"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) - Open Books Online2024-03-29T11:31:04Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/100-2?id=5170231%3ATopic%3A955781&feed=yes&xn_auth=no.//थी ये साज़िश या मैं ही था…tag:openbooks.ning.com,2018-10-21:5170231:Comment:9573962018-10-21T18:29:35.098ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>.//<span>थी ये साज़िश या मैं ही था पुतला</span><br/><span>आज रावण जला गया है मुझे//</span></p>
<p>मिसरा सानी कुछ बन न सका, शेष अशआर अच्छे लगे, बधाई आदरणीय कृष्ण कुमार जी। </p>
<p>.//<span>थी ये साज़िश या मैं ही था पुतला</span><br/><span>आज रावण जला गया है मुझे//</span></p>
<p>मिसरा सानी कुछ बन न सका, शेष अशआर अच्छे लगे, बधाई आदरणीय कृष्ण कुमार जी। </p> आदरणीय संचालक जी कृपया मेरी ग…tag:openbooks.ning.com,2018-10-21:5170231:Comment:9576482018-10-21T18:29:30.798ZAshok Kumar Raktalehttps://openbooks.ning.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय संचालक जी कृपया मेरी गजल के पांचवे शेर के सानी के मिसरे को इसतरह संशोधित कर दें //<span>हर दफ़ा ही छला गया है मुझे// सादर </span></p>
<p>आदरणीय संचालक जी कृपया मेरी गजल के पांचवे शेर के सानी के मिसरे को इसतरह संशोधित कर दें //<span>हर दफ़ा ही छला गया है मुझे// सादर </span></p> शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी…tag:openbooks.ning.com,2018-10-21:5170231:Comment:9575402018-10-21T18:29:21.771ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी। हार्दिक आभार। सादर।</p>
<p>शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी। हार्दिक आभार। सादर।</p> वाह यह भी कमाल की ग़ज़ल कही है…tag:openbooks.ning.com,2018-10-21:5170231:Comment:9574732018-10-21T18:29:18.925ZKALPANA BHATT ('रौनक़')https://openbooks.ning.com/profile/KALPANABHATT832
<p>वाह यह भी कमाल की ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय बागी सर | हार्दिक बधाई | यहाँ भी पिछल्लू उम्दा कहें हैं आपने | </p>
<p>वाह यह भी कमाल की ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय बागी सर | हार्दिक बधाई | यहाँ भी पिछल्लू उम्दा कहें हैं आपने | </p> बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय श्लेष…tag:openbooks.ning.com,2018-10-21:5170231:Comment:9576472018-10-21T18:29:09.090ZEr. Ganesh Jee "Bagi"https://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय श्लेष जी, बधाई आपको। </p>
<p>बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय श्लेष जी, बधाई आपको। </p> आदरणीय नन्द कुमार जी मुशायरे…tag:openbooks.ning.com,2018-10-21:5170231:Comment:9574712018-10-21T18:28:43.513ZRana Pratap Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/RanaPratapSingh
<p>आदरणीय नन्द कुमार जी मुशायरे में शिरकत के लिए हार्दिक आभार और शुभकामनयें|</p>
<p>आदरणीय नन्द कुमार जी मुशायरे में शिरकत के लिए हार्दिक आभार और शुभकामनयें|</p> सुखन नवाज़ी का बहुत-बहुत शुक्र…tag:openbooks.ning.com,2018-10-21:5170231:Comment:9575392018-10-21T18:28:41.782ZMahendra Kumarhttps://openbooks.ning.com/profile/Mahendra
<p>सुखन नवाज़ी का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय इंजी. गणेश जी "बाग़ी" जी। हार्दिक आभार। सादर।</p>
<p>सुखन नवाज़ी का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय इंजी. गणेश जी "बाग़ी" जी। हार्दिक आभार। सादर।</p> राणा भाई, बहुत अच्छे ! .. शेर…tag:openbooks.ning.com,2018-10-21:5170231:Comment:9574702018-10-21T18:28:26.194ZSaurabh Pandeyhttps://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>राणा भाई, बहुत अच्छे ! .. शेर दर शेर दाद क़बूल कीजिए </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>राणा भाई, बहुत अच्छे ! .. शेर दर शेर दाद क़बूल कीजिए </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> ग़ज़ल अभी बहुत वक़्त मांग रही है…tag:openbooks.ning.com,2018-10-21:5170231:Comment:9576452018-10-21T18:28:17.167Zयोगराज प्रभाकरhttps://openbooks.ning.com/profile/YograjPrabhakar
<p>ग़ज़ल अभी बहुत वक़्त मांग रही है आ० नन्द कुमार जी. आयोजन में सहभागिता हेतु अभिनंदन स्वीकार करें. </p>
<p>ग़ज़ल अभी बहुत वक़्त मांग रही है आ० नन्द कुमार जी. आयोजन में सहभागिता हेतु अभिनंदन स्वीकार करें. </p> आे बी बो के 100 तरही मुशायरे…tag:openbooks.ning.com,2018-10-21:5170231:Comment:9574692018-10-21T18:27:57.794ZRavi Shuklahttps://openbooks.ning.com/profile/RaviShukla
<p>आे बी बो के 100 तरही मुशायरे के कामयाब आयोजन के लिए सभी को बधाई </p>
<p>आे बी बो के 100 तरही मुशायरे के कामयाब आयोजन के लिए सभी को बधाई </p>