राईट टू रिकॉल-राईट टू रिजेक्ट - Open Books Online2024-03-29T11:35:18Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/5170231:Topic:155306?feed=yes&xn_auth=noअच्छी बात यह है कि सर्वोच्च न…tag:openbooks.ning.com,2013-11-10:5170231:Comment:4691462013-11-10T09:44:34.906Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>अच्छी बात यह है कि सर्वोच्च न्यायालय कि पहल पर राईट टू इग्नोर हमें नन ऑफ़ दीज के रूप में मिल चुका है I एक प्रकार से राईट टू रिजेक्ट तो हमें मिल ही गया I यह भी इसलिए संभव हुआ कि आम चुनाव के साथ ही यह किया जा सकता है I पर रिजेक्ट के मामले में हर रिजेक्शन पर चुनाव करा पाना हार्ड नट है I हमें अभी प्रस्तावित पहल के इफ और बट को परखना होगा I शायद आप सहमत हो I धन्यवाद I</p>
<p>अच्छी बात यह है कि सर्वोच्च न्यायालय कि पहल पर राईट टू इग्नोर हमें नन ऑफ़ दीज के रूप में मिल चुका है I एक प्रकार से राईट टू रिजेक्ट तो हमें मिल ही गया I यह भी इसलिए संभव हुआ कि आम चुनाव के साथ ही यह किया जा सकता है I पर रिजेक्ट के मामले में हर रिजेक्शन पर चुनाव करा पाना हार्ड नट है I हमें अभी प्रस्तावित पहल के इफ और बट को परखना होगा I शायद आप सहमत हो I धन्यवाद I</p> सही मायने में लोकतंत्र तभी का…tag:openbooks.ning.com,2012-05-10:5170231:Comment:2240522012-05-10T05:36:09.485ZBhawesh Rajpalhttps://openbooks.ning.com/profile/BhaweshRajpal
<div>सही मायने में लोकतंत्र तभी कायम होगा , जब अन्ना की मांगें मान ली जायेंगी ! लेकिन उस स्थिति की कल्पना से ही </div>
<div>समस्त नेता बिरादरी की हवा खिसकने लगती है , और वे अपनी धूर्तता दिखाने से बाज नहीं आते ! </div>
<div>सही मायने में लोकतंत्र तभी कायम होगा , जब अन्ना की मांगें मान ली जायेंगी ! लेकिन उस स्थिति की कल्पना से ही </div>
<div>समस्त नेता बिरादरी की हवा खिसकने लगती है , और वे अपनी धूर्तता दिखाने से बाज नहीं आते ! </div>