For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

20 मार्च "विश्व गौरैया दिवस" पर विशेष 

याद आ रही है...

करीने से बँधी चोटियाँ

आँगन में खेलती बेटियाँ

गुड्डा-गुड़िया, गोटी-चिप्पी,

आइ-स्पाइस, छुआ-छुई

चंदा-चूड़ी, लँगड़ी-बिच्छी

 

याद आ रहा है...

गाँव का पुराना घर

घर के सामने खड़ा पीपल का घना पेड़

जो रोक लेता लू के थपेड़ो को

जैसे सहन पर बैठे हों दादाजी

रोक लेते बुरी बलाओं को

 

याद आ रहा है...

सुबह-सुबह तुलसी के चौरा पर

दादी माँ का जल चढ़ाना

फिर कुछ लोटा जल

आँगन के कोने में पड़े

मिट्टी के नाद में भर देना

 

याद आ रहा है...

भात बनाने से पहले माँ का

एक मुट्ठी कच्चे चावल

आँगन में बिखेर देना.. 

फिर...

न जाने कहाँ से आ जाता

गौरैयों का झुण्ड

चुग लेते वे चावल के दाने

जल भरे नाद में

जल-क्रीडा करते

 

अब तो शहर में छोटा सा घर

न वो घना पीपल का पेड़

और ना ही दादा-दादी

ससुराल चली गयीं बेटियाँ

नहीं आता वो गौरैयों का झुण्ड

 

आज माँ ने फिर से 

बिखेर दिया है बालकोनी में

कच्चे चावल के कुछ दाने

और रख दिया है पानी भरा पात्र

 

आहा ! यह क्या...

आ गयीं कुछ गौरैया

जैसे बड़े दिन बाद आयी हों

पीहर में बेटियाँ.

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1220

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 23, 2018 at 10:51am

आदरणीय बागी सर, आपने सही कहा। मैं ही किसी और धुन में था। क्षमा चाहता हूँ। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।

Comment by Shyam Narain Verma on March 22, 2018 at 10:50am
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति , बधाई आप को | सादर 
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 21, 2018 at 5:44pm

वाह आदरणीय क्या सुन्दर सार्थक चित्र उकेरा है...

Comment by Samar kabeer on March 20, 2018 at 11:11pm

उस महफ़िल में मैं भी कुछ देर के लिए आया था,मोबाइल के ज़रिये, हा हा हा..


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 20, 2018 at 11:05pm

आदरणीय मिथिलेश भाई, मायके, नैहर और पीहर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं । रचना आप तक पहुँची इसके लिए बहुत बहुत आभार ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 20, 2018 at 11:00pm

जी, सचमुच..वो ढाई दिन इतने शानदार थे कि हमेशा याद आते हैं, राजीव भाई ने भी निस्वार्थ भाव से जो सहयोग किया उसके चलते वो भी बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं.
और वो रात वाली महफ़िल... आप, योगराज सर, मुनीश जी, समीर परिमल, राजीव भाई, रामनाथ भाई , आनंद भाई, गिरिराज जी...
क्या कहने वाह वाह  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 20, 2018 at 10:36pm

आदरणीय गणेश बाग़ी सर, बहुत शानदार और संवेदनशील कविता लिखी है आपने। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। कविता की अंतिम पंक्ति के संबंध में निवेदन है कि बेटियाँ पीहर से मायके या नैहर लौटती हैं। अतः अतः लौटने के संदर्भ में बहू का पीहर के साथ और बेटियों का नैहर या मायके साथ उल्लेख अधिक प्रभावकारी लगता है। या कहें 'पीहर को बेटियाँ' को 'पीहर से बेटियाँ' भी किया जा सकता है। सादर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 20, 2018 at 10:34pm

आदरणीय निलेश भाई, रचना वचना पर बाद में, आपके साथ देहरादून और हरिद्वार में बितायी गयी क्वालिटी टाइम अभी भी जेहन में जिन्दा है, सच में आपसे मिलना एक उपलब्धि रही. 

निलेश भाई मंच से अनुपस्थिति मेरी मज़बूरी है नहीं तो इतना प्यारा परिवार से कौन दूर रहना चाहेगा.

आपको रचना अच्छी लगी यह जानकार मन प्रसन्न है, बहुत बहुत आभार. 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 20, 2018 at 10:27pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी, प्रणाम, कविता आपको अच्छी लगी यह जान मन प्रसन्न है, इस उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु हृदय से आभार.

Comment by Samar kabeer on March 20, 2018 at 10:26pm

'कुछ लोटे जल' कर देना मेरे नज़दीक मुनासिब है ।

रचना पर पुनः बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
30 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी ।सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। अच्छी ग़ज़ल हेतु आपको हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए।  ग़ज़ल हेतु बधाई। कंटकों को छूने का.... यह…"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा यादव जी ।सादर नमस्कार।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।गुणीजनों के इस्लाह से और निखर गई है।"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय euphonic amit जी आपको सादर प्रणाम। बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय त्रुटियों को इंगित करने व…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से हर बात बताने समझाने कनलिये सुधार का प्रयास…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय, अमित जी, आदाब आपने ग़ज़ल तक आकर जो प्रोत्साहन दिया, इसके लिए आपका आभारी हूँ ।// आज़माता…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service