"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-139 - Open Books Online2024-03-29T15:56:38Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/139?commentId=5170231%3AComment%3A1078293&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=no"ओबीओ लाइव तरही मुशाइरा" अंक-…tag:openbooks.ning.com,2022-01-29:5170231:Comment:10783062022-01-29T18:29:20.238Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>"ओबीओ लाइव तरही मुशाइरा" अंक-139 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद।</p>
<p>"ओबीओ लाइव तरही मुशाइरा" अंक-139 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद।</p> आदरणीय तस्दीक अहमद साहब,
अच्छ…tag:openbooks.ning.com,2022-01-29:5170231:Comment:10783042022-01-29T16:02:55.971ZGajendra shrotriyahttps://openbooks.ning.com/profile/Gajendrashrotriya
<p>आदरणीय तस्दीक अहमद साहब,</p>
<p>अच्छे अशआर हुए हैं।</p>
<p>बधाई स्वीकार करें।</p>
<p></p>
<p>आदरणीय तस्दीक अहमद साहब,</p>
<p>अच्छे अशआर हुए हैं।</p>
<p>बधाई स्वीकार करें।</p>
<p></p> //जब आप मात्रा गिराकर लिखना आ…tag:openbooks.ning.com,2022-01-29:5170231:Comment:10783032022-01-29T15:57:26.177Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>//जब आप मात्रा गिराकर लिखना आदर्श मानते हैं, तो रुपये (112) को (22) पर लिखना स्वयमेव आदर्श हो जाता है। और, विमर्श की स॔भावना समाप्त हो जाती है//</p>
<p>जनाब चेतन प्रकाश जी, ग़ज़ल में रुप-ये का सही वज़्न 22 ही है रुपैये लिखेंगे तो 122 होगा। 112 वज़्न छंद विधान के अनुसार रुपये का है, लेकिन यहाँ छंद नहीं कहे जा रहे हैं।</p>
<p>रही बात मात्रा गिराकर लिखने को आदर्श मानने की...अगर आपका इशारा मेरी ग़ज़ल में लिये गये शब्द 'बेगाने' को 122 पर लिये जाने की तरफ़ है और इसे ग़लत मानते हैं तो इस गुनाह के…</p>
<p>//जब आप मात्रा गिराकर लिखना आदर्श मानते हैं, तो रुपये (112) को (22) पर लिखना स्वयमेव आदर्श हो जाता है। और, विमर्श की स॔भावना समाप्त हो जाती है//</p>
<p>जनाब चेतन प्रकाश जी, ग़ज़ल में रुप-ये का सही वज़्न 22 ही है रुपैये लिखेंगे तो 122 होगा। 112 वज़्न छंद विधान के अनुसार रुपये का है, लेकिन यहाँ छंद नहीं कहे जा रहे हैं।</p>
<p>रही बात मात्रा गिराकर लिखने को आदर्श मानने की...अगर आपका इशारा मेरी ग़ज़ल में लिये गये शब्द 'बेगाने' को 122 पर लिये जाने की तरफ़ है और इसे ग़लत मानते हैं तो इस गुनाह के आप भी गुनहगार हैं।</p>
<p>इसी मुशायरे की ग़ज़ल का अपना ये शे'र देखें जिसमें 'बेगाने' को मात्रा गिराकर आपने 'बिगाने' लिखा है -</p>
<p></p>
<p>आँखें पीतल की हुईं अपने <strong>बिगाने</strong> हो गए </p>
<p>जो मुहब्बत थे हमारी अब फसाने हो गए </p>
<p></p>
<p>आपकी मासूमियत पर अर्ज़ है-</p>
<p><strong>दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए</strong></p>
<p><strong>सामने आइना रख लिया कीजिए</strong> (ख़ुमार बाराबंकवी) सादर।</p> आदरणीय अनिल कुमार जी नमस्कार।…tag:openbooks.ning.com,2022-01-29:5170231:Comment:10783022022-01-29T15:56:52.969ZGajendra shrotriyahttps://openbooks.ning.com/profile/Gajendrashrotriya
<p>आदरणीय अनिल कुमार जी नमस्कार।</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकारें।</p>
<p></p>
<p>आदरणीय अनिल कुमार जी नमस्कार।</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकारें।</p>
<p></p> मुशायरे का शुभारंभ करने के लि…tag:openbooks.ning.com,2022-01-29:5170231:Comment:10784172022-01-29T15:46:30.886ZGajendra shrotriyahttps://openbooks.ning.com/profile/Gajendrashrotriya
<p>मुशायरे का शुभारंभ करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय आज़ी साहब।</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल कही आपने।</p>
<p>मुशायरे का शुभारंभ करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय आज़ी साहब।</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल कही आपने।</p> आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, अच्छ…tag:openbooks.ning.com,2022-01-29:5170231:Comment:10784162022-01-29T15:32:54.416ZDayaram Methanihttps://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें। मतले में अमुक और फलाने के बजाय जो राय निलेश जी ने और अमीरुद्दीन अमीर ने दी है उस पर विचार कर लें। सादर।</p>
<p></p>
<p>आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें। मतले में अमुक और फलाने के बजाय जो राय निलेश जी ने और अमीरुद्दीन अमीर ने दी है उस पर विचार कर लें। सादर।</p>
<p></p> आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, प्रो…tag:openbooks.ning.com,2022-01-29:5170231:Comment:10784142022-01-29T15:26:22.299ZDayaram Methanihttps://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।</p>
<p>आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।</p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी आदाब मं…tag:openbooks.ning.com,2022-01-29:5170231:Comment:10781042022-01-29T15:16:24.833Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी आदाब मंच पर ग़लत जानकारी वितरित करने की चेष्टा न करें, आप ख़ुद को प्रोफेसर लिखते हैं और वरिष्ठ भी हैं, क्या आप को नहीं पता कि भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में उर्दू भी एक भाषा है बोली नहीं, इन 22 आधिकारिक भाषाओं के इतर सैंकड़ों अनाधिकृत भारतीय बोलियाँ भारत में बोली जाती हैं।</p>
<p><strong>और हाँ आपके प्रदेश की दूसरी राजकीय भाषा उर्दू है, </strong>भूलियेगा नहीं प्रोफेसर साहब। सादर। </p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी आदाब मंच पर ग़लत जानकारी वितरित करने की चेष्टा न करें, आप ख़ुद को प्रोफेसर लिखते हैं और वरिष्ठ भी हैं, क्या आप को नहीं पता कि भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में उर्दू भी एक भाषा है बोली नहीं, इन 22 आधिकारिक भाषाओं के इतर सैंकड़ों अनाधिकृत भारतीय बोलियाँ भारत में बोली जाती हैं।</p>
<p><strong>और हाँ आपके प्रदेश की दूसरी राजकीय भाषा उर्दू है, </strong>भूलियेगा नहीं प्रोफेसर साहब। सादर। </p> आ. अमीर साहब जब आप मात्रा ग…tag:openbooks.ning.com,2022-01-29:5170231:Comment:10781032022-01-29T14:35:09.255ZChetan Prakashhttps://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p> आ. अमीर साहब जब आप मात्रा गिराकर लिखना आदर्श मानते हैं, तो रुपये (112) को (22) पर लिखना स्वयमेव आदर्श हो जाता है। और, विमर्श की स॔भावना समाप्त हो जाती है !</p>
<p> आ. अमीर साहब जब आप मात्रा गिराकर लिखना आदर्श मानते हैं, तो रुपये (112) को (22) पर लिखना स्वयमेव आदर्श हो जाता है। और, विमर्श की स॔भावना समाप्त हो जाती है !</p> आदरणीय भाई dandpani nahak जी…tag:openbooks.ning.com,2022-01-29:5170231:Comment:10783012022-01-29T14:25:27.846Zसालिक गणवीरhttps://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/forum/topic/listForContributor?user=3rf6hr40po7r0" class="fn url">dandpani nahak</a> जी <br/>सादर अभिवादन <br/>बढ़िया तरही कही है आपने ,बधाई स्वीकार करें। भाई सयाने को सियाने कर लें क्योंकि यही सहीह शब्द है ,ये अलग बात है की मैंने भी ग़लत लिखा है। सादर.</p>
<p>आदरणीय भाई <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/forum/topic/listForContributor?user=3rf6hr40po7r0" class="fn url">dandpani nahak</a> जी <br/>सादर अभिवादन <br/>बढ़िया तरही कही है आपने ,बधाई स्वीकार करें। भाई सयाने को सियाने कर लें क्योंकि यही सहीह शब्द है ,ये अलग बात है की मैंने भी ग़लत लिखा है। सादर.</p>