"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-124 - Open Books Online2024-03-29T15:59:34Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/124?commentId=5170231%3AComment%3A1035675&feed=yes&xn_auth=no"ओ बी ओ लाइव तरही मुशाइर:"अंक…tag:openbooks.ning.com,2020-10-24:5170231:Comment:10359142020-10-24T18:29:34.465ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>"ओ बी ओ लाइव तरही मुशाइर:"अंक-124 को सफल बनाने के लिये सभी ग़ज़लकारों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।</p>
<p>"ओ बी ओ लाइव तरही मुशाइर:"अंक-124 को सफल बनाने के लिये सभी ग़ज़लकारों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।</p> बहुत खूब आदरणीया अंजलि जी .…tag:openbooks.ning.com,2020-10-24:5170231:Comment:10358152020-10-24T18:28:51.758Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p> बहुत खूब आदरणीया अंजलि जी ..</p>
<p>अच्छी गज़ल के लिए ढेरों मुबारकबाद </p>
<p> बहुत खूब आदरणीया अंजलि जी ..</p>
<p>अच्छी गज़ल के लिए ढेरों मुबारकबाद </p> उम्दा गज़ल की ढेरों मुबारकबाद…tag:openbooks.ning.com,2020-10-24:5170231:Comment:10359132020-10-24T18:21:11.578Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>उम्दा गज़ल की ढेरों मुबारकबाद अदरणीय सालिक गणवीर जी दूसरे शेर पर अच्छी इस्लाह हुयी ....</p>
<p>उम्दा गज़ल की ढेरों मुबारकबाद अदरणीय सालिक गणवीर जी दूसरे शेर पर अच्छी इस्लाह हुयी ....</p> आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अपेक्…tag:openbooks.ning.com,2020-10-24:5170231:Comment:10358142020-10-24T18:21:04.296ZNilesh Shevgaonkarhttps://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,<br/><br/>अपेक्षा थी कि आप अपनी रचना पर इंगित त्रुटियों को या defend करेंगे या कोई स्पष्टीकरण देंगे जिससे सीखने वालों का मार्गदर्शन हो लेकिन आपने तीसरा और आसान मार्ग पलायन का चुना .. <br/>वैसे मतला यूँ होता तो बेहतर होता..<br/><strong>अब अंगूठे पर सियाही फिर न आनी चाहिए <br/>इल्म की ये रौशनी हर सम्त जानी चाहिए ..<br/></strong>आशा है यह सुझाव आपको पसंद आएगा .<br/>सादर </p>
<p>आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,<br/><br/>अपेक्षा थी कि आप अपनी रचना पर इंगित त्रुटियों को या defend करेंगे या कोई स्पष्टीकरण देंगे जिससे सीखने वालों का मार्गदर्शन हो लेकिन आपने तीसरा और आसान मार्ग पलायन का चुना .. <br/>वैसे मतला यूँ होता तो बेहतर होता..<br/><strong>अब अंगूठे पर सियाही फिर न आनी चाहिए <br/>इल्म की ये रौशनी हर सम्त जानी चाहिए ..<br/></strong>आशा है यह सुझाव आपको पसंद आएगा .<br/>सादर </p> धन्यवाद आ. नादिर ख़ान साहब ..ल…tag:openbooks.ning.com,2020-10-24:5170231:Comment:10359122020-10-24T17:58:21.666ZNilesh Shevgaonkarhttps://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>धन्यवाद आ. नादिर ख़ान साहब ..<br/>लेकिन अफ़सोस है कि चर्चा का रुख़ साहित्य केन्द्रित न हो कर कल्पनाओं को नादानी बताने तक सिमट गया..<br/>आभार </p>
<p>धन्यवाद आ. नादिर ख़ान साहब ..<br/>लेकिन अफ़सोस है कि चर्चा का रुख़ साहित्य केन्द्रित न हो कर कल्पनाओं को नादानी बताने तक सिमट गया..<br/>आभार </p> आदरणीय नीलेश जी उम्दा गज़ल के…tag:openbooks.ning.com,2020-10-24:5170231:Comment:10359112020-10-24T17:49:56.133Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>आदरणीय नीलेश जी उम्दा गज़ल के लिए आपको ढेरों मुबारकबाद, गुणी जनों की चर्चा से हम लोगों को कुछ नई चीज़ें सीखने को मिल जाती हैं इसके लिए आप सभी गुणी जनों का आभार ..... </p>
<p>आदरणीय नीलेश जी उम्दा गज़ल के लिए आपको ढेरों मुबारकबाद, गुणी जनों की चर्चा से हम लोगों को कुछ नई चीज़ें सीखने को मिल जाती हैं इसके लिए आप सभी गुणी जनों का आभार ..... </p> मुहतरमा डिम्पल शर्मा जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2020-10-24:5170231:Comment:10358132020-10-24T17:45:30.926Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>मुहतरमा डिम्पल शर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया। लिखते रहें शाद-ओ-आबाद रहें। </p>
<p>मुहतरमा डिम्पल शर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया। लिखते रहें शाद-ओ-आबाद रहें। </p> आदरणीय दण्डपाणि नाहक़ जी आदाब…tag:openbooks.ning.com,2020-10-24:5170231:Comment:10356042020-10-24T17:39:42.503Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय दण्डपाणि नाहक़ जी आदाब ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया। सादर। </p>
<p>आदरणीय दण्डपाणि नाहक़ जी आदाब ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया। सादर। </p> आदरणीय निलेश जी ख़ाकसार की ग़…tag:openbooks.ning.com,2020-10-24:5170231:Comment:10358122020-10-24T17:38:29.473Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttps://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय निलेश जी ख़ाकसार की ग़ज़ल तक आने के लिये आभार। आपको भी आयोजन में सहभागिता हेतु बधाई। </p>
<p>आदरणीय निलेश जी ख़ाकसार की ग़ज़ल तक आने के लिये आभार। आपको भी आयोजन में सहभागिता हेतु बधाई। </p> जी कोशिश करेंगे जल्दी आने की…tag:openbooks.ning.com,2020-10-24:5170231:Comment:10359102020-10-24T17:36:03.414Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>जी कोशिश करेंगे जल्दी आने की लेकिन ... और भी ग़म हैं ......... देर हो जाती है ।</p>
<p>सादर</p>
<p>जी कोशिश करेंगे जल्दी आने की लेकिन ... और भी ग़म हैं ......... देर हो जाती है ।</p>
<p>सादर</p>