"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-109 - Open Books Online2024-03-29T11:24:18Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/109?commentId=5170231%3AComment%3A988931&feed=yes&xn_auth=no"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा"अंक…tag:openbooks.ning.com,2019-07-27:5170231:Comment:9892592019-07-27T18:27:56.844ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा"अंक-109 को सफ़ल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।</p>
<p>"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा"अंक-109 को सफ़ल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक आभार व धन्यवाद ।</p> भाई ग़ज़लों की इस्लाह से वक़्त ह…tag:openbooks.ning.com,2019-07-27:5170231:Comment:9892582019-07-27T17:55:28.822ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>भाई ग़ज़लों की इस्लाह से वक़्त ही नहीं मिलता अपने लिए ।</p>
<p>भाई ग़ज़लों की इस्लाह से वक़्त ही नहीं मिलता अपने लिए ।</p>
आदरणीय आसिफ जी , बहुत उ…tag:openbooks.ning.com,2019-07-27:5170231:Comment:9890002019-07-27T17:52:46.278Zमोहन बेगोवालhttps://openbooks.ning.com/profile/DrMohanlal
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<p> आदरणीय आसिफ जी , बहुत उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई हो </p>
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<p> आदरणीय आसिफ जी , बहुत उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई हो </p>
<p></p> नहीं चलेगा बहना ।tag:openbooks.ning.com,2019-07-27:5170231:Comment:9891812019-07-27T17:51:22.578ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>नहीं चलेगा बहना ।</p>
<p>नहीं चलेगा बहना ।</p> //अंतिम शेर में बाकी की तनाफ…tag:openbooks.ning.com,2019-07-27:5170231:Comment:9889992019-07-27T17:49:35.017ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
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<p>//अंतिम शेर में बाकी की तनाफुर आ रहा है//</p>
<p>"बाक़ी की" में तनाफ़ुर नहीं होता,बहना ।</p>
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<p>//अंतिम शेर में बाकी की तनाफुर आ रहा है//</p>
<p>"बाक़ी की" में तनाफ़ुर नहीं होता,बहना ।</p>
<p></p> //तीसरे शेर में अभी भी में तन…tag:openbooks.ning.com,2019-07-27:5170231:Comment:9891802019-07-27T17:39:34.702ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>//तीसरे शेर में अभी भी में तनाफुर आ गया //</p>
<p>"अभी भी" में तनाफ़ुर नहीं होता बहना ।</p>
<p>//तीसरे शेर में अभी भी में तनाफुर आ गया //</p>
<p>"अभी भी" में तनाफ़ुर नहीं होता बहना ।</p> आदरणीय नीलेश जी , बहुत सुंद…tag:openbooks.ning.com,2019-07-27:5170231:Comment:9891792019-07-27T17:38:44.813Zमोहन बेगोवालhttps://openbooks.ning.com/profile/DrMohanlal
<p> आदरणीय नीलेश जी , बहुत सुंदर ग़ज़ल न के लिए बधाई हो </p>
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<p> आदरणीय नीलेश जी , बहुत सुंदर ग़ज़ल न के लिए बधाई हो </p>
<p></p> आदरणीय नीलेश जी , बहुत सुं…tag:openbooks.ning.com,2019-07-27:5170231:Comment:9891782019-07-27T17:31:06.150Zमोहन बेगोवालhttps://openbooks.ning.com/profile/DrMohanlal
<p> आदरणीय नीलेश जी , बहुत सुंदर ग़ज़ल न के लिए बधाई हो </p>
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<p> आदरणीय नीलेश जी , बहुत सुंदर ग़ज़ल न के लिए बधाई हो </p>
<p></p> मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2019-07-27:5170231:Comment:9889982019-07-27T17:27:39.603ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'बादल में छिपा चाँद निकल आया है घर से</span></p>
<p><span>रख लेंगें उसे थाम यहीं तीर ए नज़र से'</span></p>
<p><span>इस मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,'तीर-ए-नज़र' की सिफ़त घायल करने की होती है,थामने की नहीं,सानी मिसरा यूँ किया जा सकता है:-</span></p>
<p><span>'घायल कोई करदे न इसे तीर-ए-नज़र से'</span></p>
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<p><span>'तुम लौट न जाओ कहीं अंधेरों के डर…</span></p>
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'बादल में छिपा चाँद निकल आया है घर से</span></p>
<p><span>रख लेंगें उसे थाम यहीं तीर ए नज़र से'</span></p>
<p><span>इस मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,'तीर-ए-नज़र' की सिफ़त घायल करने की होती है,थामने की नहीं,सानी मिसरा यूँ किया जा सकता है:-</span></p>
<p><span>'घायल कोई करदे न इसे तीर-ए-नज़र से'</span></p>
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<p><span>'तुम लौट न जाओ कहीं अंधेरों के डर से'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में आपने 'अंधेरों' शब्द को 222 पर बह्र निभाने के लिए बाँधा है जबकि सहीह शब्द "अँधेरों"122 है,देखियेगा,इस मिसरे को यूँ किया जा सकता है:-</span></p>
<p><span>'तुम लौट न जाओ कहीं ज़ुलमात के डर से'</span></p>
<p><span>गिरह उम्द: हुई ।</span></p> आदरणीया रचना भाटिया जी , स…tag:openbooks.ning.com,2019-07-27:5170231:Comment:9890822019-07-27T17:17:17.690Zमोहन बेगोवालhttps://openbooks.ning.com/profile/DrMohanlal
<p> आदरणीया रचना भाटिया जी , सुंदर ग़ज़ल न के लिए बधाई स्वीकार करें </p>
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<p> आदरणीया रचना भाटिया जी , सुंदर ग़ज़ल न के लिए बधाई स्वीकार करें </p>
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