हिन्दी काव्य का फलक और अतुकांत कविता --- डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव - Open Books Online2024-03-29T02:25:49Zhttps://openbooks.ning.com/forum/topics/0-4?feed=yes&xn_auth=noआदरणीय मैं तो दंग रह गया छन्द…tag:openbooks.ning.com,2015-01-26:5170231:Comment:6110762015-01-26T11:07:03.318ZRahul Dangi Panchalhttps://openbooks.ning.com/profile/RahulDangi
आदरणीय मैं तो दंग रह गया छन्द के बारे मे जानकर !
आदरणीय मैं तो दंग रह गया छन्द के बारे मे जानकर ! आ0 निकोर सर !
आपका सादर अ…tag:openbooks.ning.com,2015-01-02:5170231:Comment:6016972015-01-02T09:50:13.143Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p> आ0 निकोर सर !</p>
<p>आपका सादर अभिनन्दन I आभार i</p>
<p> आ0 निकोर सर !</p>
<p>आपका सादर अभिनन्दन I आभार i</p> वंदना जी
आपको लेख से कुछ प्र…tag:openbooks.ning.com,2015-01-02:5170231:Comment:6017922015-01-02T09:48:20.187Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>वंदना जी</p>
<p>आपको लेख से कुछ प्रेरणा मिली यह हर्ष का विषय है मेरे लिए i सादर i </p>
<p>वंदना जी</p>
<p>आपको लेख से कुछ प्रेरणा मिली यह हर्ष का विषय है मेरे लिए i सादर i </p> राम आसरे जी
आपका आभारी हूँ i…tag:openbooks.ning.com,2015-01-02:5170231:Comment:6019362015-01-02T09:46:14.245Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>राम आसरे जी</p>
<p>आपका आभारी हूँ i श्रीमन् i</p>
<p>राम आसरे जी</p>
<p>आपका आभारी हूँ i श्रीमन् i</p> आजकल मैं ओ बी ओ पर कम आ पाया…tag:openbooks.ning.com,2015-01-01:5170231:Comment:6014762015-01-01T08:00:40.515Zvijay nikorehttps://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>आजकल मैं ओ बी ओ पर कम आ पाया हूँ, अत: इस आलेख पर अब नज़र गई। पढ़कर मन प्रफुल्लित हुआ।</p>
<p></p>
<p>इतने ज्ञानवर्धक लेख कम ही मिलते हैं।</p>
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<p>आजकल मैं ओ बी ओ पर कम आ पाया हूँ, अत: इस आलेख पर अब नज़र गई। पढ़कर मन प्रफुल्लित हुआ।</p>
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<p>इतने ज्ञानवर्धक लेख कम ही मिलते हैं।</p>
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<p></p> आदरणीय आपके लेख पढ़कर हमेशा उप…tag:openbooks.ning.com,2014-12-31:5170231:Comment:6010902014-12-31T02:12:59.955Zvandanahttps://openbooks.ning.com/profile/vandana956
<p>आदरणीय आपके लेख पढ़कर हमेशा उपलब्द्ध समृद्ध साहित्य को पढने की इच्छा फिर से जाग्रत होने लगती है और लगता है लिखने से पहले पढने का काम किया जाना चाहिए </p>
<p>आदरणीय आपके लेख पढ़कर हमेशा उपलब्द्ध समृद्ध साहित्य को पढने की इच्छा फिर से जाग्रत होने लगती है और लगता है लिखने से पहले पढने का काम किया जाना चाहिए </p> आपको बहुत बहुत धन्यवाद इस ज्ञ…tag:openbooks.ning.com,2014-12-27:5170231:Comment:5993662014-12-27T03:56:47.233ZRam Asheryhttps://openbooks.ning.com/profile/RamAshery918
<p>आपको बहुत बहुत धन्यवाद इस ज्ञान वर्धक जानकारी के लिए </p>
<p>नि:संदेश :यह सभी के अंडर उयाफोह से निजात दिलाएगी </p>
<p>आपको बहुत बहुत बधाई हो </p>
<p>आपको बहुत बहुत धन्यवाद इस ज्ञान वर्धक जानकारी के लिए </p>
<p>नि:संदेश :यह सभी के अंडर उयाफोह से निजात दिलाएगी </p>
<p>आपको बहुत बहुत बधाई हो </p> वामनकर जी
आपका सादर आभार itag:openbooks.ning.com,2014-12-19:5170231:Comment:5960442014-12-19T05:39:31.961Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>वामनकर जी</p>
<p>आपका सादर आभार i</p>
<p>वामनकर जी</p>
<p>आपका सादर आभार i</p> ज्ञानवर्धक और उत्कृष्ट लेख लि…tag:openbooks.ning.com,2014-12-16:5170231:Comment:5952692014-12-16T20:52:03.453Zमिथिलेश वामनकरhttps://openbooks.ning.com/profile/mw
<p>ज्ञानवर्धक और <span>उत्कृष्ट लेख लिखा है आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर .. आपको हार्दिक बधाई और <span>आपकी लेखनी को सादर नमन </span></span></p>
<p>ज्ञानवर्धक और <span>उत्कृष्ट लेख लिखा है आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर .. आपको हार्दिक बधाई और <span>आपकी लेखनी को सादर नमन </span></span></p> दादा श्री
आपने सत्य ही कहा मै…tag:openbooks.ning.com,2014-12-15:5170231:Comment:5949402014-12-15T06:02:54.383Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttps://openbooks.ning.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>दादा श्री</p>
<p>आपने सत्य ही कहा मैंने टैगोर जी की अनूदित रचनायें ही पढी है i बंगला भाषा का ज्ञान मुझे नहीं है i मगर मैंने कही पढा था कि उनकी गीतांजलि अतुकांत है i हो सकता हो उस लेखक को भी ऐसा ही भ्रम रहा हो i किन्तु अब आप ने भ्रम निवारण किया है i इस हेतु आभार i आपसे टैगोर जी को अवश्य सुनूंगा सादर i</p>
<p>दादा श्री</p>
<p>आपने सत्य ही कहा मैंने टैगोर जी की अनूदित रचनायें ही पढी है i बंगला भाषा का ज्ञान मुझे नहीं है i मगर मैंने कही पढा था कि उनकी गीतांजलि अतुकांत है i हो सकता हो उस लेखक को भी ऐसा ही भ्रम रहा हो i किन्तु अब आप ने भ्रम निवारण किया है i इस हेतु आभार i आपसे टैगोर जी को अवश्य सुनूंगा सादर i</p>