"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-138 - Open Books Online2024-03-28T22:30:17Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/138-1?commentId=5170231%3AComment%3A1082554&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर…tag:openbooks.ning.com,2022-04-19:5170231:Comment:10826352022-04-19T18:07:04.126ZDayaram Methanihttps://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।</p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी, अच्छी…tag:openbooks.ning.com,2022-04-19:5170231:Comment:10828342022-04-19T17:15:51.862ZAdminhttps://openbooks.ning.com/profile/Admin
<p style="text-align: left;">आदरणीय चेतन प्रकाश जी, अच्छी अभिव्यक्ति हुई है, बधाई प्रेषित करता हूँ ।</p>
<p style="text-align: left;">आदरणीय चेतन प्रकाश जी, अच्छी अभिव्यक्ति हुई है, बधाई प्रेषित करता हूँ ।</p> प्रदत विषय पर बहुत ही सार्थक…tag:openbooks.ning.com,2022-04-19:5170231:Comment:10825682022-04-19T17:13:35.672ZAdminhttps://openbooks.ning.com/profile/Admin
<p>प्रदत विषय पर बहुत ही सार्थक कलम चली है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय दयाराम मेठानी जी ।</p>
<p>एक अनुरोध है कि बार बार नाम और मौलिक अप्रकाशित लिखने की आवश्यकता नही है ।</p>
<p>प्रदत विषय पर बहुत ही सार्थक कलम चली है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय दयाराम मेठानी जी ।</p>
<p>एक अनुरोध है कि बार बार नाम और मौलिक अप्रकाशित लिखने की आवश्यकता नही है ।</p> बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति, स…tag:openbooks.ning.com,2022-04-19:5170231:Comment:10827442022-04-19T17:10:23.924ZAdminhttps://openbooks.ning.com/profile/Admin
<p>बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति, सभी दोहे एक से बढ़कर एक हुए हैं । बहुत बहुत बधाई आदरणीय लक्ष्मण भाई ।</p>
<p>बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति, सभी दोहे एक से बढ़कर एक हुए हैं । बहुत बहुत बधाई आदरणीय लक्ष्मण भाई ।</p> वाह वाह क्या भाव हैं, वाह वाह…tag:openbooks.ning.com,2022-04-19:5170231:Comment:10825652022-04-19T16:59:18.618ZAdminhttps://openbooks.ning.com/profile/Admin
<p>वाह वाह क्या भाव हैं, वाह वाह जज्बात।</p>
<p>उभर उभर कर आ रही, वक्त वक्त की बात ।।</p>
<p>क्या कहने आदरणीया, बहुत ही सुंदर दोहे और शानदार अभिव्यक्ति, बहुत बहुत बधाई ।</p>
<p>वाह वाह क्या भाव हैं, वाह वाह जज्बात।</p>
<p>उभर उभर कर आ रही, वक्त वक्त की बात ।।</p>
<p>क्या कहने आदरणीया, बहुत ही सुंदर दोहे और शानदार अभिव्यक्ति, बहुत बहुत बधाई ।</p> आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2022-04-19:5170231:Comment:10828332022-04-19T14:59:09.232Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर मुक्तक का अच्छा प्रयास हुआ है। पहला व तीसरा मुक्तक श्रेष्ठ बन पड़े हैं लेकिन दूसरे में अभी परिश्रम की आवश्यकता जान पड़ती है। इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर मुक्तक का अच्छा प्रयास हुआ है। पहला व तीसरा मुक्तक श्रेष्ठ बन पड़े हैं लेकिन दूसरे में अभी परिश्रम की आवश्यकता जान पड़ती है। इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।</p> मुक्तक ( 1 )…tag:openbooks.ning.com,2022-04-19:5170231:Comment:10828322022-04-19T14:05:21.780ZChetan Prakashhttps://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p> मुक्तक ( 1 )</p>
<p></p>
<p>वक्त देता है थपेड़े बार हा हमको जहाँ</p>
<p>वो सँभाले भी हमें है जा ब जा सुन लो जहाँ</p>
<p>मत थको तुम दोस्त और चलते रहो दुनिया सदा</p>
<p>ईश के अवतार हो तुम कर दो जो चाहो जहाँ ।</p>
<p></p>
<p> मुक्तक ( 2 )</p>
<p></p>
<p>वक्त की बातें अनोखी हैं सदा ही से रही</p>
<p>काल के हाथों बँधी किस्मत वबा ही से रही </p>
<p>आर्य सबसे श्रेष्ठ कहते हैं धरा विद्वान भी</p>
<p>पर कहानी मसनदों की सुन रजा ही से रही ।</p>
<p></p>
<p> …</p>
<p> मुक्तक ( 1 )</p>
<p></p>
<p>वक्त देता है थपेड़े बार हा हमको जहाँ</p>
<p>वो सँभाले भी हमें है जा ब जा सुन लो जहाँ</p>
<p>मत थको तुम दोस्त और चलते रहो दुनिया सदा</p>
<p>ईश के अवतार हो तुम कर दो जो चाहो जहाँ ।</p>
<p></p>
<p> मुक्तक ( 2 )</p>
<p></p>
<p>वक्त की बातें अनोखी हैं सदा ही से रही</p>
<p>काल के हाथों बँधी किस्मत वबा ही से रही </p>
<p>आर्य सबसे श्रेष्ठ कहते हैं धरा विद्वान भी</p>
<p>पर कहानी मसनदों की सुन रजा ही से रही ।</p>
<p></p>
<p> मुक्तक ( 3 )</p>
<p></p>
<p>क्या बताऊँ दोस्त तुमको वक्त की औक़ात क्या है</p>
<p>रंक को राजा बना दे रक्त की औक़ात क्या है !</p>
<p>चार्ल्स पक्का जार था आ फ्रांस से राजा बना था</p>
<p>अब समझ तुम भी गये हो रब्त की औक़ात क्या है ।</p>
<p></p>
<p>मौलिक व अप्रकाशित </p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p> आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'…tag:openbooks.ning.com,2022-04-19:5170231:Comment:10827422022-04-19T13:47:36.270ZDayaram Methanihttps://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, सुंदर दोहों के सृजन पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, सुंदर दोहों के सृजन पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें।</p> आदरणीय उषा अवस्थी जी, सुंदर द…tag:openbooks.ning.com,2022-04-19:5170231:Comment:10826342022-04-19T13:44:32.837ZDayaram Methanihttps://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय उषा अवस्थी जी, सुंदर दोहा सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें। तीसरे दोहा के सम चरण में अस्त्र एवं त्रस्त का तुकांत नहीं बैठता है। अस्त और त्रस्त का तो तुकांत होता है किंतु अस्त्र का ये तुकांत नहीं होता। सादर।</p>
<p>आदरणीय उषा अवस्थी जी, सुंदर दोहा सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें। तीसरे दोहा के सम चरण में अस्त्र एवं त्रस्त का तुकांत नहीं बैठता है। अस्त और त्रस्त का तो तुकांत होता है किंतु अस्त्र का ये तुकांत नहीं होता। सादर।</p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी, पोस्ट…tag:openbooks.ning.com,2022-04-19:5170231:Comment:10825632022-04-19T13:37:22.085ZDayaram Methanihttps://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचार व्यक्त कर प्रोत्साहन व सुझाव देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।</p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचार व्यक्त कर प्रोत्साहन व सुझाव देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।</p>