For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएं —डॉo विजय शंकर

एक नेता ने दूसरे को धोया ,
बदले में उसने उसे धो दिया।
छवि दोनों की साफ़ हो गई।।.......1.

मातृ-भाषा हिंदी दिवस ,
एक उत्सव हम ऐसा मनाते हैं ,
जिसमें हम हिंदी बोलने वालों से
उनकीं माँ का परिचय कराते हैं।। .......2 .

अपनों से हट के कभी
दूर के लोगों से भी मिला करो ,
वो कुछ देगा नहीं ... ,
हाँ ,धोखा भी नहीं देगा।l ....... 3 .

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 540

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 24, 2019 at 8:31am

आदरणीय सुश्री उषा जी , क्षणिकाएं आपको पसंद आईं , अच्छा लगा। आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 24, 2019 at 8:31am

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज जी , आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Usha on September 22, 2019 at 2:10pm

आदरणीय विजय शंकर सर, आपकी क्षणिकाएँ गहरे भाव लिये अति प्रभावी हुई हैं, बधाई स्वीकार करें। सादर।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 21, 2019 at 12:46pm

वाह डा.साहब बहुत ही सारगर्भित रचना...

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 20, 2019 at 9:17am

आदरणीय विजय निकोर जी , बहुत अच्छा लगा रचना पर आपकी उपस्तिति से, आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 20, 2019 at 9:15am

आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आपकी सादर उपस्थिति एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए ह्रदय से आभार। आपके सुझाव के लिए भी आभार , वह निसंदेह स्वीकार है , धन्यवाद , सादर।

Comment by vijay nikore on September 19, 2019 at 7:18pm

आनन्द आ गया आपकी अच्छी सोच से। बधाई , मित्र विजय शंकर जी।

Comment by Samar kabeer on September 19, 2019 at 3:42pm

आली जनाब डॉ. विजय शंकर जी आदाब, बहुत समय बाद मुझे आपकी

रचना पढ़ने का मौक़ा मिला है ।

तंज़ की वही धार है आपकी क्षणिकाओं में जो मुझे बहुत प्रभावित करती है,बहुत उम्द: क्षणिकाएँ हुई हैं,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें । 

'मातृ-भाषा हिंदी दिवस , 
एक उत्सव हम ऐसा मनाते हैं , 
जिसमें हम हिंदी बोलने वालों से 
उनकीं माँ का परिचय कराते हैं।।'

ये क्षणिका ख़ास तौर से पसंद आई ।

'अपनों से हट के कभी 
दूर के लोगों से भी मिला करो ,
वो कुछ देगा नहीं ... , 
हाँ ,धोखा भी नहीं देगा'

इस क्षणिका की अंतिम दो पंक्तियों को इस तरह लिखना उचित होगा:-

"वो कुछ देंगे नहीं...,

हाँ, धोखा भी नहीं देंगे ।।......."

एक बात ये कि 'हिंदी' की जगह "हिन्दी" लिखना उचित होगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
8 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
11 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service