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सूखी सी शाख

बैठा पंछी अकेला

पतझड़ में ।

 

नयी नवेली

लाजवंती वधू सी

सिमटी धूप ।

 

सूरज जब

अलसाया, चल पड़ा

क्षितिज पार ।

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 23, 2017 at 8:05pm

हाइकू बहुत सुन्दर है 

बधाई स्वीकार करे आ नीलम उपाध्याय जी 

Comment by Neelam Upadhyaya on December 22, 2017 at 4:55pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neelam Upadhyaya on December 22, 2017 at 4:54pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी, शुद्धिकारण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद । आइंदा ऐसी भूल न हो, प्रयास रहूँगी और आपके मार्गदर्शन की आकांक्षा रहेगी । हार्दिक आभार ।

 

Comment by Neelam Upadhyaya on December 22, 2017 at 4:50pm

आदरणीय समर कबीर जी, उत्साह वर्धन का आभार प्रकट करती हूँ

Comment by Neelam Upadhyaya on December 22, 2017 at 4:45pm

आदरणीय श्याम नारायण जी, उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 21, 2017 at 7:52pm

सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by Mohammed Arif on December 21, 2017 at 5:39pm

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी आदाब,

                                         बहुत ही बेहतरीन हाइकु के माध्यम से सुंदर अभिव्यक्ति का प्रदर्शन । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । दूहरे हाइकु में 7 अक्षर के स्थान पर 8 हो रहे हैं । देख लें ।

Comment by Samar kabeer on December 21, 2017 at 3:30pm

मोहतरमा नीलम जी आदाब,बढ़िया हाइकू लिखे,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Shyam Narain Verma on December 21, 2017 at 3:15pm
सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर

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