For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सब सही पर कुछ भी सही नहीं है - डॉo विजय शंकर

आप सही हैं,
वह भी सही है ,
हर एक सही है ,
फिर भी कुछ भी
सही नहीं है।
कुछ गिने चुने
लोग बहुत खुश हैं ,
यह भी सही नहीं है।
सच जो भी है ,
सब जानते हैं ,
बस मानते नहीं ,
यह भी सही नहीं है।
ऊँट सामने है ,
देखते नहीं,
हड़िया में ढूँढ़ते है ,
यह भी सही है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 636

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 24, 2018 at 5:57am

आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , आपकी सुखद अभिव्यक्ति के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 24, 2018 at 5:54am

आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , आपकी सुखद अभिव्यक्ति के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 23, 2018 at 11:01am

आदरणीय सुश्री रक्षिता जी , आपके सुझाव के लिए आभार , आपने कविता को पूर्ण मनोयोग से पढ़ा इसके लिए भी मैं आपका आभारी हूँ।निवेदन है कि मैं यह संकेत देना चाहता हूँ कि ऊँट सामने है पर आप उसे दिखावे के लिए हंडिया में ढूंढते हैं , यह आपकी त्रुटि या भ्रम नहीं वरन सच है , यह आप जानबूझ कर करते हैं. अतः इसे सही लिखा गया है। यहां पर इस पर बल नहीं दिया गया कि ऐसा करना गलत है , वरन इस पर बल दिया गया कि आप यही कर रहे हैं , आप इसे स्वीकार करें कि यह आप जानबूझ ऐसा कर रहें हैं। इसलिए ऐसा लिखा गया है। संभवतः आप सहमत होंगी। आपकी बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।

Comment by रक्षिता सिंह on February 23, 2018 at 8:38am

आदरणीय विजय जी नमस्कार

बहुत सुन्दर रचना, परन्तु  अन्तिम पंक्ति में " यह भी सही है, के स्थान पर यह भी सही नही है, ज्यादा बेहतर है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 22, 2018 at 9:52pm

आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब , आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by नाथ सोनांचली on February 22, 2018 at 6:26pm

आद0 विजय जी सादर अभिवादन। विचारोत्तेजक रचना के लिए दिल से बधाई देता हूँ। सादर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2018 at 1:58pm

मुहतरम जनाब विजय साहिब , ज़हन में सवाल उठाती सुन्दर रचना हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 22, 2018 at 6:21am

आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आप पुनः स्वस्थ होकर मंच पर आये , बहुत खुशी हुयी। आप स्वस्थ रहें और आते रहें , मंच और हम सब लाभान्वित होते रहें। आपसे रोज ही कुछ न कुछ सीखने को मिलता है , मिलता रहे।
आपको कविता पसंद आई , आभार , ह्रदय से। प्रश्न सोचने पर विवश करते हैं , सच है। बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 22, 2018 at 6:13am

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , आपकी शुभकामनाओं के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 22, 2018 at 6:13am


आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , आपकी विचार वान टिप्पणी के लिए आभार एवं बधाई के लिए धन्यवाद। सच किंचित कुछ नहीं माँगता है। सच सच होता है और नहीं होता है फिर भी मान लिया जाता है की है वह मिथ्या या झूठ होता है जो स्वयं में होता ही नहीं। वह क्या न मांग ले ? विषय चर्चा का है , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
4 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
5 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी ।सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। अच्छी ग़ज़ल हेतु आपको हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए।  ग़ज़ल हेतु बधाई। कंटकों को छूने का.... यह…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा यादव जी ।सादर नमस्कार।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।गुणीजनों के इस्लाह से और निखर गई है।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय euphonic amit जी आपको सादर प्रणाम। बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय त्रुटियों को इंगित करने व…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service