"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-137 - Open Books Online2024-03-28T16:47:14Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/137?commentId=5170231%3AComment%3A1073974&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, किसी…tag:openbooks.ning.com,2021-11-27:5170231:Comment:10740722021-11-27T18:31:26.582ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, किसी शब्द के किस गुरु वर्ण को गिरा कर पढ़ा जा सकता है, इस समझ पर गौर फरमाइएगा. कई वर्ण नाहक गिराए गए हैं जो मान्य नहीं हैं. </p>
<p>शुभातिशुभ </p>
<p></p>
<p>आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी, किसी शब्द के किस गुरु वर्ण को गिरा कर पढ़ा जा सकता है, इस समझ पर गौर फरमाइएगा. कई वर्ण नाहक गिराए गए हैं जो मान्य नहीं हैं. </p>
<p>शुभातिशुभ </p>
<p></p> आदरणीया रिचा जी, एक सुझाव :
म…tag:openbooks.ning.com,2021-11-27:5170231:Comment:10740712021-11-27T18:27:56.234ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया रिचा जी, एक सुझाव :</p>
<p>मक्ते का नाम या तखल्लुस की कोई मात्रा नहूं गिरायी जाती. यह मान्य नियम है...</p>
<p></p>
<p>शुभातिशुभ</p>
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<p>आदरणीया रिचा जी, एक सुझाव :</p>
<p>मक्ते का नाम या तखल्लुस की कोई मात्रा नहूं गिरायी जाती. यह मान्य नियम है...</p>
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<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपके क…tag:openbooks.ning.com,2021-11-27:5170231:Comment:10741352021-11-27T18:24:05.333ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपके कहे पर विद्वद्जन अपनी-अपनी बातें करेंगे. किंतु मेरा सुझाव शिकस्ते ना'रवा दोष की ओर सचेत रहने का होगा. </p>
<p>जय-जय </p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपके कहे पर विद्वद्जन अपनी-अपनी बातें करेंगे. किंतु मेरा सुझाव शिकस्ते ना'रवा दोष की ओर सचेत रहने का होगा. </p>
<p>जय-जय </p> आदरणीय दयाराम जी, आपके प्रयास…tag:openbooks.ning.com,2021-11-27:5170231:Comment:10740702021-11-27T18:18:58.597ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय दयाराम जी, आपके प्रयास पर हार्दिक बधाइयाँ. </p>
<p>गुणीजनों, विशेषकर लक्ष्मण जी के कहे का संज्ञान लीजिएगा. </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p>
<p>आदरणीय दयाराम जी, आपके प्रयास पर हार्दिक बधाइयाँ. </p>
<p>गुणीजनों, विशेषकर लक्ष्मण जी के कहे का संज्ञान लीजिएगा. </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p> मुझे उसकी उल्फतों पर यकीं आए…tag:openbooks.ning.com,2021-11-27:5170231:Comment:10740682021-11-27T18:15:52.092ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p><span>मुझे उसकी उल्फतों पर यकीं आए कैसे तस्दीक</span><br/><span>करे बात मुझ से अक्सर जो नज़र बदल बदल के... वााह ! </span></p>
<p></p>
<p><span>आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, आपकी कोशिशों पर हार्दिक बधाइयाँ.</span></p>
<p><span>मुझे उसकी उल्फतों पर यकीं आए कैसे तस्दीक</span><br/><span>करे बात मुझ से अक्सर जो नज़र बदल बदल के... वााह ! </span></p>
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<p><span>आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, आपकी कोशिशों पर हार्दिक बधाइयाँ.</span></p> इस बेहतर कोशिश के लिए हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2021-11-27:5170231:Comment:10742152021-11-27T18:10:51.870ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>इस बेहतर कोशिश के लिए हार्दिक बधाइयाँ, आदरणीय सालिक गणवीर जी. </p>
<p>समय होता तो आपके अश'आर और कसे हुए हो सकते थे. </p>
<p>जय-जय</p>
<p>इस बेहतर कोशिश के लिए हार्दिक बधाइयाँ, आदरणीय सालिक गणवीर जी. </p>
<p>समय होता तो आपके अश'आर और कसे हुए हो सकते थे. </p>
<p>जय-जय</p> आपसे जो कुछ कहना था, मैंने कह…tag:openbooks.ning.com,2021-11-27:5170231:Comment:10740662021-11-27T18:06:04.369ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आपसे जो कुछ कहना था, मैंने कह दिया. आप किन्हीं और की टिप्पणी की बातें मेरे सिर डाल कर अन्यथा कहे जा रहे हैं.</p>
<p></p>
<p>यह सीखने-सिखाने का मंच है. आपकी बातों में तथ्यगत क्षमता होती तो मैं चर्चा को आगे बढ़ा सकता था. काश ऐसा होता. </p>
<p>प्रणाम. </p>
<p>आपसे जो कुछ कहना था, मैंने कह दिया. आप किन्हीं और की टिप्पणी की बातें मेरे सिर डाल कर अन्यथा कहे जा रहे हैं.</p>
<p></p>
<p>यह सीखने-सिखाने का मंच है. आपकी बातों में तथ्यगत क्षमता होती तो मैं चर्चा को आगे बढ़ा सकता था. काश ऐसा होता. </p>
<p>प्रणाम. </p> जी, अब ठीक है।tag:openbooks.ning.com,2021-11-27:5170231:Comment:10741342021-11-27T17:23:53.919Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>जी, अब ठीक है।</p>
<p>जी, अब ठीक है।</p> आ. रिचा जी, गजल पर उपस्थिति औ…tag:openbooks.ning.com,2021-11-27:5170231:Comment:10739972021-11-27T14:55:26.991Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. रिचा जी, गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p></p>
<p>आ. रिचा जी, गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p></p> जी, सही कहा आपने। मुझ से ही च…tag:openbooks.ning.com,2021-11-27:5170231:Comment:10739962021-11-27T14:20:16.654Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'https://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>जी, सही कहा आपने। मुझ से ही चूक हुई है। सादर</p>
<p>जी, सही कहा आपने। मुझ से ही चूक हुई है। सादर</p>