत का इन्तजार है, जो उनकी फूटी आँखों को रौशनी दे सके मैं और आम जन आज तक समझ ही नही पाया.........<br />
मैंने कभी भी धर्म विशेष पर नही कहा मगर आज बेहद अफ़सोस के साथ मैं कह रहा हूँ की हमारे देश की सरकार में वोट के भूखे हिजड़ों की पूरी फौज बैठी हो, जो मुस्लिम वोट बेंक की खातिर नही चाहती की कसाब…
वन्दे मातरम भाई रत्नेशजी,<br />
जिस देश के न्यायाधीशों की आँखे बंद नही हुई बल्कि फूट चुकी हैं क्योंकि जिसका गवाह पूरा देश है, संसार के बड़े हिस्से ने टी वी के माध्यम से मौत का नंगा नाच देखा उसके लिए न्यायाधीशों को किस सबूत का इन्तजार है, जो उनकी फूटी आँखों को रौशनी दे सके मैं और आम जन आज तक समझ ही नही पाया.........<br />
मैंने कभी भी धर्म विशेष पर नही कहा मगर आज बेहद अफ़सोस के साथ मैं कह रहा हूँ की हमारे देश की सरकार में वोट के भूखे हिजड़ों की पूरी फौज बैठी हो, जो मुस्लिम वोट बेंक की खातिर नही चाहती की कसाब को फांसी हो, आखिर हम कहाँ और क्यों इतने मजबूर हैं की कसाब और उस जैसे अन्य देश के दुश्मनों को तड़पा तड़पा कर कुत्ते की मौत नही मार सके? आखिर कब तक ये वोट के भूखे हिजड़े नेता, देश की अवाम की लाशों पर खड़े होकर घडियाली आंसू बहाते रहेंगे,?..........<br />
मुझे कोई खेद नही है की मैं कुछ नेताओं को हिजड़ा कह रहा हूँ , मुझे ख़ुशी होगी अगर मेरी बात पड़ कर एक भी हिजड़े नेता की मर्दानगी जागे और कसाब जैसे देश के दुश्मनों को त्वरित फांसी दिलाने की पहल करे बेशक उसके बाद अपने आप को हिजड़ा कहे जाने पर मुझे कोर्ट में घसीट ले.........<br />
<u>मुझे इस बात का खेद है की एक सभ्य परिवार का सदस्य होकर मेरी कलम इतने घटिया शब्दों का इस्तेमाल कर रही है, मगर दुःख इस बात का है की इन शब्दों से अधिक घटिया शब्दों का प्रयोग करने में मैं अपने आप को असमर्थ पा रहा हूँ</u> आज पूरा देश २६/११ के शहीद हुए…tag:openbooks.ning.com,2010-11-26:5170231:Comment:361912010-11-26T13:11:06.580ZRatnesh Raman Pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/pathakbaba
आज पूरा देश २६/११ के शहीद हुए जवानों,आम नागरिको,तथा विदेशी पर्यटकों को भावभीनी श्रधांजलि अर्पित कर रही है.हर कोई उस मौत के तांडव को याद कर रहा है ,जब हमारे देश के वीर जवानों ने अपनी जान की कुरबानी देकर हमलोगों को सुरक्षित रखा .मैं एक बात डंके के चोट पर कह सकता हूँ की जिसने भी २६/११ को याद किया होगा ,उसका खून दो मिनट के लिए ही सही, लेकिन उबला जरुर होगा.लेकिन पुनः संतुलित होगया होगा.क्योकि हमारी भलाई इसी में है की हम अपने उबलते हुए खून की भाप बाहर नहीं आने दे.<br />
आज पूरा मुंबई ग़मगीन होकर उन शहीदों…
आज पूरा देश २६/११ के शहीद हुए जवानों,आम नागरिको,तथा विदेशी पर्यटकों को भावभीनी श्रधांजलि अर्पित कर रही है.हर कोई उस मौत के तांडव को याद कर रहा है ,जब हमारे देश के वीर जवानों ने अपनी जान की कुरबानी देकर हमलोगों को सुरक्षित रखा .मैं एक बात डंके के चोट पर कह सकता हूँ की जिसने भी २६/११ को याद किया होगा ,उसका खून दो मिनट के लिए ही सही, लेकिन उबला जरुर होगा.लेकिन पुनः संतुलित होगया होगा.क्योकि हमारी भलाई इसी में है की हम अपने उबलते हुए खून की भाप बाहर नहीं आने दे.<br />
आज पूरा मुंबई ग़मगीन होकर उन शहीदों को याद कर रहा होगा ,और उसी मुंबई शहर में कोई "विशिष्ट अतिथि " अपने खून पर, अपने ताकत पर,अपने बहादुरी,साहस,पर गर्व कर रहा होगा.क्योकि उसी अतिथि के कारन आज हमलोग उन शहीदों को श्रधांजलि दे रहे है.वह अतिथि कोई और नहीं बल्कि दो सालो से जेल में बंद अजमल कसाब है.जिसे भारत सरकार पिछले दो सालो से अतिथियो वाली सुख सुविधा मुहैया करा कर .....अतिथि देवो भवः को सार्थक साबित करने में लगी हुई है.आखिर किस बात की देर हो रही है उसको फासी की सजा देने में ..बड़े से बड़े मामले का निपटारा हो जाता है ,फास्ट ट्रैक कोर्ट है फिर भी इतनी देर क्यों?<br />
क्या यह उन शहीद वीरो के श्रधांजलि में चुक नहीं है.क्या उन शहीदों ने ये सोचा होगा की जिसने हमें मारा उसे हमारी सरकार इस तरह से सेवा करेगी.और नखरे में हमारे तस्वीरों पर साल में एक माला चढाएगी .<br />
हकीकत में श्रधांजलि तो उन्हें तब मिलेगा जब कसाब को फासी पर चढ़ाया जायेगा.जरा सोचिये उन १६० लोगो के परिवार वालों पर आज क्या बीत रही होगी ........किसी ने अपना बेटा खोया तो किसी ने अपना पति ,किसी ने भाई तो किसी ने भतीजा .अभी कुछ ही दीं पहले कसाब ने विडियो कांफ्रेस्सिंग के दौरान कैमरे पर थूक दिया था और गन्दी गालिया भी दी थी ,लेकिन फिर भी भारत सरकार अपना रवैया नहीं बदल रही है.अगर ऐसा ही चालत रहा तो वो दिन दूर नहीं जब उस हमले में मारे गए लोगो के परिजन सड़क पर उतरेंगे और कसाब के लिए मौत मांगेंगे. अभिषेक जी सिर्फ जज्बातों में…tag:openbooks.ning.com,2010-10-19:5170231:Comment:277702010-10-19T14:50:20.770ZPriti Kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/PritiKumari
अभिषेक जी सिर्फ जज्बातों में बह के किसी भी फैसले को उचित नन्ही ठहराया जा सकता...माना की न्याय प्रक्रिया धीमी है..और कभी कभी इतनी देर हो जाती है की फैसला आने का कोई औचित्य नन्ही रह जाता....मेरे विचार से न्याय प्रक्रिया को और गतिशीलता प्रदान करने की जरूरत है..लेकिन साथ ही साथ न्याय प्रक्रिया से खिलवाड़ मेरी नजर में सर्वथा अनुचित है...बिना पुख्ता सबूत के ...और बिना सबूतों की प्रमाणिकता जांचे परखे कोई भी निर्णय...निर्णय नन्ही कहा जा सकता...माना की कसाब के सन्दर्भ में ना ही सबूतों की कमी है..ना ही…
अभिषेक जी सिर्फ जज्बातों में बह के किसी भी फैसले को उचित नन्ही ठहराया जा सकता...माना की न्याय प्रक्रिया धीमी है..और कभी कभी इतनी देर हो जाती है की फैसला आने का कोई औचित्य नन्ही रह जाता....मेरे विचार से न्याय प्रक्रिया को और गतिशीलता प्रदान करने की जरूरत है..लेकिन साथ ही साथ न्याय प्रक्रिया से खिलवाड़ मेरी नजर में सर्वथा अनुचित है...बिना पुख्ता सबूत के ...और बिना सबूतों की प्रमाणिकता जांचे परखे कोई भी निर्णय...निर्णय नन्ही कहा जा सकता...माना की कसाब के सन्दर्भ में ना ही सबूतों की कमी है..ना ही उनकी प्रमाणिकता की..फिर भी मेरी राय में..न्याय प्रक्रिया को अपना काम करते देना चाहिए..ताकि वादी और प्रतिवादी को ही नन्ही..पूरे विश्व को लगना चाहिए की हाँ न्याय हुआ...यदि तुरत फुरत ही न्याय करना है तो फिर हममें और तालिबान में क्या फर्क?<br/>
न्यायिक प्रक्रिया में तेजी जरूर एक मुदा है..और सबों के इसपर गंभीरता से विचार करना चाहिए..इसका हल ढूंढना चाहिए.... आतंकवादी सिर्फ़ कसाब नही हमार…tag:openbooks.ning.com,2010-10-19:5170231:Comment:277652010-10-19T13:31:14.765ZABHISHEK TIWARIhttps://openbooks.ning.com/profile/ABHISHEKTIWARI
आतंकवादी सिर्फ़ कसाब नही हमारी क़ानून व्यवस्था का हवाला देने वाली सरकार भी है |आख़िर जिसने मासूमों का खून बहाया उसको मारने के लिए आख़िर हम किस सबूत का इंतजार कर रहे हैं समझ मे नही आ रहा है |की किस दिन हमें इन खोखलेबाजी से निजात मिलेगी|
आतंकवादी सिर्फ़ कसाब नही हमारी क़ानून व्यवस्था का हवाला देने वाली सरकार भी है |आख़िर जिसने मासूमों का खून बहाया उसको मारने के लिए आख़िर हम किस सबूत का इंतजार कर रहे हैं समझ मे नही आ रहा है |की किस दिन हमें इन खोखलेबाजी से निजात मिलेगी| YOU ARE VERY RIGHTtag:openbooks.ning.com,2010-10-19:5170231:Comment:277242010-10-19T11:50:09.724ZDeepak Sharma Kuluvihttps://openbooks.ning.com/profile/DeepakKuluvi
YOU ARE VERY RIGHT
YOU ARE VERY RIGHT मुबारकवाद कबूलें रत्नेश जी आप…tag:openbooks.ning.com,2010-10-19:5170231:Comment:277072010-10-19T10:11:29.707ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
मुबारकवाद कबूलें रत्नेश जी आपने जता दिया कि आज का युवा देश के गभीर मुद्दों को लेकर कितना जागरूक है. बधाई .आज वास्तव में अपने विचारों को अभिव्यक्ति देने की आवश्यकता है और ओ ब ओ एक सार्थक मंच बन रहा है.हम आवाज़ उठाएंगे तो बात दूर तक जायेगी ही .
मुबारकवाद कबूलें रत्नेश जी आपने जता दिया कि आज का युवा देश के गभीर मुद्दों को लेकर कितना जागरूक है. बधाई .आज वास्तव में अपने विचारों को अभिव्यक्ति देने की आवश्यकता है और ओ ब ओ एक सार्थक मंच बन रहा है.हम आवाज़ उठाएंगे तो बात दूर तक जायेगी ही . भाईरत्नेश,
आपका कथ्य कई कारणो…tag:openbooks.ning.com,2010-10-19:5170231:Comment:276872010-10-19T07:00:07.687ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
भाईरत्नेश,<br />
आपका कथ्य कई कारणों से समीचीन है:<br />
१. इस मुद्दे ने भारतीयों की भावनाओं को कई लिहाज से आहत किया है.<br />
२. मुद्दा न्यायालय में अन्यथा लम्बित न रहे.<br />
३. भारतीय जन-मानस की प्रतिक्रियाएँ स्प्ष्ट और प्रबल हैं.<br />
४. यह प्रक्रिया अन्यथा मोड़ न पा जाय.<br />
<br />
किन्तु, मैं एक बात आपसे और आपके माध्यम से कहना चाहूँगा कि कुछ मुद्दों को भावनाओं के स्तर पर प्राण नहीं मिलता. जोश और ज़ज़्बा ज़रूरी है मगर कथ्य की प्रामाणिकता भी उतनी ही ज़रूरी है. किसी व्यक्ति को सिर्फ़ इस लिए कि वह आतंकवादी है फाँसी पर नहीं चढ़ा दिया…
भाईरत्नेश,<br />
आपका कथ्य कई कारणों से समीचीन है:<br />
१. इस मुद्दे ने भारतीयों की भावनाओं को कई लिहाज से आहत किया है.<br />
२. मुद्दा न्यायालय में अन्यथा लम्बित न रहे.<br />
३. भारतीय जन-मानस की प्रतिक्रियाएँ स्प्ष्ट और प्रबल हैं.<br />
४. यह प्रक्रिया अन्यथा मोड़ न पा जाय.<br />
<br />
किन्तु, मैं एक बात आपसे और आपके माध्यम से कहना चाहूँगा कि कुछ मुद्दों को भावनाओं के स्तर पर प्राण नहीं मिलता. जोश और ज़ज़्बा ज़रूरी है मगर कथ्य की प्रामाणिकता भी उतनी ही ज़रूरी है. किसी व्यक्ति को सिर्फ़ इस लिए कि वह आतंकवादी है फाँसी पर नहीं चढ़ा दिया जाता. चढ़ाया जाना भी नहीं चाहिए. कई पहलू हैं जिनका संतुष्ट होना भी उतना ही ज़रूरी है. अन्यथा, भविष्य बड़ा भारी न्यायी हुआ करता है. उसके सवालात के जवाब इत्मीनान चाहते हैं. Spurt against emotional issues और balanced in emotion issues में दूसरे वाले का अनुमोदन अपनी गीता भी ’उभे सुकृतदुष्कृते’ कह कर देती है. प्रक्रिया शिथिल दीख रही होगी परन्तु अव्यवस्थित नहीं होनी चाहिए. न्याय-व्यवस्था से अन्यमनस्क होना उचित नहीं. उचित है न्याय-व्यवस्था के प्रति तिरस्कारा का भाव न पनपने पाए. हमारे-आपके मध्य जी रहे राजनीतिबाजों से देश की भावनाएँ अधिक आहत होती हैं, हमारे पास इनके विरुद्ध के लिए क्या साधन हैं? इन राजनीतिबाजों के कारण कसाब जैसे आतंकवादियों को शह मिलती है.<br />
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अतः, हमारा प्रयास मुद्दे को संवेदनशील बना उसको असहजता देना नहीं, बल्कि, हमारी कोशिश मुद्दे को तथ्यात्मक गंभीरता देना होनी चाहिए. कुछ पोस्ट की हुई प्रतिक्रियाओं को पढ़ने के पश्चात मैं ऐसा कह रहा हूँ.<br />
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आपका सार्थक प्रयास विभिन्न मतों को साथ ले कर सुदृढ़ता से आगे बढ़े, यही कामना है.