For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अक़्ल पर ताले (लघुकथा)

शहर की व्यस्ततम सड़क पर रुके वाहनों और उनके हॉर्न्स की आवाज़ों पर किसी धनाढ्य परिवार की बारात का डीजे बैन्ड हावी हो चुका था। लोग लाइट्स से घिरे दूल्हे के नज़दीक चल रहे डांस के मज़े ले रहे थे। दुकानों पर खड़े ग्राहक भी किसी तरह झांक-झांक कर सजे-धजे युवा बारातियों का नृत्य देखने और आँखें सेंकने की कोशिश कर रहे थे। वहीं पास की पान की दुकान पर खड़े एक बुज़ुर्ग ने नज़दीक़ खड़े परिचित युवक से पूछा - "ये कौन से गाने पर डांस कर रहे हैं , मुझे तो बोल समझ में ही नहीं आ पा रहे हैं?"
"अंकल, फास्ट म्यूज़िक की वज़ह से मुझे भी शब्द समझ में नहीं आ रहे हैं, शायद कोई पंजाबी हिट गाना है!" युवक ने उनकी तरफ़ देखे बग़ैर कहा।
"लेकिन बेटा, नाचने वालों के तो होंठ भी बोलों के साथ हिल रहे हैं !"
"ओरीज़नलिटी लगे, उसके लिए ऐसा करना पड़ता है, फ़िल्म-शूटिंग की तरह!" युवक ने इतना कहा ही था कि भीड़ में जबरन जगह बनाती हुई एक बड़ी नई कार घुसी, रुकी और उसमें से एक युवती और दो महिलाएँ अपनी चमकीली पोषाकें और शरीर को संभालते हुए उतरीं और नाचने वालों में शामिल हो गईं। आतिशबाज़ी के साथ ही डीजे पर एक नया आइटम-सोंग तेज़ आवाज़ में बजने लगा। वे तीनों संगीत पर थिरक रहीं थीं। कुछ दुकानों के शटर गिरने लगे थे। दूल्हा घोड़े से उतर कर उन तीनों के साथ नाचने लगा था। नोट बरस रहे थे। ट्रैफ़िक जाम में फंसे वाहन तेज़ आवाज़ में साइड माँग रहे थे।
पान की दुकान पर खड़े उन बुज़ुर्ग ने अब उस युवक से पूछा- "क्या दूल्हा पिये हुए है? कैसा बेहूदा नाच हो रहा है!"
"अंकल, शादी के वीडियो एलबम के लिए इतना करना पड़ता है, वरना बाद में कहा जाता है कि सब नाचे, तू नहीं नाचा, बीवी के आगे ही नाचेगा क्या?" युवक ने इस बार उनकी तरफ़ देख कर मुस्कराते हुए कहा।
"नाच तो यह पूरी पीढ़ी रही है, बेटा दुनिया के सामने!" इतना कहकर वे युवक से बोले -"इस सदी में भी अक़्ल पर ताले पड़े हुए हैं! बेटा, ज़रा मुझे ये सड़क पार करा दे!"
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 523

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 26, 2018 at 3:09pm

रचना पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय महेंद्र कुमार जी और आदरणीय सुरेन्द्र इंसान जी।

Comment by surender insan on January 24, 2018 at 2:13pm

नयी पीढ़ी को आगाह करती बहुत अच्छी रचना की आपने। बधाई हो जी।

Comment by Mahendra Kumar on January 23, 2018 at 7:43pm

शानदार लघुकथा है आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 22, 2018 at 6:40pm

मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब, जनाब सलीम रज़ा'रीवा' साहिब और जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 22, 2018 at 10:21am

जनाब उस्मानी साहिब आदाब ,संदेश देती हुई सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by SALIM RAZA REWA on January 22, 2018 at 8:56am
जनाब उस्मानी साहिब हर बार की तरह बेहद खूबसूरत सच्ची दृश्य को अंकित करती हुई लघुकथा हुई है.. दिली मुबारक़बाद क़ुबूल करें... वाह
Comment by TEJ VEER SINGH on January 21, 2018 at 11:05am

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। आपकी लघुकथायें सदैव ही एक संदेश छोड़ती हैं।इस लघुकथा के माध्यम से आज की पीढ़ी को बहुत गंभीर संदेश दिया है।सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
28 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
35 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
35 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
41 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
56 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
59 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service