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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-37 (विषय: भारत)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-37 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. गत तीन वर्ष में गोष्ठी के पिछले 36 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, यह वास्तव  में हर्ष का विषय हैI कठिन विषयों पर भी हमारे लघुकथाकारों ने अपनी उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कींI विद्वान् साथिओं ने रचनाओं के साथ साथ उन पर सार्थक चर्चा भी की जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन हुआI इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-37
विषय: "भारत" 
अवधि : 29-04-2018  से 30-04-2018 
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अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

जनाब गोपाल नारायण जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती बढ़िया लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया आयोजन में अपनी सक्रियता भी दिखाएँ ।

आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, आपकी यह लघुकथा पढ़ते हुए मुझे फिल्म "पूरब और पश्चिम" का वह दृश्य याद आ गया जहाँ सायरा बानो की माँ स्व० शम्मी, बिलकुल इसी तरह फिल्म के नायक मनोज कुमार के सामने एक विचित्र स्थिति उत्पन्न कर देती है. बहरहाल, आपकी कथा का अंत उस फिल्म जैसा नहीं है. यहाँ कैरी की माँ स्वयं ही उसे भारत जाने की आज्ञा दे देती है. लघुकथा बहुत ही उत्तम हुई है और प्रदत्त विषय पर भी पूरी उतर रही है, अत: मेरी हार्दिक बधाई स्वीकर करें आदरणीय.    

देशप्रेम के जज़्बे से लबरेज़ कथा के लिये बधाई आद० गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ।

बहुत भावपूर्ण रचना प्रदत्त विषय पर, इंडिया और भारत का फ़र्क़ बढ़िया से बताया आपने. बहुत बहुत बधाई इस बढ़िया प्रस्तुति के लिए आ

बहुत बहुत बधाई आदरणीय गोपाल भाई जी।स्मरणात्मक शैली में लिखी लघुकथा संदेशपरक है।दुआ है भाषावादियों/विवादियों की नजर न पड़े,नहीं तो आंग्ल भाषा के शब्दों की बहुतायत जान खा जायेगी,सादर।

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी  ।लाज़वाब लघुकथा।

आ. भाई गोपाल नारायन जी, सुंदर कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

आ.जनाब गोपाल नारायण साहिब ,प्रदत्त विषय पर सुंदर लघुकथा हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।

बहुत बढिया। कितनी भी कमियाँ हों पर अपना देश अपना ही होता है। देश से पलायन करने वालों को आईना दिखाती शानदार रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय

वाह! इंडिया नहीं भारत कहना चाहिए| बहुत बढ़िया कथा हुई है आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी | हार्दिक बधाई आदरणीय|

आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , इस भावपूर्ण प्रस्तुति पर ह्रदय से बधाई , सादर।

 बहुत बढ़िया या लघुकथा, बधाई स्वीकार करें 

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