"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-48 में प्रस्तुत सभी रचनाएँ - Open Books Online2024-03-29T00:28:45Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/48-1?xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noबेहतरीन ग़ज़ल हुई है सभी।tag:openbooks.ning.com,2021-07-18:5170231:Comment:10639602021-07-18T20:52:33.803ZDeepanjali Dubeyhttps://openbooks.ning.com/profile/DeepanjaliDubey
बेहतरीन ग़ज़ल हुई है सभी।
बेहतरीन ग़ज़ल हुई है सभी। तमाम उम्र समेटा जिसे समझ अपना…tag:openbooks.ning.com,2015-04-25:5170231:Comment:6455762015-04-25T22:09:21.121Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p><span>तमाम उम्र समेटा जिसे समझ अपना</span><br/><span>पता चला कि सिफ़र के सिवा कुछ और नहीं</span></p>
<p></p>
<p>वाह वाह </p>
<p><span>तमाम उम्र समेटा जिसे समझ अपना</span><br/><span>पता चला कि सिफ़र के सिवा कुछ और नहीं</span></p>
<p></p>
<p>वाह वाह </p> गजब गजब हर ग़ज़ल बहोत खूब हैtag:openbooks.ning.com,2015-04-11:5170231:Comment:6409432015-04-11T07:24:48.929Znarendrasinh chauhanhttps://openbooks.ning.com/profile/narendrasinhchauhan
<p>गजब गजब हर ग़ज़ल बहोत खूब है</p>
<p>गजब गजब हर ग़ज़ल बहोत खूब है</p> आ० कल्पना रामानी जी
जो जानत…tag:openbooks.ning.com,2014-07-03:5170231:Comment:5555352014-07-03T10:57:48.173ZZidhttps://openbooks.ning.com/profile/Zid
<p><strong> आ० कल्पना रामानी जी</strong></p>
<p></p>
<p><strong><span>जो जानते ही नहीं, साज़, राग, उनके लिए,</span><br/><span>ग़ज़ल भी रूक्ष बहर के सिवा कुछ और नहीं।</span></strong></p>
<p></p>
<p><strong><span>Baat kehte ho Zid ki bakhubi aap aise </span></strong></p>
<p><strong><span>Apni hakikat aapke khayal fasla kuchbhi nahi- <strong>Zid</strong></span></strong></p>
<p></p>
<p><strong><span> <a href="http://www.gazal-king.com" target="_blank">www.gazal-king.com</a></span></strong></p>
<p></p>
<p><strong> आ० कल्पना रामानी जी</strong></p>
<p></p>
<p><strong><span>जो जानते ही नहीं, साज़, राग, उनके लिए,</span><br/><span>ग़ज़ल भी रूक्ष बहर के सिवा कुछ और नहीं।</span></strong></p>
<p></p>
<p><strong><span>Baat kehte ho Zid ki bakhubi aap aise </span></strong></p>
<p><strong><span>Apni hakikat aapke khayal fasla kuchbhi nahi- <strong>Zid</strong></span></strong></p>
<p></p>
<p><strong><span> <a href="http://www.gazal-king.com" target="_blank">www.gazal-king.com</a></span></strong></p>
<p></p> बहुत सुन्दर ग़ज़लें प्रस्तुत…tag:openbooks.ning.com,2014-07-01:5170231:Comment:5546032014-07-01T04:52:13.722Znarendrasinh chauhanhttps://openbooks.ning.com/profile/narendrasinhchauhan
<p><span>बहुत सुन्दर ग़ज़लें प्रस्तुत हुई हैं , आप सभी को बधाईयां।</span></p>
<p><span>बहुत सुन्दर ग़ज़लें प्रस्तुत हुई हैं , आप सभी को बधाईयां।</span></p> आदरनीय योगराज जी, आप जी को इ…tag:openbooks.ning.com,2014-06-30:5170231:Comment:5544422014-06-30T10:21:44.987Zमोहन बेगोवालhttps://openbooks.ning.com/profile/DrMohanlal
<p> आदरनीय योगराज जी, आप जी को इस कोशिश और विशेष करके मेरी रचना के प्रति जो आप जी ने गलितयों की निशानदेही की, आप जी के साथ सभी उस्तादोंजनों का धन्यवाद </p>
<p> आदरनीय योगराज जी, आप जी को इस कोशिश और विशेष करके मेरी रचना के प्रति जो आप जी ने गलितयों की निशानदेही की, आप जी के साथ सभी उस्तादोंजनों का धन्यवाद </p> धन्यवाद, तिलक साहब, मैं व्यस्…tag:openbooks.ning.com,2014-06-30:5170231:Comment:5542382014-06-30T04:43:58.309ZSURINDER RATTIhttps://openbooks.ning.com/profile/SURINDERRATTI
<p>धन्यवाद, तिलक साहब, मैं व्यस्तता के कारण भाग नहीं ले पाया, सर, उमर की तकती करें तो उ + मर, १+२ और उम्र में म के साथ र जुड़ा हुआ है, तो सही क्या है, जैसा आपने बताया, कृपया शंका का समाधान करें </p>
<p>धन्यवाद, तिलक साहब, मैं व्यस्तता के कारण भाग नहीं ले पाया, सर, उमर की तकती करें तो उ + मर, १+२ और उम्र में म के साथ र जुड़ा हुआ है, तो सही क्या है, जैसा आपने बताया, कृपया शंका का समाधान करें </p> आदरणीय, योगराज प्रभाकर जी और…tag:openbooks.ning.com,2014-06-30:5170231:Comment:5541062014-06-30T04:43:06.258ZSURINDER RATTIhttps://openbooks.ning.com/profile/SURINDERRATTI
<p>आदरणीय, योगराज प्रभाकर जी और आडमिन टीम को बधाई, नये और पुराने सब कलमकारों का मंच जहाँ हर बार हमको कुछ नया सीखने को मिलता है - धन्यवाद - सुरिन्दर रत्ती </p>
<p>आदरणीय, योगराज प्रभाकर जी और आडमिन टीम को बधाई, नये और पुराने सब कलमकारों का मंच जहाँ हर बार हमको कुछ नया सीखने को मिलता है - धन्यवाद - सुरिन्दर रत्ती </p> कामयाब ..यादगार ..और हम सबको…tag:openbooks.ning.com,2014-06-30:5170231:Comment:5541032014-06-30T04:03:07.327ZAbhinav Arunhttps://openbooks.ning.com/profile/ArunKumarPandeyAbhinav
<p>कामयाब ..यादगार ..और हम सबको बहुत कुछ सिखा- बता गए मुशायरे के लिए सभी रचनाकार सह्पथिकों को आभार अभिवादन और बधाई ..आदरणीय श्री संपादक महोदय को हमारे उत्सावर्धन एवं इस संकलन के लिए नमन वंदन !! पाठशाला दिनानुदिन सुपर ३० हो रही है ..जय ओ बी ओ !</p>
<p>कामयाब ..यादगार ..और हम सबको बहुत कुछ सिखा- बता गए मुशायरे के लिए सभी रचनाकार सह्पथिकों को आभार अभिवादन और बधाई ..आदरणीय श्री संपादक महोदय को हमारे उत्सावर्धन एवं इस संकलन के लिए नमन वंदन !! पाठशाला दिनानुदिन सुपर ३० हो रही है ..जय ओ बी ओ !</p> ग़ज़लों के किसान है इस मंच पर .…tag:openbooks.ning.com,2014-06-29:5170231:Comment:5540982014-06-29T16:56:23.659ZNilesh Shevgaonkarhttps://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>ग़ज़लों के किसान है इस मंच पर ..बंजर से बंजर ज़मीन से भी फ़सल ले सकते हैं ... बस गुरुजनों की इनायत बरसती रहे </p>
<p>ग़ज़लों के किसान है इस मंच पर ..बंजर से बंजर ज़मीन से भी फ़सल ले सकते हैं ... बस गुरुजनों की इनायत बरसती रहे </p>