"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-107 - Open Books Online2024-03-28T17:17:58Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/107?commentId=5170231%3AComment%3A984292&feed=yes&xn_auth=no"ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक…tag:openbooks.ning.com,2019-05-25:5170231:Comment:9847032019-05-25T18:29:29.987ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>"ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 107 को सफ़ल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का आभार व धन्यवाद ।</p>
<p>"ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 107 को सफ़ल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का आभार व धन्यवाद ।</p> शुक्रिया अनीस जीtag:openbooks.ning.com,2019-05-25:5170231:Comment:9848172019-05-25T18:27:08.563Zअजय गुप्ता 'अजेयhttps://openbooks.ning.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>शुक्रिया अनीस जी</p>
<p>शुक्रिया अनीस जी</p> शुक्रिया अमित जीtag:openbooks.ning.com,2019-05-25:5170231:Comment:9847292019-05-25T18:26:53.776Zअजय गुप्ता 'अजेयhttps://openbooks.ning.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>शुक्रिया अमित जी</p>
<p>शुक्रिया अमित जी</p> जनाब समर कबीर साहब उपयोगी जान…tag:openbooks.ning.com,2019-05-25:5170231:Comment:9849212019-05-25T18:25:49.661Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>जनाब समर कबीर साहब उपयोगी जानकारी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ....</p>
<p>जनाब समर कबीर साहब उपयोगी जानकारी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ....</p> शुक्रिया मोहन जीtag:openbooks.ning.com,2019-05-25:5170231:Comment:9847022019-05-25T18:25:47.460Zअजय गुप्ता 'अजेयhttps://openbooks.ning.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>शुक्रिया मोहन जी</p>
<p>शुक्रिया मोहन जी</p> आभार जनाबtag:openbooks.ning.com,2019-05-25:5170231:Comment:9847282019-05-25T18:25:34.972Zअजय गुप्ता 'अजेयhttps://openbooks.ning.com/profile/3tuckjroyzywi
<p>आभार जनाब</p>
<p>आभार जनाब</p> भाई आलोचना कोई भी करे अगर वो…tag:openbooks.ning.com,2019-05-25:5170231:Comment:9847272019-05-25T18:21:58.033ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>भाई आलोचना कोई भी करे अगर वो दुरुस्त लगे तो हर सदस्य को या तो उस आलोचना से सहमत होना चाहिए या असहमत दोनों ही सूरतों में अपनी टिप्पणी में इसका हवाला इसलिए ज़रूरी है कि रचनाकार किसी धोके में न रहे ।</p>
<p>भाई आलोचना कोई भी करे अगर वो दुरुस्त लगे तो हर सदस्य को या तो उस आलोचना से सहमत होना चाहिए या असहमत दोनों ही सूरतों में अपनी टिप्पणी में इसका हवाला इसलिए ज़रूरी है कि रचनाकार किसी धोके में न रहे ।</p> जनाब नादिर ख़ान साहिब आदाब,तरह…tag:openbooks.ning.com,2019-05-25:5170231:Comment:9847012019-05-25T18:16:31.571ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब नादिर ख़ान साहिब आदाब,तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'हर किसान तो अब सहमा सा लगता है'</p>
<p>इस मिसरे में 'हर किसान'2121 की वजह से लय बाधित हो रही है,इसे यूँ भी किया जा सकता है:-</p>
<p>'हर दहकां अब सहमा सहमा लगता है'</p>
<p></p>
<p><span>'फिर चुनाव का मौसम आया लगता है'</span></p>
<p><span>ये मिसरा भी 2121 की वजह से लय में नहीं लगता ।</span></p>
<p>जनाब नादिर ख़ान साहिब आदाब,तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'हर किसान तो अब सहमा सा लगता है'</p>
<p>इस मिसरे में 'हर किसान'2121 की वजह से लय बाधित हो रही है,इसे यूँ भी किया जा सकता है:-</p>
<p>'हर दहकां अब सहमा सहमा लगता है'</p>
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<p><span>'फिर चुनाव का मौसम आया लगता है'</span></p>
<p><span>ये मिसरा भी 2121 की वजह से लय में नहीं लगता ।</span></p> शुक्रिया डॉ अमर नाथ झा साहब tag:openbooks.ning.com,2019-05-25:5170231:Comment:9848162019-05-25T18:13:33.654Zनादिर ख़ानhttps://openbooks.ning.com/profile/Nadir
<p>शुक्रिया डॉ अमर नाथ झा साहब </p>
<p>शुक्रिया डॉ अमर नाथ झा साहब </p> वाह। बधाई जनाब नादिर खान साहे…tag:openbooks.ning.com,2019-05-25:5170231:Comment:9847252019-05-25T18:06:34.044ZAmar Pankaj (Dr Amar Nath Jha)https://openbooks.ning.com/profile/DrAmarNathJha
<p>वाह। बधाई जनाब नादिर खान साहेब। </p>
<p>वाह। बधाई जनाब नादिर खान साहेब। </p>