"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-111 - Open Books Online2024-03-29T07:44:05Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/111?commentId=5170231%3AComment%3A993334&xg_source=activity&feed=yes&xn_auth=no"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अं…tag:openbooks.ning.com,2019-09-28:5170231:Comment:9934482019-09-28T18:23:20.122ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p><strong>"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-111 को सफ़ल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।</strong></p>
<p><strong>"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-111 को सफ़ल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।</strong></p> आदरनीय आसिफ भाई जी , बहुत ब…tag:openbooks.ning.com,2019-09-28:5170231:Comment:9934472019-09-28T18:06:50.242Zमोहन बेगोवालhttps://openbooks.ning.com/profile/DrMohanlal
<p> आदरनीय आसिफ भाई जी , बहुत बहुत शुक्रिया </p>
<p> आदरनीय आसिफ भाई जी , बहुत बहुत शुक्रिया </p>
आदरनीय समर कबीर जी , आप…tag:openbooks.ning.com,2019-09-28:5170231:Comment:9933642019-09-28T18:05:16.342Zमोहन बेगोवालhttps://openbooks.ning.com/profile/DrMohanlal
<p> </p>
<p></p>
<p> आदरनीय समर कबीर जी , आप जी ने मेरी कोशिश के बारे अपने विचार दे कर उत्साह भरा , बहुत बहुत शुक्रिया , काम कि वजह से लेट हो गया और न ही बाकी ग़जलें पढ़ सका , अब पढ़ रहा हो और इनको समझने को कोशिश कर रहा हूँ </p>
<p> </p>
<p></p>
<p> आदरनीय समर कबीर जी , आप जी ने मेरी कोशिश के बारे अपने विचार दे कर उत्साह भरा , बहुत बहुत शुक्रिया , काम कि वजह से लेट हो गया और न ही बाकी ग़जलें पढ़ सका , अब पढ़ रहा हो और इनको समझने को कोशिश कर रहा हूँ </p> मोहतरम तनवीर साहब बहुत बहुत…tag:openbooks.ning.com,2019-09-28:5170231:Comment:9933032019-09-28T17:59:49.788ZAsif zaidihttps://openbooks.ning.com/profile/Asifzaidi
<p></p>
<p> मोहतरम तनवीर साहब बहुत बहुत मुबारकबाद पेशकश की । </p>
<p></p>
<p> मोहतरम तनवीर साहब बहुत बहुत मुबारकबाद पेशकश की । </p> ख़ूबtag:openbooks.ning.com,2019-09-28:5170231:Comment:9935482019-09-28T17:56:41.794ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>ख़ूब</p>
<p>ख़ूब</p> मिसाल अब वो हमारी दोस्ती की ख…tag:openbooks.ning.com,2019-09-28:5170231:Comment:9934462019-09-28T17:53:19.523Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>मिसाल अब वो हमारी दोस्ती की खूब देता है</p>
<p>गिला शिकवा तो उसको फायदा होने से पहले था</p>
<p>मिसाल अब वो हमारी दोस्ती की खूब देता है</p>
<p>गिला शिकवा तो उसको फायदा होने से पहले था</p> आदरणीय मोहन बेगोवाल जी बहुत…tag:openbooks.ning.com,2019-09-28:5170231:Comment:9934452019-09-28T17:51:33.228ZAsif zaidihttps://openbooks.ning.com/profile/Asifzaidi
<p></p>
<p> आदरणीय मोहन बेगोवाल जी बहुत बहुत बधाई स्वीकार किजिए उम्दा ग़ज़ल के लिए सादर ।</p>
<p></p>
<p> आदरणीय मोहन बेगोवाल जी बहुत बहुत बधाई स्वीकार किजिए उम्दा ग़ज़ल के लिए सादर ।</p> जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,तरह…tag:openbooks.ning.com,2019-09-28:5170231:Comment:9933022019-09-28T17:35:22.231ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।</p> जनाब निलेश जी,
'तुम्हारे हुस्…tag:openbooks.ning.com,2019-09-28:5170231:Comment:9933012019-09-28T17:23:56.882ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब निलेश जी,</p>
<p>'तुम्हारे हुस्न से कुछ जाम छलकेगा, तसव्वुर कर'</p>
<p>पहले मुझे भी इस मिसरे पर शुतरगुरबा लगा था,लेकिन इसे सानी से जोड़कर पढ़ने पर पता लगा कि इस वाक्य का सानी से कनेक्शन है,और इस तरह इसमें शुतरगुरबा की गुंजाइश नहीं लगी ।</p>
<p>जनाब निलेश जी,</p>
<p>'तुम्हारे हुस्न से कुछ जाम छलकेगा, तसव्वुर कर'</p>
<p>पहले मुझे भी इस मिसरे पर शुतरगुरबा लगा था,लेकिन इसे सानी से जोड़कर पढ़ने पर पता लगा कि इस वाक्य का सानी से कनेक्शन है,और इस तरह इसमें शुतरगुरबा की गुंजाइश नहीं लगी ।</p> अमित जी , सुंदर ग़ज़ल के लिए…tag:openbooks.ning.com,2019-09-28:5170231:Comment:9935472019-09-28T17:19:22.721Zमोहन बेगोवालhttps://openbooks.ning.com/profile/DrMohanlal
<p> अमित जी , सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई हो </p>
<p> अमित जी , सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई हो </p>