"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-38 में शामिल लघुकथाएँ - Open Books Online2024-03-28T21:05:42Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/38-3?commentId=5170231%3AComment%3A932615&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय योगराज सर लघु कथा पर आ…tag:openbooks.ning.com,2018-06-03:5170231:Comment:9326542018-06-03T14:37:13.982ZDr Ashutosh Mishrahttps://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय योगराज सर लघु कथा पर आपके लेख को पढ़कर और लघु कथा गोष्ठी पर नियमित रचनाये पढ़कर ही कई प्रयास किये आज दूसरी बार रचना को संकलन में शामिल पाकर बहुत खुश हूँ आदरणीय मनन जी ने आयोजन के बाद हौसला अफजाई की ये तो बहुत अच्छा लगा आप सबके साथ लघु कथा का ये सफ़र बहुत आनंद दाई है मंच को सादर प्रणाम करते हुए इस संकलन पर हार्दिक बधाई </p>
<p>आदरणीय योगराज सर लघु कथा पर आपके लेख को पढ़कर और लघु कथा गोष्ठी पर नियमित रचनाये पढ़कर ही कई प्रयास किये आज दूसरी बार रचना को संकलन में शामिल पाकर बहुत खुश हूँ आदरणीय मनन जी ने आयोजन के बाद हौसला अफजाई की ये तो बहुत अच्छा लगा आप सबके साथ लघु कथा का ये सफ़र बहुत आनंद दाई है मंच को सादर प्रणाम करते हुए इस संकलन पर हार्दिक बधाई </p> आदरणीय योगराज सर लघु कथा पर आ…tag:openbooks.ning.com,2018-06-03:5170231:Comment:9324652018-06-03T14:29:38.122ZDr Ashutosh Mishrahttps://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय योगराज सर लघु कथा पर आपके लेख को पढ़कर और लघु कथा गोष्ठी पर नियमित रचनाये पढ़कर ही कई प्रयास किये आज दूसरी बार रचना को संकलन मइं शामिल पाकर बहुत खुश हूँ आदरणीय मनन जी ने आयोजन के बाद हौसला अफजाई की ये तो बहुत अच्छा लगा आप सबके साथ लघु कथा का ये सफ़र बहुत आनंद दाई है मंच को सादर प्रणाम करते हुए इस संकलन पर हार्दिक बधाई </p>
<p>आदरणीय योगराज सर लघु कथा पर आपके लेख को पढ़कर और लघु कथा गोष्ठी पर नियमित रचनाये पढ़कर ही कई प्रयास किये आज दूसरी बार रचना को संकलन मइं शामिल पाकर बहुत खुश हूँ आदरणीय मनन जी ने आयोजन के बाद हौसला अफजाई की ये तो बहुत अच्छा लगा आप सबके साथ लघु कथा का ये सफ़र बहुत आनंद दाई है मंच को सादर प्रणाम करते हुए इस संकलन पर हार्दिक बधाई </p> ओ बी ओ लाइव लघुकथा गोष्ठी अंक…tag:openbooks.ning.com,2018-06-02:5170231:Comment:9323962018-06-02T05:30:18.201ZTEJ VEER SINGHhttps://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>ओ बी ओ लाइव लघुकथा गोष्ठी अंक - ३८ के कुशल संचालन, श्रेष्ठ संपादन एवम त्वरित संकलन/ प्रकाशन हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी।</p>
<p>ओ बी ओ लाइव लघुकथा गोष्ठी अंक - ३८ के कुशल संचालन, श्रेष्ठ संपादन एवम त्वरित संकलन/ प्रकाशन हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी।</p> बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय महें…tag:openbooks.ning.com,2018-06-01:5170231:Comment:9326222018-06-01T12:16:03.131ZBarkha Shuklahttps://openbooks.ning.com/profile/BarkhaShukla
<p>बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय महेंद्र जी ,आभार ,सादर </p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय महेंद्र जी ,आभार ,सादर </p> लघुकथा गोष्ठी के सफल आयोजन ,स…tag:openbooks.ning.com,2018-06-01:5170231:Comment:9326152018-06-01T09:00:20.272ZNita Kasarhttps://openbooks.ning.com/profile/NitaKasar
<p>लघुकथा गोष्ठी के सफल आयोजन ,संचालन के लिये आपको व पूरी ओ बी ओ टीम को बधाईयां व शुभकामनायें ।कथा को संकलन में स्थान देने के लिये तहेदिल से शुक्रिया ,सादर आभार ।</p>
<p>लघुकथा गोष्ठी के सफल आयोजन ,संचालन के लिये आपको व पूरी ओ बी ओ टीम को बधाईयां व शुभकामनायें ।कथा को संकलन में स्थान देने के लिये तहेदिल से शुक्रिया ,सादर आभार ।</p> हमेशा की तरह एक और लघुकथा गोष…tag:openbooks.ning.com,2018-06-01:5170231:Comment:9325322018-06-01T06:55:21.118ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>हमेशा की तरह एक और लघुकथा गोष्ठी के सफल सञ्चालन और तीव्र संकलन की हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय योगराज प्रभाकर सर. साथ ही सभी लेखकों को भी बहुत-बहुत बधाई.</p>
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<p>कल अपनी रचना में आयी अंतिम छह टिप्पणियों का प्रत्युत्तर मैं नहीं दे पाया था जिसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ. आ. तेजवीर सिंह जी, आ. बरखा शुक्ला जी, आ. वीरेन्द्र वीर मेहता जी, आ. नीलम उपाध्याय जी, आ. योगराज प्रभाकर सर एवं आ. नयना (आरती) कानिटकर जी का उनकी मूल्यवान टिप्पणियों के लिए हृदय से आभार एवं बहुत-बहुत धन्यवाद. आ.…</p>
<p>हमेशा की तरह एक और लघुकथा गोष्ठी के सफल सञ्चालन और तीव्र संकलन की हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय योगराज प्रभाकर सर. साथ ही सभी लेखकों को भी बहुत-बहुत बधाई.</p>
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<p>कल अपनी रचना में आयी अंतिम छह टिप्पणियों का प्रत्युत्तर मैं नहीं दे पाया था जिसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ. आ. तेजवीर सिंह जी, आ. बरखा शुक्ला जी, आ. वीरेन्द्र वीर मेहता जी, आ. नीलम उपाध्याय जी, आ. योगराज प्रभाकर सर एवं आ. नयना (आरती) कानिटकर जी का उनकी मूल्यवान टिप्पणियों के लिए हृदय से आभार एवं बहुत-बहुत धन्यवाद. आ. नयना जी से हृदय से क्षमाप्रार्थी हूँ कि उन्हें हमेशा ही मेरी रचना दो से तीन दफ़े पढ़नी पड़ती है. कोशिश करूँगा कि आगे से ऐसा न हो. आदरणीय योगराज सर, आपने जितनी सूक्ष्मता से मेरी लघुकथाओं की विशेषताओं को पकड़ा है इतना तो कभी मैंने भी ध्यान नहीं दिया. निश्चित ही आप बहुत बारीकी से चीजों को देखते हैं. "विषय का चुनाव" और "ग्लोबल अपील" सम्बन्धी बातें मैंने आप ही के लेखों से सीखी हैं. इसलिए इसका सारा श्रेय आपको है. वैसे ईमानदारी से कहूँ तो "शैली" पर अभी भी मेरी समझ बहुत स्पष्ट नहीं है. आपकी टिप्पणी का इंतज़ार मुझे पहले दिन से ही था पर दुर्भाग्य देखिए कि मैं वहाँ प्रत्युत्तर भी न दे पाया. सादर क्षमा सहित आपका पुनः बहुत-बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार. कल आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी की एक टिप्पणी का भी मैं कोई जवाब नहीं दे पाया था. उनका भी बहुत-बहुत आभार. मैं उनकी बात से सहमत हूँ कि लघुकथा सीखने वाले लघुकथाओं को न तो गंभीरता से पढ़ते हैं और न ही उन पर टिप्पणी करते हैं. इसमें मैं भी शामिल हूँ. कोशिश करूँगा कि इसे जल्द ही दूर करूँ. सादर.</p>
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<p>अन्तिम नौ लघुकथाओं पर भी मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पाया था. उन पर मेरी प्रतिक्रियाएँ इस प्रकार हैं :</p>
<ol start="13">
<li><strong>डर (आ. डॉ. आशुतोष मिश्र जी) :</strong> स्त्रियों के लिए हर कहीं डर का माहौल है. एक माँ अपनी बेटी को जानवर के साथ तो छोड़ सकती है लेकिन इंसान के साथ नहीं. इस बढ़िया लघुकथा के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्र जी. सादर.</li>
<li><strong>विजय (आ. बरखा शुक्ला जी) :</strong> विकट परिस्थितयाँ बड़े-बड़े डर को दूर कर देती हैं. इस बढ़िया सन्देशप्रद लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया बरखा शुक्ला जी. सादर.</li>
<li><strong>जीत ले खुद को (आ. नीता कसार जी) :</strong> कॉलेज राजनीति का अधिकांशतः यही हाल है. छात्र न तो ईमानदारी से पढ़ाई कर पाते हैं और न ही राजनीति. इस बढ़िया लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीया नीता जी. सादर.</li>
<li><strong>भय की चादर (आ. योगराज प्रभाकर सर) :</strong> // मैनेजल्दी से पलंग के सिरहाने पड़ी अपनी कहानियों वाली डायरी उठाई और चुपके से तकिये के नीचे छुपा दी और कोहनी रखकर अपने पूरे शरीर का बोझ उस पर डाल दियाI// ग़ज़ब सर! वाह!! कितनी सूक्ष्मता से आपने इन पंक्तियों में सबकुछ कह दिया. कथा का प्रवाह देखते ही बनता है. प्रथम पुरुष में लघुकथा कैसे लिखी जानी चाहिए, यह सहज ही इस लघुकथा से सीखा जा सकता है. हमेशा की तरह एक और ख़ूबसूरत लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए सर. शीर्षक भी हमेशा की तरह शानदार है. सादर.</li>
<li><strong>मैं नहीं बहूँगा (आ.</strong> <strong>नयना (आरती) कानिटकर जी</strong><strong>) :</strong> एक बेटी को अपने से दूर भेजती माँ के डर को अच्छे से व्यक्त किया है आपने आदरणीया नयना जी. इस बढ़िया लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.</li>
<li><strong>फायदा (आ. विनय कुमार जी) :</strong> प्रदत्त विषय पर शानदार लघुकथा कही है आपने आदरणीय विनय कुमार जी. शीर्षक भी उम्दा है. ढेर सारी बधाई प्रेषित है. सादर.</li>
<li><strong>एडमीन (आ. मनन कुमार सिंह जी) :</strong> आदरणीय मनन जी, आपकी लघुकथा का आनन्द वहाँ से दुगुना हो जाता है जहाँ से यह भोजपुरी में हो जाती है. आपको आरम्भिक संवाद भी भोजपुरी में ही रखने चाहिए. वैसे भी एक ही पात्र द्वारा पहले हिंदी और फिर अचानक भोजपुरी बोलने लगना थोड़ा सा अटपटा है. शीर्षक में टंकण त्रुटिवश "एडमिन" की जगह "एडमीन" हो गया है. इस कटाक्षपूर्ण उम्दा लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय. सादर.</li>
<li><strong>टाइम पास (आ. वीरेन्द्र वीर मेहता जी) :</strong> बहुत ही गंभीर मुद्दे को उठाया है आपने आदरणीय वीरेन्द्र वीर मेहता जी. भले ही लोग फेसबुक और व्हाट्सएप्प को टाइम पास समझें पर इसने हमारे समाज में गंभीर संकट उत्पन्न किये हैं. आपने न सिर्फ़ इस संकट के प्रति जागरूक किया है बल्कि समाधान भी सुझाया है. इस उम्दा लघुकथा और शानदार शीर्षक हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.</li>
<li><strong>डर (आ. ओमप्रकाश क्षत्रिय जी) :</strong> आपकी लघुकथा पर आदरणीय योगराज सर की टिप्पणी से मैं भी सहमत हूँ आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय जी. निश्चित तौर पर शुरू का अरिथमेटिक रचना के प्रवाह को बाधित कर रहा है. इसके इतर यह एक बढ़िया लघुकथा है जिस हेतु मेरी तरफ़ से भी हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.</li>
</ol> मुहतरम जनाब योगराज साहिब , ओ…tag:openbooks.ning.com,2018-06-01:5170231:Comment:9325292018-06-01T05:41:09.250ZTasdiq Ahmed Khanhttps://openbooks.ning.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>मुहतरम जनाब योगराज साहिब , ओ बी ओ ला इव लघुकथा गोष्ठी अंक _38 के त्वरित संकलन और कामयाब संचालन के लिए मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं |</p>
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<p>मुहतरम जनाब योगराज साहिब , ओ बी ओ ला इव लघुकथा गोष्ठी अंक _38 के त्वरित संकलन और कामयाब संचालन के लिए मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं |</p>
<p></p> आदरणीय भाई साहब नमस्कार.3 घंट…tag:openbooks.ning.com,2018-06-01:5170231:Comment:9323832018-06-01T03:40:29.482ZOmprakash Kshatriyahttps://openbooks.ning.com/profile/OmprakashKshatriya
आदरणीय भाई साहब नमस्कार.3 घंटे लगातार परेशां होने के बाद भी नेट नहीं चला और लघुकथा पोस्ट नहीं हो पाई. यह सोच कर निराश हो गया था. शिलांग यात्रा से लौट रहा था इसलिए आतेजाते नेटवर्क में लघुकथा पोस्ट कर पाया. मगर किसी की लघुकथा पढ़ नहीं पाया. अब संकलन के आने पर सभी को पढ़ लूंगा.<br />
हर बार की तरह इस बार भी तीव्र गति से संकलन निकालने के लिए आप को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं. आप की जीवटता और साहस को सलाम.
आदरणीय भाई साहब नमस्कार.3 घंटे लगातार परेशां होने के बाद भी नेट नहीं चला और लघुकथा पोस्ट नहीं हो पाई. यह सोच कर निराश हो गया था. शिलांग यात्रा से लौट रहा था इसलिए आतेजाते नेटवर्क में लघुकथा पोस्ट कर पाया. मगर किसी की लघुकथा पढ़ नहीं पाया. अब संकलन के आने पर सभी को पढ़ लूंगा.<br />
हर बार की तरह इस बार भी तीव्र गति से संकलन निकालने के लिए आप को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं. आप की जीवटता और साहस को सलाम. आदरणीय तेज़ जी ,आदरणीय नीता ज…tag:openbooks.ning.com,2018-06-01:5170231:Comment:9324292018-06-01T01:00:19.003ZBarkha Shuklahttps://openbooks.ning.com/profile/BarkhaShukla
<p>आदरणीय तेज़ जी ,आदरणीय नीता जी ,आदरणीय योगराज सर जी ,बहुत बहुत धन्यवाद रचना पसंद करने के लिए ,कल धन्यवाद प्रेषित नहीं कर पायी थी ,आभार ,सादर </p>
<p>आदरणीय तेज़ जी ,आदरणीय नीता जी ,आदरणीय योगराज सर जी ,बहुत बहुत धन्यवाद रचना पसंद करने के लिए ,कल धन्यवाद प्रेषित नहीं कर पायी थी ,आभार ,सादर </p> आदरणीय आरिफ़ जी आप ने मेरी लघ…tag:openbooks.ning.com,2018-06-01:5170231:Comment:9323802018-06-01T00:57:18.618ZBarkha Shuklahttps://openbooks.ning.com/profile/BarkhaShukla
<p>आदरणीय आरिफ़ जी आप ने मेरी लघुकथा को समय दिया ,उस पर उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ,आभार ,सादर </p>
<p>आदरणीय आरिफ़ जी आप ने मेरी लघुकथा को समय दिया ,उस पर उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ,आभार ,सादर </p>