"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-31 (विषय: फ़रिश्ते) - Open Books Online2024-03-28T20:04:13Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/31-1?id=5170231%3ATopic%3A887546&feed=yes&xn_auth=noइस गोष्ठी को सफल बनाने के लिए…tag:openbooks.ning.com,2017-10-31:5170231:Comment:8940222017-10-31T18:31:50.725Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>इस गोष्ठी को सफल बनाने के लिए सभी सुधि साथिओं का हार्दिक आभार.</p>
<p>इस गोष्ठी को सफल बनाने के लिए सभी सुधि साथिओं का हार्दिक आभार.</p> पल भर में सुख या ख़ुशी देने व…tag:openbooks.ning.com,2017-10-31:5170231:Comment:8941122017-10-31T18:29:41.184ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
पल भर में सुख या ख़ुशी देने वाले बच्चे फ़रिश्ते ही तो हैं। बहुत बढ़िया कथानक।
पल भर में सुख या ख़ुशी देने वाले बच्चे फ़रिश्ते ही तो हैं। बहुत बढ़िया कथानक। अच्छी लघुकथा है आ. अन्नपूर्णा…tag:openbooks.ning.com,2017-10-31:5170231:Comment:8941112017-10-31T18:28:27.069ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>अच्छी लघुकथा है आ. अन्नपूर्णा जी. संवाद प्रभावोत्पादक हैं. हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.</p>
<p>अच्छी लघुकथा है आ. अन्नपूर्णा जी. संवाद प्रभावोत्पादक हैं. हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.</p> हार्दिक स्वागत। बहुत सुन्दर प…tag:openbooks.ning.com,2017-10-31:5170231:Comment:8941102017-10-31T18:26:27.841ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
हार्दिक स्वागत। बहुत सुन्दर प्रस्तुति। बहुत-बहुत बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी।
हार्दिक स्वागत। बहुत सुन्दर प्रस्तुति। बहुत-बहुत बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी। आदरणीया वसुधा गाडगिल जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2017-10-31:5170231:Comment:8941082017-10-31T18:24:55.579ZMohammed Arifhttps://openbooks.ning.com/profile/MohammedArif
आदरणीया वसुधा गाडगिल जी आदाब, विषयांतर्गत बहुत ही बढ़िया लघुकथा की सौग़ात । आपने बहुत देर कर दी । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीया वसुधा गाडगिल जी आदाब, विषयांतर्गत बहुत ही बढ़िया लघुकथा की सौग़ात । आपने बहुत देर कर दी । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आग्रह - लघु कथा
----------…tag:openbooks.ning.com,2017-10-31:5170231:Comment:8941072017-10-31T18:24:23.818Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p> आग्रह - लघु कथा </p>
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<p>मनमोहन जी अपनी धुन में चलते जा रहे थे । एक रोबोट की भांति , आंखे शून्य को ताकती हुयी । अचानक किसी चीज से टकराए और धड़ाम से गिर पड़े । गिर कर माथा फट गया था उनका , और रक्त की धारा बह निकली । तब जाकर होश आया कि वे कहाँ चल रहे थे और अपने घर से कितनी दूर निकल आए है । वही पर धम्म से बैठ गए और सोचने लगे , " क्या क़ुसूर था मेरा ? केवल यही न कि मैं सबको एक साथ देखना चाहता था । सबके साथ रहना चाहता था । और गले में पड़े अङ्गौचे से अपना मुंह…</p>
<p> आग्रह - लघु कथा </p>
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<p>मनमोहन जी अपनी धुन में चलते जा रहे थे । एक रोबोट की भांति , आंखे शून्य को ताकती हुयी । अचानक किसी चीज से टकराए और धड़ाम से गिर पड़े । गिर कर माथा फट गया था उनका , और रक्त की धारा बह निकली । तब जाकर होश आया कि वे कहाँ चल रहे थे और अपने घर से कितनी दूर निकल आए है । वही पर धम्म से बैठ गए और सोचने लगे , " क्या क़ुसूर था मेरा ? केवल यही न कि मैं सबको एक साथ देखना चाहता था । सबके साथ रहना चाहता था । और गले में पड़े अङ्गौचे से अपना मुंह पोछने लगे । खून रिसना अभी भी जारी था ।</p>
<p>उनके कानों में बेटे शब्द पिघले सीसे की तरह उतर रहे थे , " अब आप अपना कोई ठौर ठिकाना ढूंढ लीजिये , हम आपको कब तक पालते रहेंगे ?" सोचते सोचते आंखे बह चली और दिमाग सुन्न होने लगा । हृदय पर लगी चोट , सिर की चोट से कहीं ज्यादा गहरी थी । </p>
<p>" देख रही हो वसुधा ! जब से तुम गईं , मैंने इन बच्चों को माँ बन कर पाला । और आज इनहोने मुझे मेरी असली जगह बता दी । इनके प्यार में अंधे होकर मैंने अपनी सारी संपत्ति उनके नाम कर दी । लेकिन ये नाकारा औलादें ।" और फिर से फूट-फूट कर रो पड़े । </p>
<p>उनको वहाँ इस तरह बैठे काफी समय हो गया । दिन भी झुकने लगा था । अचानक एक जोड़ी नन्हें हाथ उनको गालों पर सूख गए आंसुओं को पोछने की नाकाम सी कोशिश करने लगे । उन्होने अपना सिर उठाया । देखा एक छोटा सा बच्चा उनके कंधों पर झुका हुआ है । उनसे नजर मिलते ही मुस्कुराया , बोला " तुम क्यों लो लहे हो बाबा ? क्या तुम्हाली मम्मी ने माला है , लोटी नई खायी क्या ?? चलो मेले घल माँ तुमको लोटी खिला देगी । " और अधिकार पूर्वक हाथ पकड़ कर घसीटते हुये पास ही स्थित अपने घर ले चला । उसके इतने भोले आग्रह को टाल न सके मनमोहन जी । कुछ देर को ही सही उनका दुःख काफ़ुर हो गया था । </p>
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<p>मौलिक एवं अप्रकाशित </p>
<p></p> वाह| बढ़िया सन्देश देती हुई आप…tag:openbooks.ning.com,2017-10-31:5170231:Comment:8939962017-10-31T18:21:22.506ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>वाह| बढ़िया सन्देश देती हुई आपकी यह कथा बहुत सुंदर हुई है, बधाई स्वीकारें आदरणीया वसुधा जी|</p>
<p>वाह| बढ़िया सन्देश देती हुई आपकी यह कथा बहुत सुंदर हुई है, बधाई स्वीकारें आदरणीया वसुधा जी|</p> (सरकारी) स्कूलों की दशा वाकई…tag:openbooks.ning.com,2017-10-31:5170231:Comment:8940192017-10-31T18:15:42.456ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>(सरकारी) स्कूलों की दशा वाकई में बहुत दयनीय है आ. वसुधा जी. मूलभूत आवश्यकताओं तक की पूर्ती नहीं हो पाती. इस विषय पर आपने एक अच्छी लघुकथा लिखी है. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. टंकण त्रुटियों को देख लीजिएगा. सादर.</p>
<p>(सरकारी) स्कूलों की दशा वाकई में बहुत दयनीय है आ. वसुधा जी. मूलभूत आवश्यकताओं तक की पूर्ती नहीं हो पाती. इस विषय पर आपने एक अच्छी लघुकथा लिखी है. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. टंकण त्रुटियों को देख लीजिएगा. सादर.</p> विषयांतर्गत बहुत बढ़िया संदेश…tag:openbooks.ning.com,2017-10-31:5170231:Comment:8938052017-10-31T18:12:38.895ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
विषयांतर्गत बहुत बढ़िया संदेश वाहक रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीया वसुधा गाडगिल जी। गोष्ठी के प्रति आपकी रुचि व सहभागिता के लिए सादर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
विषयांतर्गत बहुत बढ़िया संदेश वाहक रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीया वसुधा गाडगिल जी। गोष्ठी के प्रति आपकी रुचि व सहभागिता के लिए सादर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। सर मुझे याद है आपने कहा था ,ल…tag:openbooks.ning.com,2017-10-31:5170231:Comment:8939932017-10-31T18:03:24.245ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>सर मुझे याद है आपने कहा था ,लघुकथा की फैक्ट्री खोली है क्या? उस दौरान सावधान न किया होता आपने तो आज भी वहीँ लिख रही होती :)</p>
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<p>सर मुझे याद है आपने कहा था ,लघुकथा की फैक्ट्री खोली है क्या? उस दौरान सावधान न किया होता आपने तो आज भी वहीँ लिख रही होती :)</p>
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