"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक 17 में शामिल लघुकथाएँ - Open Books Online2024-03-29T12:13:03Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/17-2?commentId=5170231%3AComment%3A797532&feed=yes&xn_auth=noयथा निवेदित तथा संशोधितtag:openbooks.ning.com,2016-09-06:5170231:Comment:7982222016-09-06T07:22:40.876Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>यथा निवेदित तथा संशोधित</p>
<p>यथा निवेदित तथा संशोधित</p> आ. भाई भी २९ रात को १ बजे तक…tag:openbooks.ning.com,2016-09-06:5170231:Comment:7981602016-09-06T06:39:41.908Zनयना(आरती)कानिटकरhttps://openbooks.ning.com/profile/NayanaAratiKanitkar
<p>आ. भाई भी २९ रात को १ बजे तक तो मैने कई रचनाओ पर टिप्पणियाँ की है. २९की सुबह से रात आफ़िस मे उलझी रही. ३० हर यहा तेज बारिश थी तो नेट की आवाजाही मे टिप्पणियाँ २-३ बार लिखने के बाद भी पोस्ट नही हो रही थी या तो जम्प कर रही थी. क्षमा चाहती हूँ सक्रियता से गोष्टी को ना निभा पाई. <br/><br/></p>
<p>आ. भाई भी २९ रात को १ बजे तक तो मैने कई रचनाओ पर टिप्पणियाँ की है. २९की सुबह से रात आफ़िस मे उलझी रही. ३० हर यहा तेज बारिश थी तो नेट की आवाजाही मे टिप्पणियाँ २-३ बार लिखने के बाद भी पोस्ट नही हो रही थी या तो जम्प कर रही थी. क्षमा चाहती हूँ सक्रियता से गोष्टी को ना निभा पाई. <br/><br/></p> आ. भाई भी २९ रात को १ बजे तक…tag:openbooks.ning.com,2016-09-06:5170231:Comment:7980932016-09-06T06:39:11.085Zनयना(आरती)कानिटकरhttps://openbooks.ning.com/profile/NayanaAratiKanitkar
<p><span>आ. भाई भी २९ रात को १ बजे तक तो मैने कई रचनाओ पर टिप्पणियाँ की है. २९की सुबह से रात आफ़िस मे उलझी रही. ३० हर यहा तेज बारिश थी तो नेट की आवाजाही मे टिप्पणियाँ २-३ बार लिखने के बाद भी पोस्ट नही हो रही थी या तो जम्प कर रही थी. क्षमा चाहती हूँ सक्रियता से गोष्टी को ना निभा पाई. <br/>रचना की प्रथम पंक्ति मे "<span>कभी भी बारिश ओर तेज हो सकती हैं," मे "ओर" शब्द के स्थान पर "और" प्रतिस्थापित करने की कृपा करे</span></span></p>
<p><span>आ. भाई भी २९ रात को १ बजे तक तो मैने कई रचनाओ पर टिप्पणियाँ की है. २९की सुबह से रात आफ़िस मे उलझी रही. ३० हर यहा तेज बारिश थी तो नेट की आवाजाही मे टिप्पणियाँ २-३ बार लिखने के बाद भी पोस्ट नही हो रही थी या तो जम्प कर रही थी. क्षमा चाहती हूँ सक्रियता से गोष्टी को ना निभा पाई. <br/>रचना की प्रथम पंक्ति मे "<span>कभी भी बारिश ओर तेज हो सकती हैं," मे "ओर" शब्द के स्थान पर "और" प्रतिस्थापित करने की कृपा करे</span></span></p> हार्दिक आभार आ० तेजवीर सिंह ज…tag:openbooks.ning.com,2016-09-06:5170231:Comment:7982162016-09-06T05:41:21.356Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार आ० तेजवीर सिंह जी.</p>
<p>हार्दिक आभार आ० तेजवीर सिंह जी.</p> हार्दिक आभार आ० नयना जीI वैसे…tag:openbooks.ning.com,2016-09-06:5170231:Comment:7982142016-09-06T05:41:05.193Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार आ० नयना जीI वैसे ओबीओ पर कमेन्ट करते हुए ही नेट क्यों दगा दे जाता है ताई? :)</p>
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<p>हार्दिक आभार आ० नयना जीI वैसे ओबीओ पर कमेन्ट करते हुए ही नेट क्यों दगा दे जाता है ताई? :)</p>
<p></p> इस विषद समीक्षा से एक नई ऊर्ज…tag:openbooks.ning.com,2016-09-06:5170231:Comment:7981542016-09-06T05:39:58.197Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>इस विषद समीक्षा से एक नई ऊर्जा का संचार हुआ हैI रचना को अपना बहुमूल्य समय देने और मान बख्शने के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ आ० कांता रॉय जीI</p>
<p>इस विषद समीक्षा से एक नई ऊर्जा का संचार हुआ हैI रचना को अपना बहुमूल्य समय देने और मान बख्शने के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ आ० कांता रॉय जीI</p> हार्दिक आभार भाई चंद्रेश कुमा…tag:openbooks.ning.com,2016-09-06:5170231:Comment:7982122016-09-06T05:38:16.190Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार भाई चंद्रेश कुमार छतलानी जीI</p>
<p>हार्दिक आभार भाई चंद्रेश कुमार छतलानी जीI</p> हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक…tag:openbooks.ning.com,2016-09-06:5170231:Comment:7980862016-09-06T05:37:25.055Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया मोहतरम जनाब तसदीक़ अहमद खान साहिबI</p>
<p>हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया मोहतरम जनाब तसदीक़ अहमद खान साहिबI</p> हार्दिक आभार आ० वुईने कुमार स…tag:openbooks.ning.com,2016-09-06:5170231:Comment:7978972016-09-06T05:36:47.925Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>हार्दिक आभार आ० वुईने कुमार सिंह जीI वैसे एक गीत के बोल याद आ रहे हैं:</p>
<p>"देर से आना जल्दी जाना, ऐ साहिब! ये ठीक नहींI"</p>
<p>:))))))))))) </p>
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<p>हार्दिक आभार आ० वुईने कुमार सिंह जीI वैसे एक गीत के बोल याद आ रहे हैं:</p>
<p>"देर से आना जल्दी जाना, ऐ साहिब! ये ठीक नहींI"</p>
<p>:))))))))))) </p>
<p></p> दिल से शुक्रिया आ० रवि शुक्ला…tag:openbooks.ning.com,2016-09-06:5170231:Comment:7980842016-09-06T05:35:31.530Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>दिल से शुक्रिया आ० रवि शुक्ला भाई जीI </p>
<p>दिल से शुक्रिया आ० रवि शुक्ला भाई जीI </p>