'चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक -१०' - Open Books Online2024-03-29T07:38:58Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:180233?groupUrl=pop&commentId=5170231%3AComment%3A183733&x=1&feed=yes&xn_auth=noदेख के सभी ने दिल से ये कहा क…tag:openbooks.ning.com,2012-01-20:5170231:Comment:1837332012-01-20T18:29:29.405Zअरुण कुमार निगमhttps://openbooks.ning.com/profile/arunkumarnigam
<p>देख के सभी ने दिल से ये कहा कमाल है</p>
<p>अनेकता में एकता की चित्र में मिसाल है</p>
<p>समीना बी की गोद में प्रसन्न नंदलाल है</p>
<p>पिता सलीम को सलाम भावना विशाल है.</p>
<p>सोचिये तो श्लोक आयतों में भेद है कहाँ पे</p>
<p>रंग है हरा वनों का और रुधिर लाल है</p>
<p>चंद्रमा को बाँटना उचित नहीं सुनो प्रिये</p>
<p>चाँद तारा संग है कभी वो शिव के भाल है</p>
<p>देख के सभी ने दिल से ये कहा कमाल है</p>
<p>अनेकता में एकता की चित्र में मिसाल है</p>
<p>समीना बी की गोद में प्रसन्न नंदलाल है</p>
<p>पिता सलीम को सलाम भावना विशाल है.</p>
<p>सोचिये तो श्लोक आयतों में भेद है कहाँ पे</p>
<p>रंग है हरा वनों का और रुधिर लाल है</p>
<p>चंद्रमा को बाँटना उचित नहीं सुनो प्रिये</p>
<p>चाँद तारा संग है कभी वो शिव के भाल है</p> जय हो ..
जय ओबीओ !!! ... . शु…tag:openbooks.ning.com,2012-01-20:5170231:Comment:1834972012-01-20T18:28:59.591ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>जय हो ..</p>
<p>जय ओबीओ !!! ... . शुभ रात्रि !!!!</p>
<p>जय हो ..</p>
<p>जय ओबीओ !!! ... . शुभ रात्रि !!!!</p> बधाई है बधाई !!tag:openbooks.ning.com,2012-01-20:5170231:Comment:1837322012-01-20T18:28:27.735ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>बधाई है बधाई !!</p>
<p>बधाई है बधाई !!</p> धन्यवाद मित्र संजय जी !tag:openbooks.ning.com,2012-01-20:5170231:Comment:1835542012-01-20T18:28:05.518ZEr. Ambarish Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>धन्यवाद मित्र संजय जी !</p>
<p>धन्यवाद मित्र संजय जी !</p> छन्न पकैया छन्न पकैया, सबसे ऊ…tag:openbooks.ning.com,2012-01-20:5170231:Comment:1836552012-01-20T18:25:41.463ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p><strong>छन्न पकैया छन्न पकैया, सबसे ऊपर लिक्खो </strong></p>
<p><strong>शन्नोजी की छंद विधा भा गयी सबको देखो.</strong> .. वाह् वाह शन्नोजी. !! ... बधाई.. बहुत बहुत बधाई.. . !!</p>
<p><strong>छन्न पकैया छन्न पकैया, सबसे ऊपर लिक्खो </strong></p>
<p><strong>शन्नोजी की छंद विधा भा गयी सबको देखो.</strong> .. वाह् वाह शन्नोजी. !! ... बधाई.. बहुत बहुत बधाई.. . !!</p> सफल हुई प्रतियोगिता, सफल हुआ…tag:openbooks.ning.com,2012-01-20:5170231:Comment:1835532012-01-20T18:25:32.813ZEr. Ambarish Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmbarishSrivastava
<p style="color: #ff6600;">सफल हुई प्रतियोगिता, सफल हुआ यह काज.</p>
<p style="color: #ff6600;">सब जन का आभार है, हमें सभी पर नाज़ .. जय ओ बी ओ !</p>
<p style="color: #ff6600;">सफल हुई प्रतियोगिता, सफल हुआ यह काज.</p>
<p style="color: #ff6600;">सब जन का आभार है, हमें सभी पर नाज़ .. जय ओ बी ओ !</p> (प्रतियोगिता से अलग)
अपने कान…tag:openbooks.ning.com,2012-01-20:5170231:Comment:1836542012-01-20T18:24:32.021ZEr. Ambarish Srivastavahttps://openbooks.ning.com/profile/AmbarishSrivastava
<p>(प्रतियोगिता से अलग)</p>
<p style="color: #ff6600;">अपने कान्हा दे रहे, सबको यह वरदान.</p>
<p style="color: #ff6600;">सभी छंद में अब रचें, छंदों का हो ज्ञान.</p>
<p style="color: #ff6600;">छंदों का हो ज्ञान, जिसे हम सबमें बांटें,</p>
<p style="color: #ff6600;">सबमें हो सद्भाव, दूर हों पथ के कांटें.</p>
<p style="color: #ff6600;">अम्बरीष कविराय, सभी अब सच हों सपने.</p>
<p style="color: #ff6600;">जमीं-आसमां साथ, गोद में कान्हा अपने..</p>
<p>(प्रतियोगिता से अलग)</p>
<p style="color: #ff6600;">अपने कान्हा दे रहे, सबको यह वरदान.</p>
<p style="color: #ff6600;">सभी छंद में अब रचें, छंदों का हो ज्ञान.</p>
<p style="color: #ff6600;">छंदों का हो ज्ञान, जिसे हम सबमें बांटें,</p>
<p style="color: #ff6600;">सबमें हो सद्भाव, दूर हों पथ के कांटें.</p>
<p style="color: #ff6600;">अम्बरीष कविराय, सभी अब सच हों सपने.</p>
<p style="color: #ff6600;">जमीं-आसमां साथ, गोद में कान्हा अपने..</p> प्रभु गोद जिसकी वह यशोमति दे…tag:openbooks.ning.com,2012-01-20:5170231:Comment:1837312012-01-20T18:15:04.731ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p><em>प्रभु गोद जिसकी वह यशोमति दे रहे हरि मान हैं|</em></p>
<p><em>गोपाल बैठे आधुनिक रथ पर सहित सम्मान हैं |</em></p>
<p><strong>इतनी मधुर हरिगीतिका का जब मसल दीखे हमें</strong></p>
<p><strong>मन मुग्ध हो पढ़ कर इसे यह दे रही सीखें हमें</strong></p>
<p> </p>
<p><em>प्रभु गोद जिसकी वह यशोमति दे रहे हरि मान हैं|</em></p>
<p><em>गोपाल बैठे आधुनिक रथ पर सहित सम्मान हैं |</em></p>
<p><strong>इतनी मधुर हरिगीतिका का जब मसल दीखे हमें</strong></p>
<p><strong>मन मुग्ध हो पढ़ कर इसे यह दे रही सीखें हमें</strong></p>
<p> </p> ||पन्ना पन्ना पढ़ लिया, आनंदित…tag:openbooks.ning.com,2012-01-20:5170231:Comment:1834962012-01-20T18:00:16.957ZSanjay Mishra 'Habib'https://openbooks.ning.com/profile/SanjayMishraHabib
<p><strong>||पन्ना पन्ना पढ़ लिया, आनंदित हो खूब</strong></p>
<p><strong>कोमल सब के छंद हैं, जैसे हरियर दूब||</strong></p>
<p></p>
<p>समस्त सम्मानीय मित्र वृन्द एवं गुरुजनों को सादर शुभ रात्री...</p>
<p></p>
<p><strong>||पन्ना पन्ना पढ़ लिया, आनंदित हो खूब</strong></p>
<p><strong>कोमल सब के छंद हैं, जैसे हरियर दूब||</strong></p>
<p></p>
<p>समस्त सम्मानीय मित्र वृन्द एवं गुरुजनों को सादर शुभ रात्री...</p>
<p></p> शब्द-शब्द बेजोड़ है, कितना सुग…tag:openbooks.ning.com,2012-01-20:5170231:Comment:1835522012-01-20T18:00:04.212ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p><strong>शब्द-शब्द बेजोड़ है, कितना सुगढ प्रयास</strong></p>
<p><strong>चित्र उभर कर आ रहा, शब्दों से उद्भास .. </strong></p>
<p><strong>शब्द-शब्द बेजोड़ है, कितना सुगढ प्रयास</strong></p>
<p><strong>चित्र उभर कर आ रहा, शब्दों से उद्भास .. </strong></p>