"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-3 में स्वीकृत लघुकथाएँ - Open Books Online2024-03-29T07:17:12Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/3-1?commentId=5170231%3AComment%3A671431&feed=yes&xn_auth=noमालूम है न - आदरणीय योगराज भा…tag:openbooks.ning.com,2015-07-09:5170231:Comment:6746262015-07-09T12:10:00.565ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>मालूम है न - आदरणीय योगराज भाईसाहब !</p>
<p>:-))))))))))</p>
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<p>मालूम है न - आदरणीय योगराज भाईसाहब !</p>
<p>:-))))))))))</p>
<p></p> यथा निवेदित - तथा प्रतिस्थापितtag:openbooks.ning.com,2015-07-09:5170231:Comment:6745102015-07-09T09:56:43.820Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>यथा निवेदित - तथा प्रतिस्थापित</p>
<p>यथा निवेदित - तथा प्रतिस्थापित</p> आपकी कमी इस आयोजन में खलती रह…tag:openbooks.ning.com,2015-07-09:5170231:Comment:6746142015-07-09T09:48:48.639Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आपकी कमी इस आयोजन में खलती रही भाई जीतेंदर जी।</p>
<p>आपकी कमी इस आयोजन में खलती रही भाई जीतेंदर जी।</p> मेरा भी यही अनुमान है आ० गिरि…tag:openbooks.ning.com,2015-07-09:5170231:Comment:6742892015-07-09T09:47:27.161Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>मेरा भी यही अनुमान है आ० गिरिराज भंडारी जी।</p>
<p>मेरा भी यही अनुमान है आ० गिरिराज भंडारी जी।</p> दुर्भाग्य से दोनों ही अभी भी…tag:openbooks.ning.com,2015-07-09:5170231:Comment:6746092015-07-09T09:42:02.792Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>दुर्भाग्य से दोनों ही अभी भी आई सी यू में हैं सर। <br/>खुजली का अब क्या कहें हुजूर - मगर मजबूरी का नाम आपको पता ही है। :))))</p>
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<p>दुर्भाग्य से दोनों ही अभी भी आई सी यू में हैं सर। <br/>खुजली का अब क्या कहें हुजूर - मगर मजबूरी का नाम आपको पता ही है। :))))</p>
<p></p> हार्दिक आभार आ० शशि बांसल जी।tag:openbooks.ning.com,2015-07-09:5170231:Comment:6744062015-07-09T09:39:17.094Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार आ० शशि बांसल जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आ० शशि बांसल जी।</p> हार्दिक आभार आ० रेनू भारती जी…tag:openbooks.ning.com,2015-07-09:5170231:Comment:6742882015-07-09T09:37:30.094Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार आ० रेनू भारती जी। आशा करता हूँ कि अगले आयोजन में आपकी रचना साथ साथ, बाकी रचनाकारों की लघुकथाओं पर आपकी टिप्पणियाँ भी देखने को मिलेंगी।</p>
<p>हार्दिक आभार आ० रेनू भारती जी। आशा करता हूँ कि अगले आयोजन में आपकी रचना साथ साथ, बाकी रचनाकारों की लघुकथाओं पर आपकी टिप्पणियाँ भी देखने को मिलेंगी।</p> हार्दिक आभार आ० जवाहर लाल सिं…tag:openbooks.ning.com,2015-07-09:5170231:Comment:6741042015-07-09T09:35:21.107Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार आ० जवाहर लाल सिंह जी। आप अपनी रचना में संशोधन के लिए अवश्य कह सकते हैं।</p>
<p>हार्दिक आभार आ० जवाहर लाल सिंह जी। आप अपनी रचना में संशोधन के लिए अवश्य कह सकते हैं।</p> हार्दिक आभार आ० राजेश कुमारी…tag:openbooks.ning.com,2015-07-09:5170231:Comment:6742862015-07-09T09:33:18.811Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार आ० राजेश कुमारी जी।</p>
<p>हार्दिक आभार आ० राजेश कुमारी जी।</p> आ० रीता गुप्ता जी। प्राय: सोश…tag:openbooks.ning.com,2015-07-09:5170231:Comment:6742842015-07-09T09:32:43.357Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आ० रीता गुप्ता जी। प्राय: सोशल मीडिया से आने वाले साथियों को इस मंच के अनुशासित वातावरण और व्यवस्थित ताने बाने से तालमेल बिठाने में दिक्कत आती है। बहरहाल, आप यहाँ बनी रहें तो सब कुछ समझ में आ जाएगा।</p>
<p>आ० रीता गुप्ता जी। प्राय: सोशल मीडिया से आने वाले साथियों को इस मंच के अनुशासित वातावरण और व्यवस्थित ताने बाने से तालमेल बिठाने में दिक्कत आती है। बहरहाल, आप यहाँ बनी रहें तो सब कुछ समझ में आ जाएगा।</p>