"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-103 - Open Books Online2024-03-28T12:41:45Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/103?id=5170231%3ATopic%3A968804&feed=yes&xn_auth=noजनाब अजय गुप्ता जी आदाब,
"बड़ी…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9717012019-01-26T18:15:24.426ZSamar kabeerhttps://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब अजय गुप्ता जी आदाब,</p>
<p>"बड़ी देर की मह्रबां आते आते"</p>
<p>ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>' जब से तुम आई पास खिली मेरी ज़िंदगी'</p>
<p>इस मिसरे में 'आई' को "आईं" करें ।</p>
<p></p>
<p>'आगे बढूँ खुदाया मुझे दो वो हौंसला<br/>पीछे न हटने देे वो अनाएँ मुझे न दो'</p>
<p>इस शैर के ऊला मिसरे में 'ख़ुदाया' शब्द के साथ 'दो' शब्द उचित नहीं "दे" का प्रयोग होता है,आपने शायद क़ाफ़िया निभाने के लिए इसे 'दो' लिखा है वरना शुतरगुरबा दोष हो जाता,,यूँ भी ग़लत हो गया ।</p>
<p>जनाब अजय गुप्ता जी आदाब,</p>
<p>"बड़ी देर की मह्रबां आते आते"</p>
<p>ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>' जब से तुम आई पास खिली मेरी ज़िंदगी'</p>
<p>इस मिसरे में 'आई' को "आईं" करें ।</p>
<p></p>
<p>'आगे बढूँ खुदाया मुझे दो वो हौंसला<br/>पीछे न हटने देे वो अनाएँ मुझे न दो'</p>
<p>इस शैर के ऊला मिसरे में 'ख़ुदाया' शब्द के साथ 'दो' शब्द उचित नहीं "दे" का प्रयोग होता है,आपने शायद क़ाफ़िया निभाने के लिए इसे 'दो' लिखा है वरना शुतरगुरबा दोष हो जाता,,यूँ भी ग़लत हो गया ।</p> आद० अजय गुप्ता जी अच्छी ग़ज़ल क…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9716032019-01-26T18:10:27.848Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० अजय गुप्ता जी अच्छी ग़ज़ल कही है बहुत बहुत बधाई </p>
<p>आद० अजय गुप्ता जी अच्छी ग़ज़ल कही है बहुत बहुत बधाई </p> धन्यवाद समर कबीर साहब।tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9717002019-01-26T18:09:02.333ZDayaram Methanihttps://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>धन्यवाद समर कबीर साहब।</p>
<p>धन्यवाद समर कबीर साहब।</p> जनाब दण्डपाणि ' जी अच्छी ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9716012019-01-26T18:08:48.776Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p><span>जनाब दण्डपाणि ' जी अच्छी ग़ज़ल कही है बहुत बहुत बधाई </span></p>
<p><span>जनाब दण्डपाणि ' जी अच्छी ग़ज़ल कही है बहुत बहुत बधाई </span></p> आद० मुनीश तन्हा भैया बहुत खूब…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9717882019-01-26T18:07:35.994Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० मुनीश तन्हा भैया बहुत खूब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद देती हूँ </p>
<p>आद० मुनीश तन्हा भैया बहुत खूब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद देती हूँ </p> आद० लक्ष्मण भैया बहुत अच्छी ग़…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9716992019-01-26T18:05:29.398Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० लक्ष्मण भैया बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है मुबारकबाद कुबूलें कहीं कहीं टंकण त्रुटियाँ हैं उन्हें सही कर लें .आद० समर भाई जी की बात पर गौर करें बाकी मिसरे तो बहुत बढिया हुए </p>
<p>आद० लक्ष्मण भैया बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है मुबारकबाद कुबूलें कहीं कहीं टंकण त्रुटियाँ हैं उन्हें सही कर लें .आद० समर भाई जी की बात पर गौर करें बाकी मिसरे तो बहुत बढिया हुए </p> आद० अमित कुमार जी ग़ज़ल का बढ़िय…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9716972019-01-26T17:59:56.420Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० अमित कुमार जी ग़ज़ल का बढ़िया प्रयास हुआ है हालांकि कुछ और समय चाहती है आद० समर भाई जी बता ही चुके .मेरी मुबारकबाद स्वीकारें </p>
<p>आद० अमित कुमार जी ग़ज़ल का बढ़िया प्रयास हुआ है हालांकि कुछ और समय चाहती है आद० समर भाई जी बता ही चुके .मेरी मुबारकबाद स्वीकारें </p> आद० राज़ नवादवी जी बहुत उम्दा…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9717872019-01-26T17:57:07.883Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० राज़ नवादवी जी बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर मुबारकबाद कुबूलें </p>
<p>आद० राज़ नवादवी जी बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर मुबारकबाद कुबूलें </p> आदरणीय जनाब मंच संचालकराणा प्…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9716962019-01-26T17:57:05.960ZAsif zaidihttps://openbooks.ning.com/profile/Asifzaidi
<p>आदरणीय जनाब <span>मंच संचालक</span><br/><strong>राणा प्रताप सिंह</strong><span> बहुत बहुत शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी के लिए मुस्तक़बिल के लिए दुआ व आशीर्वाद की ज़रुरत है आभार सादर </span></p>
<p>आदरणीय जनाब <span>मंच संचालक</span><br/><strong>राणा प्रताप सिंह</strong><span> बहुत बहुत शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी के लिए मुस्तक़बिल के लिए दुआ व आशीर्वाद की ज़रुरत है आभार सादर </span></p> आद० मंजू कछावा जी सबसे पहले त…tag:openbooks.ning.com,2019-01-26:5170231:Comment:9718662019-01-26T17:53:55.921Zrajesh kumarihttps://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>आद० मंजू कछावा जी सबसे पहले तो ओबीओ पर आपका हार्दिक स्वागत है आपको यहाँ देखकर अच्छा लगा और मुशाइरे में सहभागिता देखकर और अच्छा लगा .बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने दिल से दाद हाज़िर है ओबीओ पर आती रहिएगा </p>
<p>आद० मंजू कछावा जी सबसे पहले तो ओबीओ पर आपका हार्दिक स्वागत है आपको यहाँ देखकर अच्छा लगा और मुशाइरे में सहभागिता देखकर और अच्छा लगा .बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने दिल से दाद हाज़िर है ओबीओ पर आती रहिएगा </p>