"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-38 (विषय: "डर") - Open Books Online2024-03-29T15:25:54Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/38-2?id=5170231%3ATopic%3A930101&feed=yes&xn_auth=noउपरोक्त अंतिम 6-7 प्रविष्टियो…tag:openbooks.ning.com,2018-05-31:5170231:Comment:9325162018-05-31T18:25:58.670ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>उपरोक्त अंतिम 6-7 प्रविष्टियों ने इस गोष्ठी को बेहतरीन अंजाम तक पहुंचाया है।.हार्दिक आभार। </p>
<p>सभी सहभागी रचनाकारों को इस गंभीर विषय पर इस लघुकथा गोष्ठी को सफल बनाने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया और शुमकामनायें।</p>
<p>उपरोक्त अंतिम 6-7 प्रविष्टियों ने इस गोष्ठी को बेहतरीन अंजाम तक पहुंचाया है।.हार्दिक आभार। </p>
<p>सभी सहभागी रचनाकारों को इस गंभीर विषय पर इस लघुकथा गोष्ठी को सफल बनाने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया और शुमकामनायें।</p> वर्तमान परिस्थितियों व परिदृश…tag:openbooks.ning.com,2018-05-31:5170231:Comment:9323752018-05-31T18:22:14.374ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>वर्तमान परिस्थितियों व परिदृश्यों में डर को परिभाषित करती विचारोत्तेजक और समालोचनात्मक रचना सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और आभार मुहतरम जनाब ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' साहिब। कुछ एक टंकण त्रुटियाँ रह गईंं है। जैसे कि - असहाय के बाद 'से' की आवश्यकता नहीं है। शीर्षक बढ़िया है।</p>
<p>वर्तमान परिस्थितियों व परिदृश्यों में डर को परिभाषित करती विचारोत्तेजक और समालोचनात्मक रचना सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और आभार मुहतरम जनाब ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' साहिब। कुछ एक टंकण त्रुटियाँ रह गईंं है। जैसे कि - असहाय के बाद 'से' की आवश्यकता नहीं है। शीर्षक बढ़िया है।</p> रोज़मर्रा के सामजिक सरोकार को…tag:openbooks.ning.com,2018-05-31:5170231:Comment:9325152018-05-31T18:20:39.164Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>रोज़मर्रा के सामजिक सरोकार को केंद्र-बिंदु बनाकर उम्दा लघुकथा कही है भाई वीर मेहता जी. बधाई स्वीकार करें. </p>
<p>रोज़मर्रा के सामजिक सरोकार को केंद्र-बिंदु बनाकर उम्दा लघुकथा कही है भाई वीर मेहता जी. बधाई स्वीकार करें. </p> बढ़िया लघुकथा कही है आ० ओमप्रक…tag:openbooks.ning.com,2018-05-31:5170231:Comment:9323732018-05-31T18:19:19.540Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>बढ़िया लघुकथा कही है आ० ओमप्रकाश क्षत्रिय भाई जी. लेकिन शुरू का अरिथमेटिक रचना का प्रवाह बाधित कर रहा है .बहरहाल इसका अप्रत्याशित अंत बहुत पसंद आया जिस हेतु आपको बहुत बहुत बधाई.</p>
<p>बढ़िया लघुकथा कही है आ० ओमप्रकाश क्षत्रिय भाई जी. लेकिन शुरू का अरिथमेटिक रचना का प्रवाह बाधित कर रहा है .बहरहाल इसका अप्रत्याशित अंत बहुत पसंद आया जिस हेतु आपको बहुत बहुत बधाई.</p> लघुकथा अच्छी है आ० मनन कुमार…tag:openbooks.ning.com,2018-05-31:5170231:Comment:9326122018-05-31T18:16:17.419Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>लघुकथा अच्छी है आ० मनन कुमार सिंह जी, बधाई प्रेषित है. लेकिन आपने आधी लघुकथा के बाद एकदम भोजपुरी की तरफ रुख क्यों कर लिया? </p>
<p>लघुकथा अच्छी है आ० मनन कुमार सिंह जी, बधाई प्रेषित है. लेकिन आपने आधी लघुकथा के बाद एकदम भोजपुरी की तरफ रुख क्यों कर लिया? </p> बढ़िया लघुकथा हुई है भाई विनय…tag:openbooks.ning.com,2018-05-31:5170231:Comment:9326112018-05-31T18:14:36.692Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>बढ़िया लघुकथा हुई है भाई विनय कुमार सिंह जी, बधाई स्वीकार करें.</p>
<p>बढ़िया लघुकथा हुई है भाई विनय कुमार सिंह जी, बधाई स्वीकार करें.</p> बहुत ही गंभीर जन-जागरण और साम…tag:openbooks.ning.com,2018-05-31:5170231:Comment:9326102018-05-31T18:14:25.309ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत ही गंभीर जन-जागरण और सामाजिक सरोकार की बेहतरीन लघुकथा सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब वीरेन्दर वीर मेहता साहिब। कड़वा सच है, जो मैंने स्कूलों मेंं भी महिलाओं और छात्रों में बहुत ही अनुभव किया है। सत्य है। बच्चा-बच्चा माहौल से कुप्रभावित होकर देश के भावी भविष्य पर सवाल पैदा कर रहा है। ज्वलंत मुद्दे पर सकारात्मक समाधान के सथ उम्दा सृजन। शीर्षक भी सार्थक व सटीक।</p>
<p>बहुत ही गंभीर जन-जागरण और सामाजिक सरोकार की बेहतरीन लघुकथा सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब वीरेन्दर वीर मेहता साहिब। कड़वा सच है, जो मैंने स्कूलों मेंं भी महिलाओं और छात्रों में बहुत ही अनुभव किया है। सत्य है। बच्चा-बच्चा माहौल से कुप्रभावित होकर देश के भावी भविष्य पर सवाल पैदा कर रहा है। ज्वलंत मुद्दे पर सकारात्मक समाधान के सथ उम्दा सृजन। शीर्षक भी सार्थक व सटीक।</p> //"चिंता ना करो माँ! कितनी भ…tag:openbooks.ning.com,2018-05-31:5170231:Comment:9325142018-05-31T18:13:27.236Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>//<span>"चिंता ना करो माँ! कितनी भी ऊँची उड़ान भर</span><span> </span><span class="goog-spellcheck-word" id=":dh.35">लू</span><span>, मेरे पैर सदा ज़मीन से टिके रहेंगे</span><span>।</span><span>"//</span></p>
<p>बहुत ही सुंदर सन्देश है जिससे यकीनन मां के अन्दर का डॉ कम हुआ होगा. अच्छी लघुकथा है बधाई स्वीकारें, पोस्ट करने से पहले कम से कम भाषा/मात्राओं की गलतियाँ अवश्य चेक कर लिया करें. </p>
<p>//<span>"चिंता ना करो माँ! कितनी भी ऊँची उड़ान भर</span><span> </span><span class="goog-spellcheck-word" id=":dh.35">लू</span><span>, मेरे पैर सदा ज़मीन से टिके रहेंगे</span><span>।</span><span>"//</span></p>
<p>बहुत ही सुंदर सन्देश है जिससे यकीनन मां के अन्दर का डॉ कम हुआ होगा. अच्छी लघुकथा है बधाई स्वीकारें, पोस्ट करने से पहले कम से कम भाषा/मात्राओं की गलतियाँ अवश्य चेक कर लिया करें. </p> यह आपका स्नेह है भाई जी, हार्…tag:openbooks.ning.com,2018-05-31:5170231:Comment:9323722018-05-31T18:10:12.342Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>यह आपका स्नेह है भाई जी, हार्दिक आभार स्वीकार करें. </p>
<p>यह आपका स्नेह है भाई जी, हार्दिक आभार स्वीकार करें. </p> हार्दिक आभार भाई उस्मानी जी.…tag:openbooks.ning.com,2018-05-31:5170231:Comment:9326092018-05-31T18:09:27.711Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार भाई उस्मानी जी. पत्नी के संवाद आम बोलचाल की भाषा में करने का आपका सुझाव बेशकीमती है. </p>
<p>हार्दिक आभार भाई उस्मानी जी. पत्नी के संवाद आम बोलचाल की भाषा में करने का आपका सुझाव बेशकीमती है. </p>