For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'सेटिंग' या 'अवलम्बन' (लघुकथा)

"नेताजी, आज मुश्किल से तुम टाइम निकाल कर हमें इस पार्क में लाये हो, कुछ तो अच्छी बातें करो यहां, देश-दुनिया की छोड़ कर!" कमली ने अपने पति के कंधे पर सिर टिका कर कहा।
"पहले तो तुम यहां हमें 'नेताजी' के बजाय कुछ और कहो! ... उकता गया इस संबोधन और उबाऊ भाषणों से!"
"तो तुम पहले अपना नाम बदल लो, सब जगह के नाम तो बदले जा रहे हैं न! सहेलियों में 'रामनारायण' बताने में शरम सी आती है अब!"
"अब इस उमर में अपना नाम कैसे बदलें पगली!"
"बेटों के तो बदल गये विदेश में! बड़े को 'रामलाल' के बजाए उसके दोस्त "रैम" बोलते हैं और छोटे "कन्हैया" को "कैनी".. ! कमली ने नेताजी के साथ सेल्फ़ी लेते हुए कहा - "क्या हम तुम्हें "रॉम" या "रॉमी" कहेंं या फ़िल्म वाले बोनी और क्रिकेट वाले धोनी की तरह "रॉनी" कहेंं?"
"हे भगवान! ... तू तो मुझे 'नेताजी' ही कह ... लेकिन कुछ अलग ही 'टोन' में!" इतना कहकर वे पार्क के सफाईकर्मी की ओर लपके।
"अरे! झाड़ू लेकर ये करने लगे यहां!" कमली चौंक कर चिल्लाई।
"ज़ल्दी से तू मेरी दो-चार फोटो ले और वीडियो क्लिप बना झाड़ू लगाते हुए!.. जब बड़े-बड़े कर सकते हैं, तो हम छोटे नेता क्यों नहीं! ... सोशल मीडिया पर डालूंगा! सीज़न भी है इन दिनों!"
"किस ने कहा कि तुम छोटे हो? बड़ों जैसे सारे काम तो कर लिए नेतागिरी में! तुम जैसों से ही तो उनके सारे काम बनते हैं न!"
"अरे पगली! तू भी सब कुछ समझने लगी अब तो! .. इस बार तुझे ही चुनाव लड़वा दूं?.. महिलाओं का भी सीज़न है पार्टी में!"
"अब आये न लाइन पर! देर से अक्कल आई! पहले लड़वा देते, तो अब तक तो हमें वे कोई मंत्री बना देते! बहुत अहसान किये हैं तुमने उन पर!"
"अहसान तो उनके हैं हम पर पगली! वरना हम तो जेल में सड़ रहे होते! .. हमारे न तो इतने ऐश हो पाते और न ही हमारे बेटे विदेश में सेटल हो पाते!"
"अच्छा, ये तो बताओ कि बेटों की शादियां कब और किससे करवाओगे?"
"सेटिंग कर रहे हैं! कोशिश यही है कि किसी बड़े नेता, फ़िल्मी-हस्ती या उद्योगपति कि बेटियों से उनके टांके भिड़ जायें देश या विदेश में! ... पटा लेने से बेटों की ज़िंदगी ही नहीं, पीढ़ियां तर जायेंगी!" कमली के गले में हाथ डालकर नेताजी ने कहा और पार्क में बने शहीद स्मारक के ठीक सामने सेल्फ़ियां खींचने लगे।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 804

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 23, 2018 at 10:00am

रचना के अनुमोदन और मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डॉ. विजय शंकर साहिब और आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर साहिब

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 22, 2018 at 8:52pm

सामयिक एवं सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई , आदरणीय शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी , सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 19, 2018 at 7:12pm

आ. भाई शेख शहजाद जी, बेहतरीन कथा हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 18, 2018 at 8:59pm

अपने विचार सांझा करते हुए अनुमोदन और.हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब, जनाब सुशील सरना साहिब और जनाब 

 सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब, जनाब तेजवीर सिंह साहिब और मुहतरमा नीलम उपाध्याय  साहिबा।

कृपया यह भी बताया कीजिए कि मेरी ब्लॉग पोस्ट्स में कौन.सी लघुकथा हो सकी और कौन सी नहीं , आपकी व सुधीजन की राय में!

Comment by Sushil Sarna on September 18, 2018 at 7:13pm

आदरणीय उस्मानी साहिब, आदाब ... आप अगर नेताओं की सोच का पोस्टमार्टम करते रहे तो चुनाव कैसे होंगे। हा हा हा ... सोच की तहें उधेड़ती अति सुंदर व्याख्या। इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on September 18, 2018 at 2:33pm

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी जी सादर अभिवादन। बढ़िया लघुकथा लिखी आपने। बधाई निवेदित है।सादर

Comment by Samar kabeer on September 18, 2018 at 2:29pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on September 17, 2018 at 2:51pm

आदरणीय शेख उस्मानी जी, नमस्कार।  सघन राजनीती का पूरा किस्सा  बयां कर दिया आपने। क्या जो चित्रण किया। है।  बधाई स्वीकार करें।  

Comment by TEJ VEER SINGH on September 17, 2018 at 10:22am

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।वर्तमान राजनीति का कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया।समाज सेवा के नाम पर उल्लू बनाना ही आज देश भक्ति कहलाता है।बेहतरीन लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service