"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153 - Open Books Online2024-03-28T18:48:23Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/153?commentId=5170231%3AComment%3A1101562&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noबहतर है शुक्रिया आपका अमित जी…tag:openbooks.ning.com,2023-03-25:5170231:Comment:11018782023-03-25T18:10:33.043ZRicha Yadavhttps://openbooks.ning.com/profile/RichaYadav
<p>बहतर है शुक्रिया आपका अमित जी</p>
<p>सादर</p>
<p>बहतर है शुक्रिया आपका अमित जी</p>
<p>सादर</p> आदरणीय Mahendra Kumar जी
1.…tag:openbooks.ning.com,2023-03-25:5170231:Comment:11015782023-03-25T18:09:31.623ZEuphonic Amithttps://openbooks.ning.com/profile/EuphonicAmit
<p>आदरणीय Mahendra Kumar जी </p>
<p></p>
<p>1. मतला ग़ज़ल का पहला शे'र और सबसे अह्म हिस्सा होता है।</p>
<p>उसे स्पष्ट और प्रभावशाली होना चाहिए।</p>
<p>आप कृपया वह लाक्षणिक अर्थ समझाएँ </p>
<p></p>
<p>2. जी चाह 21 के वज़्न पर होता है आपको उसकी जगह</p>
<p>सीधे सीधे प्यार, प्रेम या इश्क़ जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए था </p>
<p>मैंने वाक्य के हिसाब से सुझाव दिया था।</p>
<p></p>
<p>मेरी शुभकामनाएँ सदैव आपके साथ हैं सादर</p>
<p> </p>
<p></p>
<p></p>
<p> </p>
<p>आदरणीय Mahendra Kumar जी </p>
<p></p>
<p>1. मतला ग़ज़ल का पहला शे'र और सबसे अह्म हिस्सा होता है।</p>
<p>उसे स्पष्ट और प्रभावशाली होना चाहिए।</p>
<p>आप कृपया वह लाक्षणिक अर्थ समझाएँ </p>
<p></p>
<p>2. जी चाह 21 के वज़्न पर होता है आपको उसकी जगह</p>
<p>सीधे सीधे प्यार, प्रेम या इश्क़ जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए था </p>
<p>मैंने वाक्य के हिसाब से सुझाव दिया था।</p>
<p></p>
<p>मेरी शुभकामनाएँ सदैव आपके साथ हैं सादर</p>
<p> </p>
<p></p>
<p></p>
<p> </p> "ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-…tag:openbooks.ning.com,2023-03-25:5170231:Comment:11018772023-03-25T18:02:49.452ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>"ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-153 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।</p>
<p>"ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-153 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।</p> जी ठीक है
हमको फ़ुर्सत ही नह…tag:openbooks.ning.com,2023-03-25:5170231:Comment:11018762023-03-25T17:53:01.069ZEuphonic Amithttps://openbooks.ning.com/profile/EuphonicAmit
<p> जी ठीक है</p>
<p></p>
<p>हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से <strong>जानाँ</strong></p>
<p>"आपके मिलने का होगा जिसे अरमाँ होगा"</p>
<p> जी ठीक है</p>
<p></p>
<p>हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से <strong>जानाँ</strong></p>
<p>"आपके मिलने का होगा जिसे अरमाँ होगा"</p> आदरणीय अमित जी एक और प्रयास द…tag:openbooks.ning.com,2023-03-25:5170231:Comment:11015772023-03-25T17:36:32.259ZRicha Yadavhttps://openbooks.ning.com/profile/RichaYadav
<p>आदरणीय अमित जी एक और प्रयास देखिएगा</p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p>हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से मिलती <br/>"आपके मिलने का होगा जिसे अरमाँ होगा'</p>
<p>आदरणीय अमित जी एक और प्रयास देखिएगा</p>
<p>सादर</p>
<p></p>
<p>हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से मिलती <br/>"आपके मिलने का होगा जिसे अरमाँ होगा'</p> आदरणीय महेंद्र जी
बहुत शुक्रि…tag:openbooks.ning.com,2023-03-25:5170231:Comment:11016942023-03-25T17:25:24.097ZRicha Yadavhttps://openbooks.ning.com/profile/RichaYadav
<p>आदरणीय महेंद्र जी</p>
<p>बहुत शुक्रिया आपका</p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय महेंद्र जी</p>
<p>बहुत शुक्रिया आपका</p>
<p>सादर</p> बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय…tag:openbooks.ning.com,2023-03-25:5170231:Comment:11017742023-03-25T14:39:29.939ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय जी। सादर।</p>
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय जी। सादर।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत-…tag:openbooks.ning.com,2023-03-25:5170231:Comment:11018752023-03-25T14:38:57.339ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत-बहुत शुक्रिया। संज्ञान ले लिया गया है। सादर।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत-बहुत शुक्रिया। संज्ञान ले लिया गया है। सादर।</p> बहुत-बहुत शुक्रिया सर। अगली ब…tag:openbooks.ning.com,2023-03-25:5170231:Comment:11016932023-03-25T14:38:19.441ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया सर। अगली बार पूरा प्रयास रहेगा कि निराश न करूँ। सादर।</p>
<p>बहुत-बहुत शुक्रिया सर। अगली बार पूरा प्रयास रहेगा कि निराश न करूँ। सादर।</p> आदरणीय अमित जी, ग़ज़ल पर आपकी आ…tag:openbooks.ning.com,2023-03-25:5170231:Comment:11015762023-03-25T14:37:11.664ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>आदरणीय अमित जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और इस विस्तृत पाठकीय टिप्पणी का दिल से आभारी हूँ। आपकी इस बात से सहमत हूँ कि ग़ज़ल और समय चाहती है। चूँकि यह सीखने-सिखाने का मंच है इसलिए एक-दो जिज्ञासाएँ मंच पर व्यक्त करना चाहूँगा।</p>
<p>1. मतले के सन्दर्भ में आपने 'इंसाँ' पर जो प्रश्न उठाया है वह उसके शाब्दिक अर्थ पर लागू होता है। मैंने उसका लाक्षणिक अर्थ में प्रयोग किया है।</p>
<p>2. यह बात सही है कि अरमाँ की तरह 'चाह' का भी अर्थ इच्छा होता है पर 'चाह' का एक अर्थ 'प्रेम' भी होता है। मैंने चाह का उसके इसी…</p>
<p>आदरणीय अमित जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और इस विस्तृत पाठकीय टिप्पणी का दिल से आभारी हूँ। आपकी इस बात से सहमत हूँ कि ग़ज़ल और समय चाहती है। चूँकि यह सीखने-सिखाने का मंच है इसलिए एक-दो जिज्ञासाएँ मंच पर व्यक्त करना चाहूँगा।</p>
<p>1. मतले के सन्दर्भ में आपने 'इंसाँ' पर जो प्रश्न उठाया है वह उसके शाब्दिक अर्थ पर लागू होता है। मैंने उसका लाक्षणिक अर्थ में प्रयोग किया है।</p>
<p>2. यह बात सही है कि अरमाँ की तरह 'चाह' का भी अर्थ इच्छा होता है पर 'चाह' का एक अर्थ 'प्रेम' भी होता है। मैंने चाह का उसके इसी दूसरे अर्थ में प्रयोग किया है।</p>
<p>बाक़ी अगली बार बेहतर करने का प्रयास रहेगा। आपका बहुत-बहुत आभार। सादर।</p>