लखनऊ चैप्टर की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन 19 जनवरी को कानपुर कनिष्का होटल मे -- एक रिपोर्ट - Open Books Online2024-03-29T04:32:47Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/19?commentId=5170231%3AComment%3A505956&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय कुशवाहा जी आपकी कविता…tag:openbooks.ning.com,2014-02-06:5170231:Comment:5088092014-02-06T17:20:49.557Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>आदरणीय कुशवाहा जी आपकी कविता की पंक्तियाँ मै भूल गई हूँ , आपका आभार होगा आप अपनी कविता की पंक्तियाँ रिप्लाई बॉक्स मे डाल दीजिये । </p>
<p>आदरणीय कुशवाहा जी आपकी कविता की पंक्तियाँ मै भूल गई हूँ , आपका आभार होगा आप अपनी कविता की पंक्तियाँ रिप्लाई बॉक्स मे डाल दीजिये । </p> मेरी मूछ कविता का उल्लेख भले…tag:openbooks.ning.com,2014-02-06:5170231:Comment:5082872014-02-06T09:21:32.304ZPRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHAhttps://openbooks.ning.com/profile/PRADEEPKUMARSINGHKUSHWAHA
<p>मेरी मूछ कविता का उल्लेख भले इस रिपोर्ट में न हो पर आदरणीया द्वारा सफल आयोजन इस बात का प्रमाण है की जैसी आशंका थी की धरती पर ये आयोजन लगातार हो नहीं पायेंगे. निर्मूल साबित हुई है. और मेरी मूछ का मान रखा . बधाई कानपुर .</p>
<p>मेरी मूछ कविता का उल्लेख भले इस रिपोर्ट में न हो पर आदरणीया द्वारा सफल आयोजन इस बात का प्रमाण है की जैसी आशंका थी की धरती पर ये आयोजन लगातार हो नहीं पायेंगे. निर्मूल साबित हुई है. और मेरी मूछ का मान रखा . बधाई कानपुर .</p> आभार आपका ....आप वहा उपस्थित…tag:openbooks.ning.com,2014-01-31:5170231:Comment:5060332014-01-31T17:07:02.347Zsavitamishrahttps://openbooks.ning.com/profile/savitamisra
<p>आभार आपका ....आप वहा उपस्थित थे इस लिए ....हम तो चित्र देख कयास लगा रहे थे कैसा गया</p>
<p>आभार आपका ....आप वहा उपस्थित थे इस लिए ....हम तो चित्र देख कयास लगा रहे थे कैसा गया</p> आ0 मीना दी आपका सहयोग भी कम न…tag:openbooks.ning.com,2014-01-31:5170231:Comment:5059962014-01-31T15:33:25.671Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>आ0 मीना दी आपका सहयोग भी कम नहीं है । आपकी बातें मुझे नई ऊर्जा से भर देती थी । आपका स्नेह एवं आशीर्वाद यूं ही मिलता रहेगा । </p>
<p>आ0 मीना दी आपका सहयोग भी कम नहीं है । आपकी बातें मुझे नई ऊर्जा से भर देती थी । आपका स्नेह एवं आशीर्वाद यूं ही मिलता रहेगा । </p> आदरणीय योगराज जी आपका हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2014-01-31:5170231:Comment:5060252014-01-31T15:30:14.427Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>आदरणीय योगराज जी आपका हार्दिक आभार ,अगले आयोजन मे आप सभी का मै इंतजार करूंगी और स्वागत करना चाहूंगी । सादर । </p>
<p>आदरणीय योगराज जी आपका हार्दिक आभार ,अगले आयोजन मे आप सभी का मै इंतजार करूंगी और स्वागत करना चाहूंगी । सादर । </p> वाह !! वाह !! आ0 सविता जी बहु…tag:openbooks.ning.com,2014-01-31:5170231:Comment:5059922014-01-31T15:26:04.899Zannapurna bajpaihttps://openbooks.ning.com/profile/annapurnabajpai
<p>वाह !! वाह !! आ0 सविता जी बहुत खूब । आपको बधाई इस रचना के लिए , सच इस ओर तो ध्यान गया ही नहीं । </p>
<p>वाह !! वाह !! आ0 सविता जी बहुत खूब । आपको बधाई इस रचना के लिए , सच इस ओर तो ध्यान गया ही नहीं । </p> सोचना अलग बात है और उस पर अमल…tag:openbooks.ning.com,2014-01-31:5170231:Comment:5059562014-01-31T08:29:45.691ZMeena Pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>सोचना अलग बात है और उस पर अमल करना अलग बात | मै लखनऊ की गोष्ठी मे नही जा पाती थी तो सोचती थी कि काश ये गोष्ठी कानपुर मे होती ..मेरी इस सोच को अमली जामा पहनाया आ० अन्नपूर्णा जी ने ..उनकी लगन और मेहनत का नतीजा था कि ओबीओ लखनऊ चैप्टर की गोष्ठी कानपुर मे हुई और सफल रही इसके लिए बहुत बहुत बधाई आ० अन्नपूर्णा जी को | आ० बृजेश जी से मै भी सहमत हूँ ..आ० सौरभ सर आ० बागी जी और आ० वीनस जी की कमी खली ..अपने वरिष्ठों को ना सुन पाना भी बहुत खला | मैंने अपनी रचना बहुत डरते डरते पढ़ी थी उम्मीद नही थी कि…</p>
<p>सोचना अलग बात है और उस पर अमल करना अलग बात | मै लखनऊ की गोष्ठी मे नही जा पाती थी तो सोचती थी कि काश ये गोष्ठी कानपुर मे होती ..मेरी इस सोच को अमली जामा पहनाया आ० अन्नपूर्णा जी ने ..उनकी लगन और मेहनत का नतीजा था कि ओबीओ लखनऊ चैप्टर की गोष्ठी कानपुर मे हुई और सफल रही इसके लिए बहुत बहुत बधाई आ० अन्नपूर्णा जी को | आ० बृजेश जी से मै भी सहमत हूँ ..आ० सौरभ सर आ० बागी जी और आ० वीनस जी की कमी खली ..अपने वरिष्ठों को ना सुन पाना भी बहुत खला | मैंने अपनी रचना बहुत डरते डरते पढ़ी थी उम्मीद नही थी कि सराहना मिलेगी पर उम्मीद से बहुत ज्यादा मिली ..मै वहाँ उपस्थित सभी सुधीजनों की हृदयतल आभारी हूँ आप सभी की तालियों और वाहवाहियों से मै वहाँ भी भावुक हो गई थी और यहाँ रिपोर्ट पर आप सब का जो स्नेह मुझ पर बरस रहा है वो पढ़ कर भी भावुक हो रही हूँ | आप सभी का स्नेह यूँ ही मिलता रहेगा यही उम्मीद करती हूँ | अन्नपूर्णा जी का पुन: आभार और ढेरों शुभकामनाएँ</p> बहुत बहुत आभार अन्नपूर्णा जी tag:openbooks.ning.com,2014-01-31:5170231:Comment:5059532014-01-31T08:24:47.928ZMeena Pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>बहुत बहुत आभार अन्नपूर्णा जी </p>
<p>बहुत बहुत आभार अन्नपूर्णा जी </p> सादर आभार आ० सविता जी tag:openbooks.ning.com,2014-01-31:5170231:Comment:5059512014-01-31T08:23:53.285ZMeena Pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>सादर आभार आ० सविता जी </p>
<p>सादर आभार आ० सविता जी </p> आदरणीय बृजेश जी मेरी इस उपलब्…tag:openbooks.ning.com,2014-01-31:5170231:Comment:5056942014-01-31T08:22:51.964ZMeena Pathakhttps://openbooks.ning.com/profile/MeenaPathak
<p>आदरणीय बृजेश जी मेरी इस उपलब्धि मे आप का भी सहयोग है, आप के सहयोग और मार्गदर्शन के लिए मै बहुत आभारी हूँ आप की | सादर </p>
<p>आदरणीय बृजेश जी मेरी इस उपलब्धि मे आप का भी सहयोग है, आप के सहयोग और मार्गदर्शन के लिए मै बहुत आभारी हूँ आप की | सादर </p>