03.08.2013 को आयोजित गोष्ठी: एक रिपोर्ट - Open Books Online2024-03-28T12:41:33Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/03-08-2013?commentId=5170231%3AComment%3A417589&feed=yes&xn_auth=noआदरणीय शरदिंदु जी आपका हार्दि…tag:openbooks.ning.com,2013-08-24:5170231:Comment:4198602013-08-24T02:42:00.780Zबृजेश नीरजhttps://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीय शरदिंदु जी आपका हार्दिक आभार! आपके सुझाव निश्चित ही महत्वपूर्ण हैं और उन पर अमल किया जाना चाहिए। आपका मार्गदर्शन निश्चित ही हम लोगों के प्रयासों को नई दिशा देगा। <br/>सादर!</p>
<p>आदरणीय शरदिंदु जी आपका हार्दिक आभार! आपके सुझाव निश्चित ही महत्वपूर्ण हैं और उन पर अमल किया जाना चाहिए। आपका मार्गदर्शन निश्चित ही हम लोगों के प्रयासों को नई दिशा देगा। <br/>सादर!</p> आदरणीया प्राची जी,
आपकी टिप्प…tag:openbooks.ning.com,2013-08-23:5170231:Comment:4197992013-08-23T19:59:35.548Zsharadindu mukerjihttps://openbooks.ning.com/profile/sharadindumukerji
<p>आदरणीया प्राची जी,</p>
<p>आपकी टिप्पणी ने मन मोह लिया. उस दिन तो रचनाओं में इतना कुरकुरापन था, स्वरों में इतनी मिठास थी कि संदेश और कचौरी लजा गये थे, अब उन्हें छेड़कर और लज्जित न करें.</p>
<p>आदरणीया प्राची जी,</p>
<p>आपकी टिप्पणी ने मन मोह लिया. उस दिन तो रचनाओं में इतना कुरकुरापन था, स्वरों में इतनी मिठास थी कि संदेश और कचौरी लजा गये थे, अब उन्हें छेड़कर और लज्जित न करें.</p> भाई बृजेश जी, ,सुंदर रिपोर्ट…tag:openbooks.ning.com,2013-08-23:5170231:Comment:4197962013-08-23T19:52:44.833Zsharadindu mukerjihttps://openbooks.ning.com/profile/sharadindumukerji
<p>भाई बृजेश जी, ,सुंदर रिपोर्ट के लिये सबने आपको बधाई तो दे ही दी है, मैं नया क्या जोड़ सकता हूँ उसमें? आप, केवल जी और प्रदीप कुशवाहा जी के सतत प्रयास से ही लखनऊ चैप्टर जीवंत हो उठा है. नि:संदेह आदरणीया प्राची जी की उपस्थिति ने पिछले आयोजन में नयी स्फूर्ति ला दी थी. हमारा प्रयास होना चाहिये कि ऐसे आयोजन में हम लखनऊ के बाहर से ओ.बी.ओ. के किसी ऐसे सदस्य को आमंत्रित करें जो साहित्यिक वर्चस्वता के दृष्टिकोण से विशेष आसन के अधिकारी हैं. इससे लखनऊ चैप्टर को सर्वांगीण लाभ होगा. मैं जानता हूँ हर महीने…</p>
<p>भाई बृजेश जी, ,सुंदर रिपोर्ट के लिये सबने आपको बधाई तो दे ही दी है, मैं नया क्या जोड़ सकता हूँ उसमें? आप, केवल जी और प्रदीप कुशवाहा जी के सतत प्रयास से ही लखनऊ चैप्टर जीवंत हो उठा है. नि:संदेह आदरणीया प्राची जी की उपस्थिति ने पिछले आयोजन में नयी स्फूर्ति ला दी थी. हमारा प्रयास होना चाहिये कि ऐसे आयोजन में हम लखनऊ के बाहर से ओ.बी.ओ. के किसी ऐसे सदस्य को आमंत्रित करें जो साहित्यिक वर्चस्वता के दृष्टिकोण से विशेष आसन के अधिकारी हैं. इससे लखनऊ चैप्टर को सर्वांगीण लाभ होगा. मैं जानता हूँ हर महीने शायद यह सम्भव नहीं हो पायेगा लेकिन कोशिश ऐसी ही करनी होगी. इस टिप्पणी के माध्यम से मैं लखनऊ निवासी उन सद्स्यो से आग्रह करता हूँ जो अभी तक इस आयोजन में उपस्थित नहीं हुए हैं, कि वे ऐसे आयोजनों में आकर आयोजन की प्रतिष्ठा को नया आयाम दें.</p>
<p>सबको शुभकामनाएँ.</p> आदरणीय प्रदीप जी आपका हार्दिक…tag:openbooks.ning.com,2013-08-20:5170231:Comment:4183542013-08-20T13:36:01.737Zबृजेश नीरजhttps://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीय प्रदीप जी आपका हार्दिक आभार!</p>
<p>आदरणीय प्रदीप जी आपका हार्दिक आभार!</p> aadarniy Neeraj ji ... is sun…tag:openbooks.ning.com,2013-08-20:5170231:Comment:4179732013-08-20T06:40:50.903ZPradeep Kumar Shuklahttps://openbooks.ning.com/profile/PradeepKumarShukla
<p>aadarniy Neeraj ji ... is sundar report ke liye bahut bahut aabhaar</p>
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<p>aadarniy Neeraj ji ... is sundar report ke liye bahut bahut aabhaar</p>
<p> </p> आदरणीया प्राची जी आपका हार्दि…tag:openbooks.ning.com,2013-08-19:5170231:Comment:4175892013-08-19T12:35:16.006Zबृजेश नीरजhttps://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार! आपकी उपस्थिति ने इन आयोजनों को एक नई दिशा दी है। उस राह पर चलने का हम सब प्रयास करेंगे।</p>
<p>यह कुछ और सीख लेने की चाह तथा आपस के स्नेह की डोर है जो मिलने पर फिर साथ छोड़ने का मन नहीं करता। शायद उसी साथ को बनाए रखने की इच्छा ही है जो हम अपनी लाख व्यस्तताओं के बावजूद जरा सा भी समय मिलने पर ओबीओ पर चले आते हैं। कुछ दिव्य शक्ति जरूर इस मंच में है। <br/>हम पर आप सबका स्नेह और आशीष यूं ही बना रहे, यही कामना है।<br/>सादर!</p>
<p>आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार! आपकी उपस्थिति ने इन आयोजनों को एक नई दिशा दी है। उस राह पर चलने का हम सब प्रयास करेंगे।</p>
<p>यह कुछ और सीख लेने की चाह तथा आपस के स्नेह की डोर है जो मिलने पर फिर साथ छोड़ने का मन नहीं करता। शायद उसी साथ को बनाए रखने की इच्छा ही है जो हम अपनी लाख व्यस्तताओं के बावजूद जरा सा भी समय मिलने पर ओबीओ पर चले आते हैं। कुछ दिव्य शक्ति जरूर इस मंच में है। <br/>हम पर आप सबका स्नेह और आशीष यूं ही बना रहे, यही कामना है।<br/>सादर!</p> आदरणीय बृजेश जी,
गत 3 अगस्त'…tag:openbooks.ning.com,2013-08-19:5170231:Comment:4176482013-08-19T10:39:55.658ZDr.Prachi Singhhttps://openbooks.ning.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>आदरणीय बृजेश जी,</p>
<p>गत 3 अगस्त' 2013 को आयोजित, लखनऊ काव्य गोष्ठी की विषद और सुन्दर रिपोर्ट प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.</p>
<p></p>
<p>लखनऊ की काव्यगोष्ठी और साहित्यिक परिचर्चा की समयबद्ध रूपरेखा के अनुशासित परिपालन और अयोजनों के प्रति आप सबकी उर्जस्वी संकल्पिता बधाई के पात्र हैं.</p>
<p></p>
<p>लखनऊ की तपती गर्मी में आप सबकी उत्कृष्ट रचनाओं के श्रवण नें आत्मीय शीतलता तो दी ही थी साथ ही डॉ० शरदिन्दु जी के घर पर मिलजुल कर खाए गए सन्देश की मिठास के साथ कुरकुरी कचौरियों का आनंद आज भी जिह्वा…</p>
<p>आदरणीय बृजेश जी,</p>
<p>गत 3 अगस्त' 2013 को आयोजित, लखनऊ काव्य गोष्ठी की विषद और सुन्दर रिपोर्ट प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.</p>
<p></p>
<p>लखनऊ की काव्यगोष्ठी और साहित्यिक परिचर्चा की समयबद्ध रूपरेखा के अनुशासित परिपालन और अयोजनों के प्रति आप सबकी उर्जस्वी संकल्पिता बधाई के पात्र हैं.</p>
<p></p>
<p>लखनऊ की तपती गर्मी में आप सबकी उत्कृष्ट रचनाओं के श्रवण नें आत्मीय शीतलता तो दी ही थी साथ ही डॉ० शरदिन्दु जी के घर पर मिलजुल कर खाए गए सन्देश की मिठास के साथ कुरकुरी कचौरियों का आनंद आज भी जिह्वा पर है.</p>
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<p><span>//हम सबके मन में यह कसक रह गयी कि काश, कुछ समय और मिलता और आदरणीया प्राची जी से कुछ और सुनने को मिलता//......................आ० बृजेश जी, ओबीओ के हर आयोजन में यही होता है. वक़्त कैसे पँख लगा के उड़ जाता है पता ही नहीं चलता. हल्द्वानी में तो पूरे दो दिन थे फिर भी यही कसक एक दूसरे की रचनाओं के प्रति सबके मनों में रह गयी कि काश कुछ और सुना होता... :)) </span></p>
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<p>विषद रिपोर्ट के लिए हार्दिक बधाई </p> आदरणीय गिरिराज जी आपका हार्दि…tag:openbooks.ning.com,2013-08-19:5170231:Comment:4174742013-08-19T10:16:05.773Zबृजेश नीरजhttps://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीय गिरिराज जी आपका हार्दिक आभार!</p>
<p>आदरणीय गिरिराज जी आपका हार्दिक आभार!</p> आदरणीय बृजेश जी , गोष्ठी की…tag:openbooks.ning.com,2013-08-19:5170231:Comment:4177132013-08-19T09:49:09.840Zगिरिराज भंडारीhttps://openbooks.ning.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय बृजेश जी , गोष्ठी की रिपोर्ट को सर्व सुलभ करने के लिए हार्दिक आभार !!</p>
<p>आदरणीय बृजेश जी , गोष्ठी की रिपोर्ट को सर्व सुलभ करने के लिए हार्दिक आभार !!</p> आदरणीया गीतिका जी आपका हार्दि…tag:openbooks.ning.com,2013-08-19:5170231:Comment:4174702013-08-19T09:34:28.728Zबृजेश नीरजhttps://openbooks.ning.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीया गीतिका जी आपका हार्दिक आभार! आपका स्वागत है यहां!</p>
<p>आदरणीया गीतिका जी आपका हार्दिक आभार! आपका स्वागत है यहां!</p>