"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-40 - Open Books Online2024-03-29T09:04:50Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/40-1?commentId=5170231%3AComment%3A510049&feed=yes&xn_auth=noहार्दिक धन्यवाद आदरणीय tag:openbooks.ning.com,2014-02-09:5170231:Comment:5102502014-02-09T18:30:34.478ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीय </p>
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीय </p> आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया…tag:openbooks.ning.com,2014-02-09:5170231:Comment:5104222014-02-09T18:28:58.460Zजितेन्द्र पस्टारियाhttps://openbooks.ning.com/profile/JitendraPastariya
<p>आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका ह्रदय से आभार , आदरणीया अन्नपूर्णा जी</p>
<p></p>
<p>सादर!</p>
<p>आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका ह्रदय से आभार , आदरणीया अन्नपूर्णा जी</p>
<p></p>
<p>सादर!</p> यथा संशोधित एवं प्रतिस्थापित tag:openbooks.ning.com,2014-02-09:5170231:Comment:5102492014-02-09T18:28:17.455ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>यथा संशोधित एवं प्रतिस्थापित </p>
<p>यथा संशोधित एवं प्रतिस्थापित </p> अ0 प्राची जी सुंदर नवगीत के ल…tag:openbooks.ning.com,2014-02-09:5170231:Comment:5102482014-02-09T18:27:41.698Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>अ0 प्राची जी सुंदर नवगीत के लिए आपको हार्दिक बधाई प्रेषित है । </p>
<p>अ0 प्राची जी सुंदर नवगीत के लिए आपको हार्दिक बधाई प्रेषित है । </p> a0 जितेंद्र जी सुंदर रचना बहु…tag:openbooks.ning.com,2014-02-09:5170231:Comment:5105112014-02-09T18:25:59.209Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>a0 जितेंद्र जी सुंदर रचना बहुत बधाई आपको । </p>
<p>a0 जितेंद्र जी सुंदर रचना बहुत बधाई आपको । </p> माननीय विनय जी आपका सुझाव सि…tag:openbooks.ning.com,2014-02-09:5170231:Comment:5105102014-02-09T18:25:39.849Zchouthmal jainhttps://openbooks.ning.com/profile/chouthmaljain
<p>माननीय विनय जी आपका सुझाव सिरोधार्य है , पर मात्रिक छंद बनाने में रचना भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाती है। फिरभी भविष्य में प्रयास करूँगा। धन्यवाद ।</p>
<p>माननीय विनय जी आपका सुझाव सिरोधार्य है , पर मात्रिक छंद बनाने में रचना भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाती है। फिरभी भविष्य में प्रयास करूँगा। धन्यवाद ।</p> आदरणीया कल्पना दी आपकी लेखनी…tag:openbooks.ning.com,2014-02-09:5170231:Comment:5104212014-02-09T18:24:55.454Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>आदरणीया कल्पना दी आपकी लेखनी को नमन , आपको हार्दिक बधाई इस अभूत रचना के लिए । </p>
<p>आदरणीया कल्पना दी आपकी लेखनी को नमन , आपको हार्दिक बधाई इस अभूत रचना के लिए । </p> आदरणीया मंच संचालिका/एडमिन मे…tag:openbooks.ning.com,2014-02-09:5170231:Comment:5102472014-02-09T18:23:16.024Zरमेश कुमार चौहानhttps://openbooks.ning.com/profile/Rameshkumarchauhan
<p>आदरणीया मंच संचालिका/एडमिन मेरे अंतिम कुण्डलि के प्रथम चरण "पतंगा संग दीप का" को "शलभ है मित दीप का", पंचम पंक्ति के द्वितीय चरण "कहो ना उसे लफंगा" को " कहो ना उसे गरभ है" तथा अंतिम चरण "प्रेम पर मरे पतंगा" को "प्रेम पर मरे शलभ है" प्रतिस्थापित करने की कृपा हो । सादर</p>
<p>आदरणीया मंच संचालिका/एडमिन मेरे अंतिम कुण्डलि के प्रथम चरण "पतंगा संग दीप का" को "शलभ है मित दीप का", पंचम पंक्ति के द्वितीय चरण "कहो ना उसे लफंगा" को " कहो ना उसे गरभ है" तथा अंतिम चरण "प्रेम पर मरे पतंगा" को "प्रेम पर मरे शलभ है" प्रतिस्थापित करने की कृपा हो । सादर</p> बहुत सुंदर कविता आदरणीया अन्न…tag:openbooks.ning.com,2014-02-09:5170231:Comment:5104202014-02-09T18:23:05.269Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>बहुत सुंदर कविता आदरणीया अन्नपूर्णा जी ....</p>
<p>बहुत सुंदर कविता आदरणीया अन्नपूर्णा जी ....</p> हार्दिक धन्यवाद आदरणीय रमेश क…tag:openbooks.ning.com,2014-02-09:5170231:Comment:5104192014-02-09T18:21:52.073ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी </p>
<p>हार्दिक धन्यवाद आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी </p>