"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-128 - Open Books Online2024-03-29T15:55:07Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/128-1?commentId=5170231%3AComment%3A1061551&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=noजी जनाब
सादरtag:openbooks.ning.com,2021-06-13:5170231:Comment:10615522021-06-13T17:31:47.003ZAazi Tamaamhttps://openbooks.ning.com/profile/AaziTamaa
<p>जी जनाब</p>
<p></p>
<p>सादर</p>
<p>जी जनाब</p>
<p></p>
<p>सादर</p> सादर नमस्कार। बहुत-बहुत शुक्र…tag:openbooks.ning.com,2021-06-13:5170231:Comment:10616392021-06-13T16:46:33.616ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>सादर नमस्कार। बहुत-बहुत शुक्रिया रचना पटल पर अमूल्य समय देकर मार्गदर्शक व प्रोत्साहक टिप्पणी हेतु आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी। मैंने सातवीं रचना में भी 'उजालों' के उन नकारात्मक रूपों/बहुरूपियों को इंगित करने का प्रयास किया है, जो शब्द 'उजाले' को ही बदनाम करते हैं शस्त्र माफ़िक़ संसाधन/युक्तियों से। उन पर.बहस तो.होती है, लेकिन पीड़ितों का समाधान नहीं। गॉडफादर टाइप उजाले जो शोषण या भिन्न रूपों की हिंसा तक कर डालते हैं माया मोह में।</p>
<p>कुछ हाइकु यदि एक बार में ही पूरी तरह खुलकर सम्प्रेषण न करें,…</p>
<p>सादर नमस्कार। बहुत-बहुत शुक्रिया रचना पटल पर अमूल्य समय देकर मार्गदर्शक व प्रोत्साहक टिप्पणी हेतु आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी। मैंने सातवीं रचना में भी 'उजालों' के उन नकारात्मक रूपों/बहुरूपियों को इंगित करने का प्रयास किया है, जो शब्द 'उजाले' को ही बदनाम करते हैं शस्त्र माफ़िक़ संसाधन/युक्तियों से। उन पर.बहस तो.होती है, लेकिन पीड़ितों का समाधान नहीं। गॉडफादर टाइप उजाले जो शोषण या भिन्न रूपों की हिंसा तक कर डालते हैं माया मोह में।</p>
<p>कुछ हाइकु यदि एक बार में ही पूरी तरह खुलकर सम्प्रेषण न करें, तो वे असफल रचनायें ही हैं। विचार करूंगा सुधार हेतु। सादर। बहुत कठिन विधा है। कोशिश कर रहा हूँ सीखने की।</p> सादर प्रणाम आ सौरभ जी
नग़मा…tag:openbooks.ning.com,2021-06-13:5170231:Comment:10617142021-06-13T16:42:32.388ZAazi Tamaamhttps://openbooks.ning.com/profile/AaziTamaa
<p>सादर प्रणाम आ सौरभ जी</p>
<p></p>
<p>नग़मा का विन्यास व मर्म बेहद साफ़ साफ़ स्पष्ट हो रहा है सर</p>
<p></p>
<p>शुरू के शै र में ही बात स्पष्ट है</p>
<p>यहाँ ख़ुदा का बंदा ख़ुदा से अंधेरों से निकालकर उजाले की ओर ले जाने की गुहार लगाता है</p>
<p> </p>
<p>चाहे दुआओं का असर हो</p>
<p>या सहरा में शजर हो</p>
<p>या बुझी आशाओं की शरर हो</p>
<p></p>
<p>सभी में जीवन में गम व कठ्ठीनायियों व पीड़ा को दूर कर जीवन को उजाले की ओर आशाओं उम्मीदों की ओर ले जाने की बात कही गई है</p>
<p>यहाँ तक की अंतिम शै र…</p>
<p>सादर प्रणाम आ सौरभ जी</p>
<p></p>
<p>नग़मा का विन्यास व मर्म बेहद साफ़ साफ़ स्पष्ट हो रहा है सर</p>
<p></p>
<p>शुरू के शै र में ही बात स्पष्ट है</p>
<p>यहाँ ख़ुदा का बंदा ख़ुदा से अंधेरों से निकालकर उजाले की ओर ले जाने की गुहार लगाता है</p>
<p> </p>
<p>चाहे दुआओं का असर हो</p>
<p>या सहरा में शजर हो</p>
<p>या बुझी आशाओं की शरर हो</p>
<p></p>
<p>सभी में जीवन में गम व कठ्ठीनायियों व पीड़ा को दूर कर जीवन को उजाले की ओर आशाओं उम्मीदों की ओर ले जाने की बात कही गई है</p>
<p>यहाँ तक की अंतिम शै र में ख़ुदा को ही साफ़ साफ़ उजाले के मानी पथ प्रदर्शक के रूप में बताया गया है</p>
<p></p>
<p>सादर</p> भाई आज़ी 'तमाम' जी आपकी पटल पर…tag:openbooks.ning.com,2021-06-13:5170231:Comment:10617132021-06-13T16:36:56.363ZSheikh Shahzad Usmanihttps://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>भाई आज़ी 'तमाम' जी आपकी पटल पर पाठकीय उपस्थिति ही आपको विधा की.ओर.भी खींच ले जायेगी। प्रोत्साहक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।</p>
<p>भाई आज़ी 'तमाम' जी आपकी पटल पर पाठकीय उपस्थिति ही आपको विधा की.ओर.भी खींच ले जायेगी। प्रोत्साहक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।</p> भाई आजी जी, आपकी रचना का मर्म…tag:openbooks.ning.com,2021-06-13:5170231:Comment:10615512021-06-13T16:24:31.541ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>भाई आजी जी, आपकी रचना का मर्म आश्वस्त कर रहा है. बधाइयाँ.</p>
<p>किंतु विन्यास को नहीं समझ पा रहा हूँ. </p>
<p>आपने चूँकि अभिव्यक्ति को नग़मा कहा है तो विन्यास जानने की उत्सुकता बढ़ गयी है.. </p>
<p>शुभ-शुभ </p>
<p></p>
<p>भाई आजी जी, आपकी रचना का मर्म आश्वस्त कर रहा है. बधाइयाँ.</p>
<p>किंतु विन्यास को नहीं समझ पा रहा हूँ. </p>
<p>आपने चूँकि अभिव्यक्ति को नग़मा कहा है तो विन्यास जानने की उत्सुकता बढ़ गयी है.. </p>
<p>शुभ-शुभ </p>
<p></p> हाइकू के बारे में जानकारी तो…tag:openbooks.ning.com,2021-06-13:5170231:Comment:10614842021-06-13T16:24:10.591ZAazi Tamaamhttps://openbooks.ning.com/profile/AaziTamaa
<p>हाइकू के बारे में जानकारी तो नहीं है पर</p>
<p>आ शेख साहब पढ़कर अच्छी लगी</p>
<p> सादर</p>
<p>हाइकू के बारे में जानकारी तो नहीं है पर</p>
<p>आ शेख साहब पढ़कर अच्छी लगी</p>
<p> सादर</p> बेहद रोचक छंद है
आ प्रतिभा जी…tag:openbooks.ning.com,2021-06-13:5170231:Comment:10616382021-06-13T16:22:12.217ZAazi Tamaamhttps://openbooks.ning.com/profile/AaziTamaa
<p>बेहद रोचक छंद है</p>
<p>आ प्रतिभा जी</p>
<p>विषय को सार्थक बनाते हुए</p>
<p>सादर</p>
<p>बेहद रोचक छंद है</p>
<p>आ प्रतिभा जी</p>
<p>विषय को सार्थक बनाते हुए</p>
<p>सादर</p> सहृदय शुक्रिया आ प्रतिभा जी
स…tag:openbooks.ning.com,2021-06-13:5170231:Comment:10614832021-06-13T16:20:22.812ZAazi Tamaamhttps://openbooks.ning.com/profile/AaziTamaa
<p>सहृदय शुक्रिया आ प्रतिभा जी</p>
<p>सराहना के लिये दिल से शुक्रिया</p>
<p>सादर</p>
<p>सहृदय शुक्रिया आ प्रतिभा जी</p>
<p>सराहना के लिये दिल से शुक्रिया</p>
<p>सादर</p> वाह वाह वाह !
भाई शेख शहज़ाद…tag:openbooks.ning.com,2021-06-13:5170231:Comment:10617122021-06-13T16:19:36.404ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>वाह वाह वाह ! </p>
<p>भाई शेख शहज़ाद जी, कमाल का प्रयास हुआ है. आपने हाइकु को एक चरण और दिया है कहूँ, तो अन्यथा न होगा. </p>
<p>बधाइयाँ .. </p>
<p></p>
<p>सातवाँ हाइकु शैल्पिक तौर पर और समय चाहता है शायद. दूसरी पंक्ति प्रच्छन्न नहीं प्रतीत हो रही है. या फिर यह मेरा ही भ्रम है ? </p>
<p>शुभ-शुभ </p>
<p></p>
<p>वाह वाह वाह ! </p>
<p>भाई शेख शहज़ाद जी, कमाल का प्रयास हुआ है. आपने हाइकु को एक चरण और दिया है कहूँ, तो अन्यथा न होगा. </p>
<p>बधाइयाँ .. </p>
<p></p>
<p>सातवाँ हाइकु शैल्पिक तौर पर और समय चाहता है शायद. दूसरी पंक्ति प्रच्छन्न नहीं प्रतीत हो रही है. या फिर यह मेरा ही भ्रम है ? </p>
<p>शुभ-शुभ </p>
<p></p> शुक्रिया आ शेख जी
हौसला अफ़ज़…tag:openbooks.ning.com,2021-06-13:5170231:Comment:10617112021-06-13T16:19:14.192ZAazi Tamaamhttps://openbooks.ning.com/profile/AaziTamaa
<p>शुक्रिया आ शेख जी</p>
<p>हौसला अफ़ज़ाई के लिये सहृदय प्रणाम</p>
<p>सादर</p>
<p>शुक्रिया आ शेख जी</p>
<p>हौसला अफ़ज़ाई के लिये सहृदय प्रणाम</p>
<p>सादर</p>