For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुधिजनो !
 
दिनांक 16 मार्च 2014 को सम्पन्न हुए "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक - 36 जोकि होली विशेषांक था, समुचित सफलता के साथ सम्पन्न हुआ.  ओबीओ के आयोजनों की अघोषित परम्परा के अनुसार सम्पन्न हुए आयोजनों की समस्त स्वीकार्य प्रविष्टियों का संकलन प्रस्तुत होता है. किन्तु, इस बार कुछ बातें जोकि सक्रिय सदस्यों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन अधिक, कोई रपटनुमा चर्चा कहीं पीछे है.  

 

होली का प्रादुर्भाव न केवल ऋतुजन्य संक्रमण का द्योतक है बल्कि प्रकृति के समस्त जीवों के लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तन का मुखर प्रतीक है. ऐसी वातावरणीय-अवस्था प्रकृति के सबसे संवेदनशील प्राणि मनुष्य, जोकि सामाजिकतः समस्त पहलुओं के सापेक्ष जीता है, के लिए अत्यंत प्रभावी हुआ करती है. यह समझ में आनेवाली बात भी है. सभी जन मानों वर्जनाहीनता को सापेक्ष जीते हुए अनुमन्य उच्छृंखलता को सचेत हो कर अनुशासित ढंग से बरतते हैं ! सद्यः समाप्त छंदोत्सव इस मानवीय-व्यवहार का सुन्दर उदाहरण साबित हुआ.  

 

किसी मंच के ऐसे आयोजनों से यदि आत्मीय सदस्यों का भावनात्मक रूप से जुड़ाव बन जाये तो आश्चर्य नहीं है. ई-पत्रिका ओबीओ के प्रधान सम्पादक आदरणीय श्री योगराज प्रभाकरजी का मंच के आयोजनों से हुआ व्यक्तिगत जुड़ाव इसी रूप में देखा जाना चाहिए. आप शारीरिक और मानसिक ही नहीं, भावनात्मक रूप से भी पिछले साल यानि 2013 में जिस विकट अवस्था से गुजर रहे थे, वह सोचकर ही रीढ़ सिहर उठती है. सारे कुछ को एक शब्द में समेटा जाय तो वह अकल्पनीय था. एवं, इसकी बार-बार चर्चा उत्साहजनक परिणाम का कारण तो कत्तई नहीं हो सकती. परमपिता परमेश्वर के महती आशीष और अपनी व्यक्तिगत जीवनीशक्ति की सान्द्रता के कारण आप न केवल स्वस्थ हुए, बल्कि पिछले वर्ष की सारी कसर निकालते हुए जिस तरीके से आपने अपनी भागीदारी दर्ज़ की वह हमसभी के लिए निर्मल आनन्द का कारण बन गयी.

 

फिर तो, सद्यः सम्पन्न हुए आयोजन में प्रस्तुतियों पर प्रस्तुतियों और प्रतिक्रियाओं पर प्रतिक्रियाओं का जो आनन्ददायक दौर चला कि दो-दिवसीय आयोजन की समस्त टिप्पणियों की कुल संख्या एक हजार के पार हो गयी. टिप्पणियाँ भी छंद में ! यह सारा कुछ किसी अंतर्जालीय मंच के लिए रिकॉर्ड हो सकता है.

 

इस बार के छंदोत्सव में छंद के तौर पर सार छंद के विशिष्ट प्रारूप छन्न पकैया  तथा कह-मुकरी  को लिया गया था. अपनी सहजता और अपने अंतर्निहित लालित्य के कारण ये दोनों छंद सभी प्रतिभागियों के लिए उत्प्रेरक साबित हुए. होली त्यौहार की सनातन विशेषता मस्ती, उल्लास, उच्छृंखलता और पारम्परिक वर्जनाहीनता को स्वयं में समेटे यह आयोजन मंच के अभीतक के इतिहास में एक स्तम्भ की तरह अपना स्थान बना गया.

 

इस बार सभी रचनाओं को समेट कर प्रस्तुत करने का अर्थ होगा उस अलमस्त वातावरण से उन पाठकों को महरूम करना जो उस जीवंत वातावरण को कतिपय कारणों से जी नहीं पाये. अतः, इस बार न रचनाओं का संकलन, न विधाजन्य कोई बाध्यता या सलाह ! यानि, जो है जैसा है की तर्ज़ पर उस माहौल को जब चाहिए सभी जीयें और उसका बार-बार आनन्द लें.

 

http://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/cskt36?groupU...

 

चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के अगले अंक तक के लिए शुभ विदा.

 

सादर
सौरभ पाण्डेय
संचालक - ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव

 

Views: 2014

Replies to This Discussion

आदरणीय सौरभ सर, परमपिता परमेश्वर ने हमें वेद प्रदान किया और वेदों में अन्तर्निहित सनातन तत्वों को समझने के लिए वेदांग प्रकाश में आये| शिक्षा, छंद, व्याकरण, निरुक्त, कल्प, ज्योतिष सभी एक दूसरे के पूरक हैं किन्तु विगत होलिकोत्सव में इस मंच पर उपलब्ध छांदस समाज ने जिस तरह की रसधारा प्रवाहित की वह अनुपम है, अतुलनीय है और अकथनीय भी|   

सद्यः समाप्त हुए छंदोत्सव पर हुई इस चर्चा को अनुमोदित करने के लिए आपका आभार आदरणीय मनोजजी.

आदरणीय सौरभ जी आयोजन की सफलता तो जैसे अपने चरम सीमा को पार कर रही थी।  छन्दोउत्सव का आनंद व्यक्त कर सकता कठिन हो रहा है , रस की गंगा इतने वेग से प्रवाहित हो रही थी कि चाह नहीं थी कि इस गंगा से बाहर आया जाए।

यह आनंद अप्रतिम है फिर भी एक गुजारिश है यदि रचनाएं भी साथ में संकलित की जाये तो उन सभी रचनाओ को भी एक पृष्ठ पर पढ़ना अलग ही आनंद होगा , सभी छंद रिप्लाई वाले भी , उसमे पृष्ठ नहीं पलटना पड़ेगा :)।  आगे जैसा आप सभी चाहे।  हम सुन्दर आयोजन के लिए बधाई और आभार कहना चाहते है

छन्न पकैया छन्न पकैया , आभार कहूं सर जी

मै तो बस लिखना ही चांहू , फिर रब की है मर्जी।  …………। आनंद समाप्त नहीं हुआ :) शुभकामनाओ सहित।

आदरणीया शशिजी, कोई आयोजन आप जैसे सदस्यों के कारण ही सफल होता है. आपको सद्यः समाप्त हुआ छंदोत्सव का आयोजन रुचिकर भी लगा यह इस मंच की कोशिशों को मिला अमूल्य अनुमोदन भी है.

यह अवश्य है, आदरणीया, कि कई बार कई सदस्य कई कारणों से आयोजन में भागीदारी नहीं निभा पाते. ऐसे आत्मीयजनों के लिए संकलन बहुत बड़ा लाभ होते हैं.
आपने कहा भी है - 
//यदि रचनाएं भी साथ में संकलित की जाये तो उन सभी रचनाओ को भी एक पृष्ठ पर पढ़ना अलग ही आनंद होगा , सभी छंद रिप्लाई वाले भी , उसमे पृष्ठ नहीं पलटना पड़ेगा //

आपका सुझाव अनुमन्य है, आदरणीया.
लेकिन लगता है कि आप इस बार की चर्चा में मेरे कहे का निहितार्थ समझ नहीं पायीं हैं.
सभी रचनायें संकलित हों और उनके साथ सभी प्रतिक्रियाएँ भी संलग्न हों, जैसा कि पिछले आयोजन के समय संभव हुआ था, का सुझाव ठीक है. लेकिन मेरा इतना ही कहना है कि क्या ऐसा कोई कार्य और निवेदन उस माहौल को पुनः रच पायेगा जो आयोजन के दौरान संभव हो पाया था ? मुझे नहीं लगता.

दूसरी बात, सारी रचनाओं और सारी प्रतिक्रियाओं की संख्या क्या होगी इसका अनुमान है, आदरणीया ?

और, उस कारण कितने पृष्ठों का मैटर बनेगा, आप सोच पा ही हैं ? समाप्त हुए उक्त आयोजन के कुल पृष्ठों में से मात्र कुछ पॄष्ठ निकाल दिये जायें उतना बड़ा !!

कारण कि लगभग हर रचना अपने साथ कई-कई प्रतिक्रिया-छंदों के साथ नमूदार हुई थी !  
यानि, प्रस्तुत हुए रचना-संकलन में होली-उत्सव का वह माहौल तो नहीं ही बन पायेगा, ८०+ पृष्ठ से बीसेक पृष्ठ हटा दिये जायें उतने पृष्ठों का मैटर भी बन जायेगा !! ..
ऐसे में छंदोत्सव आयोजन के कुल पृष्ठ ही क्या गलत हैं ?

सादर

आदरणीय सौरभ भाई , छ्न्दोत्सव के होली विशेषांक के सफल आयोजन के लिये , आपको , आ. योगराज भाई को , आदरणीय प्राची जी को एवँ  समस्त प्रतिभागियों को बहुत बहुत बधाइयाँ ॥

समस्त रचनाओं को प्रतिक्रियाओं के साथ वैसे ही वास्तविक रूप मे रखने का मैं दिल से स्वागत करता हूँ , और इस सही फैसले के लिये आपका अलग से बहुत बहुत शुक्रिया कह रहा हूँ । उन चित्रों और प्रतिक्रियाओं के साथ कई बार मै और मेरे करीबी मित्र  और रिश्ते दार उस माहौल को जी चुके हैं । सच कहूँ , उनको भी बहुत मज़ा आया ॥ मेरे फोटो को तो मेरा भांजा कापी करके रख भी लिया है , इसके लिये आ. योगराज भाई को पुनः धन्यवाद ॥  

आदरणीय गिरिराजभाईजी, आपने मेरी पहल को गहराई से समझा इसके लिए वस्तुतः हृदय से आभारी हूँ.


जिस सात्विकता से इस बार होली में उधम मचाया गया है, वह अवर्णनीय है. सभी सक्रिय सदस्यों के मुखर सहयोग के बिना क्या यह धमाल संभव था ? आखिर उत्सव को साहित्यिक रूप से जीना और होता ही क्या है ?
इस चर्चा पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आपका पुनः आभार
सादर

इस बार का आयोजन दिल में अपने स्थाईत्व को प्राप्त कर चुका है जो पुनः पुनः उसी रंगबिरंगी रस धार में बहा ले जाता है ,या यूँ कहिये जब जरा गर्दन झुका ली देख ली तस्वीर- ऐ -यार.

इस बार न रचनाओं का संकलन, न विधाजन्य कोई बाध्यता या सलाह ! यानि, जो है जैसा है की तर्ज़ पर. 

सही कहा आदरणीय सौरभ जी ,जो माहौल रंग उन प्रष्ठों पर बिखरा हुआ है वैसा दुबारा कहाँ हो पायेगा  ----ये आयोजन तो अगली होली तक दिलों में संकलित हो गया है.इस बेहतरीन चर्चा हेतु आपको बधाई. आदरणीय योगराज जी की तन मन से पूरी शिद्दत के साथ सहभागिता से जो माहौल शुरू से बना उसके लिए आ० योगराज जी को बधाई ,आयोजन से जुड़े सभी बंधुओं को हार्दिक बधाई.  

आपको भी धन्यवाद,आदरणीया राजेश कुमारीजी और आपको भी बधाई. बउराई आप भी कम नहीं थीं .. :-)))))

आपकी ऊर्जस्वी चेतना और आपके प्रखर रचनाधर्मिता को मेरा नमन !

सादर

आदरणीय सौरभ जी 

बिलकुल सही  ... इस बार यदि संकलन किया जाता तो क्या छोड़ें क्या न छोड़ें में ही संकलन कर्ता उलझ जाता और जो उल्लास, ठिठोली, आनंद, लालित्य आयोजन में शुरू से ही तारी रहा उसे संजो पाने में न्याय नहीं कर पाता.... बार बार कई बार आयोजन के पन्नों से गुजरना...और पुनः पुनः होली के उल्लास को जी जाना आज तक लुभा रहा है..

इस बार के छन्दोत्सव की ख़ास उपलब्धि मेरे लिए तो ये रही कि मेरे साथ-साथ ही इस बार मेरे पतिदेव नें भी बीच बीच में छन्दोत्सव का आनंद लिया.....:))

साथ ही बेटा भी 'कह-मुकरी' को 'छः-मुकरी' के नाम से जान गया :)))  साथ ही घर पर छन्न पकैया छन्न पकैया उन दोनों के मुहँ से सुन कर आज भी मज़ा आ जाता है ...हाहाहा :))

सचमुच एक आश्चर्य भरा गर्व अनुभव होता है... जब ओबीओ पर सात्विक छंद रसधार में संतृप्त होने तक ऑनलाइन किसी उत्सव का जी भर आनंद लिया जाता है....  

यकीनन इस बार का छन्दोत्सव मंच के अभीतक के इतिहास में एक स्तम्भ की तरह अपना स्थान बना गया.. 

उत्सव के कुशल संचालन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई और आदरणीय प्रधान सम्पादक महोदय को आयोजन की सफलता के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं..

सादर.

आदरणीया प्राचीजी, आपके समर्थ प्रयासों को उक्त आयोजन के परिप्रेक्ष्य में सदा याद किया जायेगा.
आदरणीय मुकेशजी और चि. दिव्यांश का भी आयोजन के दौरान आनन्द लेना आपके लिए व्यक्तिगत उपलब्धि तो है ही हम सभी के लिए भी गर्व का विषय है, कि, काव्य-विधा से इतने जुड़े न होने के बावज़ूद हमारे वो पारिवारिक सदस्य आयोजन से इतना जुड़ाव महसूस कर सके.


आपने मेरे निर्णय को अनुमोदित किया इसके लिए आपका आभारी हूँ.
सादर

'जो है जैसा है' का ये फैसला काबिले तारीफ है, इस चर्चा के आने से पहले मैं भी कई बार इस छंदोत्सव का मुआयना कर चुका हूँ, और हर बार एक अलग ही मज़े से दो चार हो जाता हूँ. मोहतरम जनाब योगराज साहब ने इस बार के उत्सव में जो तस्वीरों का छौंक लगाया, उसकी महक फजाओं में अभी तक फ़ैल रही है. वाकई ये एक रिकॉर्ड में शुमार होना चाहिए, इसलिए नहीं के रिप्लाई ज्यादा आये बल्कि इसलिए के ज़यादातर रिप्लाई खुद में एक पूर्ण छंद थे. वाकई वो माहौल सारी रचनाएँ एक साथ इकट्ठी करके डालने के बावजूद पैदा नहीं किया जा सकता. जब में इस बार उत्सव के लिए रिप्लाई दे रहा था तो मेरे दोस्त भी मेरे साथ शामिल थे, और छन्न पकैया का पूरा मज़ा उठा रहे थे, होली का पूरा मज़ा लिया हम सबने मिलकर, मेरी तस्वीर देखकर तो वो हंसकर लोट पोट हो गए.. :))))))
इस बार कुछ जाने पहचाने चेहरें दिखाई नहीं दिए, ये थोडा अजीब ज़रूर लगा, शायद बिजी रहे हों. इस छंदोत्सव की कामयाबी पर मेरी तरफ से पूरी ओबीओ टीम को पुरखुलूस मुबारकबाद. इंशाअल्लाह आगे की इवेंट्स भी इसी तरह कामयाबी की नयी मिसाल बनेंगी.

स्पष्ट रूप से कह दूँ इमरानभाईजी कि इस बार के आयोजन में आपकी उपस्थिति हम सभी के लिए सुखद आश्चर्य का कारण रही.
एक, आप एक लम्बे अरसे अत्यंत व्यस्त चल रहे हैं. इतना कि कई नये किन्तु अत्यंत सक्रिय सदस्य भी आपको कोई नया सदस्य समझ लेने की भूल कर बैठते हैं !
दूसरे, आपने मेरे जाने में पहली बार इस आयोजन में ही ग़ज़ल के अलावे छंदों में इस तरीके हाथ आज़माया है !
उपरोक्त दोनों कारण हमसभी को अभिभूत कर देने के लिए काफ़ी हैं.  और, क्या परिणाम आया है साहब, आपके उन्नत प्रयासों का !
बस .. बधाई बधाई बधाई !

आपने पूरे आयोजन में जिस आत्मीयता और दायित्व निर्वहन की भावना के साथ अपनी उपस्थिति बनाये रखी, उसके लिए विशेष धन्यवाद.
शुभ-शुभ

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
9 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service