For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-3 (ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा बस एक पल में आ गया)

2122 2122 2122 212

ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा बस एक पल में आ गया,
नाम तेरा इक महक बन साँस में जब छा गया

उम्र भर भटका किये, इक पल सुकूँ की चाह में,
वो मिले तो रूह बोली, तूू सफ़ीना पा गया।

बस जुनूँ था आसमां में घर नया अपना बने
इस जुनूँ की चाह में सब घर ज़मीं का ढा गया

था किया वादा लड़ूँगा भूख से जो फ़र्ज है
भूख मेरी ही बड़ी थी सब अकेला खा गया

अब मसीहा सर झुकाकर खूब सेवा में लगे
लग रहा है दिन चुनावों का सुहाना आ गया

-- क़मर जौनपुरी
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 597

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on November 16, 2018 at 11:36am

ग़ज़ल सीखने के लिए 'वीनस केसरी'साहिब की किताब "ग़ज़ल की बाबत" बहुत उपयोगी है,अनाजोंन पर सर्च करें, आन लाइन मिल जाएगी ।

Comment by राज़ नवादवी on November 16, 2018 at 11:35am

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. इस इस्लाह का तहे दिल से शुक्रिया. आज एक और बात पता लगी. सादर. 

Comment by राज़ नवादवी on November 16, 2018 at 11:34am

आदरणीय भाई क़मर जौनपुरी साहब, जो आदरणीय समर कबीर साहब कह रहे हैं, वो ही हस्बे काइदा है, मैं भी आपकी तरह एक तालिबे इल्म हूँ, बस जनाब समर कबीर साहब की शागिर्दी में कुछ सीख लेने की तमन्ना है. सादर 

Comment by क़मर जौनपुरी on November 16, 2018 at 11:32am
शुक्रिया जनाब समर कबीर साहब। अब और अच्छी तरह समझ में आ गया।
Comment by Samar kabeer on November 16, 2018 at 11:19am

// 

कृपया देखें, "अब मसीहा सर झुका कर ख़ूब सेवा में लगे' इस मिसरे में भी 'झुका कर' में ऐबे तनाफुर तो रह ही गया.//

जनाब राज़ साहिब "झुका कर"में ऐब-ए-तनाफ़ुर नहीं है,वो इसलिए कि "झुका" शब्द के "क" में आ की मात्रा है,"झुक कर'' शब्द होता तब ये दोष होता,उम्मीद है आप समझ गए होंगे ।

Comment by क़मर जौनपुरी on November 16, 2018 at 10:58am
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब राज़ नवादवी साहब।
पहले मिसरे को मैंने जनाब समर कबीर की इस्लाह के हिसाब से कर दिया है -वो मिले.... कर दिया है। दूसरे को आपके सुझाव के अनुसार।
अब इस ऐब को थोड़ा समझ गया हूँ। उम्मीद है आगे से नहीं होगा।
बहुत बहुत शुक्रिया आप दोनों मोहतरम को।
Comment by राज़ नवादवी on November 16, 2018 at 8:24am

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. 

कृपया देखें, "अब मसीहा सर झुका कर ख़ूब सेवा में लगे' इस मिसरे में भी 'झुका कर' में ऐबे तनाफुर तो रह ही गया. इसे यूँ कर सकते हैं. 

"अब मसीहा भी झुका सर ख़ूब सेवा में लगे". सादर 

Comment by क़मर जौनपुरी on November 15, 2018 at 11:37pm

मोहतरम जनाब समर कबीर साहब बहुत बहुत शुक्रिया। आपने जिन दोषों की चर्चा की उनका नाम ही पहली बार सुन रहा हूँ। उम्मीद है आप मोहतरम उस्तादों की रहनुमाई से धीरे धीरे ज़रूर सीख जाऊंगा। अभी मैं मात्र 10 दिन का विद्यार्थी हूँ ग़ज़ल का।

कोई अच्छी पुस्तक का नाम सुझाएँ जिसे पढ़कर और अच्छी तरह सीख सकूँ।

Comment by Samar kabeer on November 15, 2018 at 11:16pm

जनब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल कही आपने, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

तुम मिले तो रूह बोली, रुक सफ़ीना पा गया'

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़र है "तुम मिले''

इस मिसरे को यूँ कर लें:-

'वो मिले तो रूह बोली तू सफ़ीना पा गया'

अब मसीहा सर झुकाकर खूब सेवा कर रहे'

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें "कर रहे"

"अब मसीहा सर झुका कर ख़ूब सेवा में लगे'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service