"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-3 (विषय: बंधन) - Open Books Online2024-03-29T09:20:02Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/3?commentId=5170231%3AComment%3A669718&feed=yes&xn_auth=noवाह आदरणीय रवि भाई, चली चला क…tag:openbooks.ning.com,2015-06-30:5170231:Comment:6715242015-06-30T18:30:01.607ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>वाह आदरणीय रवि भाई, चली चला की बेला में आई आपकी लघुकथा देर तक सोचने पर विवश कर देगी, बहुत बहुत बधाई.</p>
<p>वाह आदरणीय रवि भाई, चली चला की बेला में आई आपकी लघुकथा देर तक सोचने पर विवश कर देगी, बहुत बहुत बधाई.</p> आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर भा…tag:openbooks.ning.com,2015-06-30:5170231:Comment:6713322015-06-30T18:29:59.475ZRavi Prabhakarhttps://openbooks.ning.com/profile/RaviPrabhakar
<p>आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर भाई जी । पिछले आयोजन के वक्त मैनें अपनी लघुकथा लगभग 15 दिन पहले ही लिख जी थी परन्तु ऐन मौके पर नेट की गड़़गडी की वजह से पोस्ट नहीं कर पाया था तो उसी वक्त सोच लिया था कि अगले आयोजन में सबसे पहले की बजाए सबसे आखिर में अपनी लघुकथा पोस्ट करूंगा । सादर</p>
<p>आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर भाई जी । पिछले आयोजन के वक्त मैनें अपनी लघुकथा लगभग 15 दिन पहले ही लिख जी थी परन्तु ऐन मौके पर नेट की गड़़गडी की वजह से पोस्ट नहीं कर पाया था तो उसी वक्त सोच लिया था कि अगले आयोजन में सबसे पहले की बजाए सबसे आखिर में अपनी लघुकथा पोस्ट करूंगा । सादर</p> यहाँ रविजी की लघुकथा है पेज १…tag:openbooks.ning.com,2015-06-30:5170231:Comment:6712462015-06-30T18:29:24.883Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>यहाँ रविजी की लघुकथा है पेज १०४ पर .... प्रतिक्रिया हेतु लिंक पर क्लिक कर सकते है </p>
<p><a rel="nofollow" href="http://openbooksonline.com/forum/topics/3?xg_source=activity&id=5170231%3ATopic%3A661749&page=104#comments" target="_blank">http://openbooksonline.com/forum/topics/3?xg_source=activity&id...</a></p>
<p>यहाँ रविजी की लघुकथा है पेज १०४ पर .... प्रतिक्रिया हेतु लिंक पर क्लिक कर सकते है </p>
<p><a rel="nofollow" href="http://openbooksonline.com/forum/topics/3?xg_source=activity&id=5170231%3ATopic%3A661749&page=104#comments" target="_blank">http://openbooksonline.com/forum/topics/3?xg_source=activity&id...</a></p> "मगर यह शहर क्यों नहीं ?"
"क्…tag:openbooks.ning.com,2015-06-30:5170231:Comment:6715232015-06-30T18:28:43.780ZVIRENDER VEER MEHTAhttps://openbooks.ning.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
"मगर यह शहर क्यों नहीं ?"<br />
"क्योंकि मेरे पुरखों की हड्डियां दफ़न हैं इस शहर ......<br />
मात्र दो लाइन के चमत्कारी अंत तक पहुँचने से पहले पाठक कल्पना भी नही कर पाता कि जो पढ़ा जा रहा है उसका समापन ऐसा होगा।<br />
वाह ला जवाब कथा। आदरणीय योगराज प्रभाकर सर ..../\.... प्रणाम करता हैआपका ये अनुज आपकी लेखनी को और आपकी असाधारण सोच को।<br />
दिल से हार्दिक बधाई स्वीकार करे आदरणीय भाईजी।
"मगर यह शहर क्यों नहीं ?"<br />
"क्योंकि मेरे पुरखों की हड्डियां दफ़न हैं इस शहर ......<br />
मात्र दो लाइन के चमत्कारी अंत तक पहुँचने से पहले पाठक कल्पना भी नही कर पाता कि जो पढ़ा जा रहा है उसका समापन ऐसा होगा।<br />
वाह ला जवाब कथा। आदरणीय योगराज प्रभाकर सर ..../\.... प्रणाम करता हैआपका ये अनुज आपकी लेखनी को और आपकी असाधारण सोच को।<br />
दिल से हार्दिक बधाई स्वीकार करे आदरणीय भाईजी। सभी को बधाई tag:openbooks.ning.com,2015-06-30:5170231:Comment:6715222015-06-30T18:28:33.518Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>सभी को बधाई </p>
<p>सभी को बधाई </p> जी , सर जी , मै देने की कोशिश…tag:openbooks.ning.com,2015-06-30:5170231:Comment:6714302015-06-30T18:27:47.277Zkanta royhttps://openbooks.ning.com/profile/kantaroy
जी , सर जी , मै देने की कोशिश करूंगी । मेरा तैयार ही है कथा ।
जी , सर जी , मै देने की कोशिश करूंगी । मेरा तैयार ही है कथा । अहमकों ने चार्जर के लिए प्वाइ…tag:openbooks.ning.com,2015-06-30:5170231:Comment:6712452015-06-30T18:27:44.142ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>अहमकों ने चार्जर के लिए प्वाइंट ही नहीं दिया है बॉगी में .. अब प्लेटफ़ार्म पर दौड कर जो संभव हो पाया उससे हूँ हाँ भर कर सकते हैं. ..</p>
<p>और फ़्रेश होने की नौबत आयी तभी तो बैटरी खलास .. ;-)))</p>
<p>हा हा हा..........</p>
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<p>अहमकों ने चार्जर के लिए प्वाइंट ही नहीं दिया है बॉगी में .. अब प्लेटफ़ार्म पर दौड कर जो संभव हो पाया उससे हूँ हाँ भर कर सकते हैं. ..</p>
<p>और फ़्रेश होने की नौबत आयी तभी तो बैटरी खलास .. ;-)))</p>
<p>हा हा हा..........</p>
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<p></p> भाई संकलन भी आ गया है tag:openbooks.ning.com,2015-06-30:5170231:Comment:6715212015-06-30T18:27:33.792Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>भाई संकलन भी आ गया है </p>
<p>भाई संकलन भी आ गया है </p> "ओवीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक…tag:openbooks.ning.com,2015-06-30:5170231:Comment:6715202015-06-30T18:27:00.233Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>"ओवीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक ३ को अपनी रचनायों एवं टिप्पणियों के माध्यम से सफल बनाने हेतु मैं सभी सुधि साथियों को ह्रदयतल से धन्यवाद कहता हूँ। </p>
<p>"ओवीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक ३ को अपनी रचनायों एवं टिप्पणियों के माध्यम से सफल बनाने हेतु मैं सभी सुधि साथियों को ह्रदयतल से धन्यवाद कहता हूँ। </p> आय हाय हाय हाय !! क्या गज़ब बं…tag:openbooks.ning.com,2015-06-30:5170231:Comment:6714262015-06-30T18:26:38.072Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आय हाय हाय हाय !! क्या गज़ब बंधन है। बेहतरीन लघुकथा हुई है अनुज रवि प्रभाकर जी। बहुत बहुत बधाई। </p>
<p>आय हाय हाय हाय !! क्या गज़ब बंधन है। बेहतरीन लघुकथा हुई है अनुज रवि प्रभाकर जी। बहुत बहुत बधाई। </p>