'हिन्दुस्तान' समाचारपत्र ने किया जनकवि आलोक सीतापुरी का सम्मान .... - Open Books Online2024-03-29T13:20:55Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:222589?commentId=5170231%3AComment%3A222972&x=1&feed=yes&xn_auth=noलब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार श्…tag:openbooks.ning.com,2012-05-07:5170231:Comment:2229722012-05-07T20:35:06.023Zsatish mapatpurihttps://openbooks.ning.com/profile/satishmapatpuri
<p>लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री आलोक सीतापुरी जी पर हम सबको हमेशा से नाज़ रहा है ........ उनका सम्मान करने वाले खुद भी सम्मानित होते हैं ............ फिर भी हमें यह समाचार सुखद लग रहा है ...... हिन्दुस्तान समाचार पत्र ने सचमुच एक सराहनीय कार्य किया है ............ आदरणीय आलोक जी को सादर नमन एवं लख -लख बधाईयाँ .</p>
<p>लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री आलोक सीतापुरी जी पर हम सबको हमेशा से नाज़ रहा है ........ उनका सम्मान करने वाले खुद भी सम्मानित होते हैं ............ फिर भी हमें यह समाचार सुखद लग रहा है ...... हिन्दुस्तान समाचार पत्र ने सचमुच एक सराहनीय कार्य किया है ............ आदरणीय आलोक जी को सादर नमन एवं लख -लख बधाईयाँ .</p> स्वागत है आदरणीय सौरभ जी ! आप…tag:openbooks.ning.com,2012-05-07:5170231:Comment:2229572012-05-07T17:56:07.905ZEr. Ambarish Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>स्वागत है आदरणीय सौरभ जी ! आपके इन वचनों में मेरी भी सहमति है .... सादर ...</p>
<p>स्वागत है आदरणीय सौरभ जी ! आपके इन वचनों में मेरी भी सहमति है .... सादर ...</p> प्रज्ञाचक्षु कविवर आदरणीय आलो…tag:openbooks.ning.com,2012-05-07:5170231:Comment:2227802012-05-07T16:33:25.917ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>प्रज्ञाचक्षु कविवर आदरणीय आलोक सीतापुरी जी हमारे मध्य प्रदीप्त सूर्य हैं. कहना न होगा कि आपकी कालजीत रचनाओं, आपके गहन व सूक्ष्म अध्ययन और आपके धुरंधर व्यक्तित्व को सम्मानित कर किसी न किसी रूप संस्थाएँ अपने को ही प्रतिष्ठित करती हैं. आपका हिन्दी, उर्दू तथा मातृभाषा अवधी में साधिकार साहित्य-सृजन नवागंतुकों के लिये शलाका-ज्योति सदृश है. </p>
<p>आपकी उर्वर लेखिनी व अनुकरणीय जिजीविषा को सादर नमन.</p>
<p></p>
<p>प्रज्ञाचक्षु कविवर आदरणीय आलोक सीतापुरी जी हमारे मध्य प्रदीप्त सूर्य हैं. कहना न होगा कि आपकी कालजीत रचनाओं, आपके गहन व सूक्ष्म अध्ययन और आपके धुरंधर व्यक्तित्व को सम्मानित कर किसी न किसी रूप संस्थाएँ अपने को ही प्रतिष्ठित करती हैं. आपका हिन्दी, उर्दू तथा मातृभाषा अवधी में साधिकार साहित्य-सृजन नवागंतुकों के लिये शलाका-ज्योति सदृश है. </p>
<p>आपकी उर्वर लेखिनी व अनुकरणीय जिजीविषा को सादर नमन.</p>
<p></p>