"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-134 - Open Books Online2024-03-28T14:25:16Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/134?commentId=5170231%3AComment%3A1067106&feed=yes&xn_auth=noजनाब अमित कुमार अमित जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2021-08-28:5170231:Comment:10672062021-08-28T18:26:11.669Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब अमित कुमार अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया। सादर।</p>
<p>जनाब अमित कुमार अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया। सादर।</p> क्या खूब इस्लाह की जनाब... उप…tag:openbooks.ning.com,2021-08-28:5170231:Comment:10673002021-08-28T18:14:59.460Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>क्या खूब इस्लाह की जनाब... उपयोगी जानकारी मिली l</p>
<p>क्या खूब इस्लाह की जनाब... उपयोगी जानकारी मिली l</p> "ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-…tag:openbooks.ning.com,2021-08-28:5170231:Comment:10672992021-08-28T18:12:39.126ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p><strong>"ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-134 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।</strong></p>
<p><strong>"ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-134 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।</strong></p> उम्दा इस्लाह की जनाबtag:openbooks.ning.com,2021-08-28:5170231:Comment:10672982021-08-28T18:10:28.551Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>उम्दा इस्लाह की जनाब</p>
<p>उम्दा इस्लाह की जनाब</p> दर असल शेर यूँ था "सो उनका आ…tag:openbooks.ning.com,2021-08-28:5170231:Comment:10674162021-08-28T18:07:26.663Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>दर असल शेर यूँ था "सो उनका आ गया हूँ ताब देखने के लिए" बिलासपुर से बाहर हूँ पहली दफ़आ मोबाइल se type करने की कोशिश की है l</p>
<p>दर असल शेर यूँ था "सो उनका आ गया हूँ ताब देखने के लिए" बिलासपुर से बाहर हूँ पहली दफ़आ मोबाइल se type करने की कोशिश की है l</p> आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी बहु…tag:openbooks.ning.com,2021-08-28:5170231:Comment:10672972021-08-28T17:37:27.658ZAmit Kumar "Amit"https://openbooks.ning.com/profile/AmitKumar568
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी बहुत खूब गजल कही बहुत-बहुत बधाइयां स्वीकार करें</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी बहुत खूब गजल कही बहुत-बहुत बधाइयां स्वीकार करें</p> आदरणीय दंड पानी नाहक साहब जी…tag:openbooks.ning.com,2021-08-28:5170231:Comment:10672032021-08-28T17:34:35.143ZAmit Kumar "Amit"https://openbooks.ning.com/profile/AmitKumar568
<p>आदरणीय दंड पानी नाहक साहब जी अच्छी ग़ज़ल कही बधाइयां स्वीकार करें गुरुजनों की बातों को संज्ञान में लें</p>
<p>आदरणीय दंड पानी नाहक साहब जी अच्छी ग़ज़ल कही बधाइयां स्वीकार करें गुरुजनों की बातों को संज्ञान में लें</p> आदरणीय सालिक गणवीर जी, हौसला…tag:openbooks.ning.com,2021-08-28:5170231:Comment:10672962021-08-28T17:33:27.997ZRachna Bhatiahttps://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय सालिक गणवीर जी, हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रियः। </p>
<p>आदरणीय सालिक गणवीर जी, हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रियः। </p> आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई जी गज…tag:openbooks.ning.com,2021-08-28:5170231:Comment:10672022021-08-28T17:32:16.113ZAmit Kumar "Amit"https://openbooks.ning.com/profile/AmitKumar568
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई जी गजल बहुत बेहतरीन हुई बहुत-बहुत बधाइयां गुनी जनों के मशवरे को संज्ञान में लें</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई जी गजल बहुत बेहतरीन हुई बहुत-बहुत बधाइयां गुनी जनों के मशवरे को संज्ञान में लें</p> आदरणीया रिचा यादव जी, हौसला ब…tag:openbooks.ning.com,2021-08-28:5170231:Comment:10672012021-08-28T17:31:58.652ZRachna Bhatiahttps://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीया रिचा यादव जी, हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रियः। </p>
<p>आदरणीया रिचा यादव जी, हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रियः। </p>