For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पराजित हिन्द (लघुकथा)

“जय हिन्द सर।” उसने जोश भरे स्वर में कहा। मोबाइल फोन पर बात करते हुए वह तन कर भी खड़ा था।

“जय हिन्द।” दूसरी तरफ से आवाज़ आई।

“हुजूर, बात यह है कि... मॉडर्न स्कूल के प्रिंसिपल साब ने बुलाया था। दिवाली पर वे आपको लैपटॉप और ए.सी. उपहार में देना चाहते हैं।”

“क्यूँ?” दूसरी तरफ से प्रश्न पूछा गया लेकिन संयत स्वर में।

“हुजूर, उनके स्कूल में फीस दूसरे स्कूलों से थोड़ी-बहुत ज़्यादा है, ऐसी ही कुछ और छोटी-मोटी कमियाँ थीं तो... जिला शिक्षा अधिकारी साहब ने उनको पाबन्द कर दिया। प्रिंसिपल साहब बता रहे थे कि उन्हें अपने टीचरों को अच्छी-खासी तनख्वाह देनी पड़ती है, स्कूल के बच्चों पर भी बहुत खर्चे होते हैं, इसलिए फीस भी ऊँची रखनी पड़ती है। बच्चों के पैरेंट्स भी खुशी-खुशी फीस भरते हैं।”

“छोटी-मोटी कमियाँ... उनसे पूछना स्कूल के खर्चे स्कूल के बच्चों पर होते हैं या प्रिंसिपल के बच्चों पर? खैर... लेकिन इसमें मैं क्या कर सकता हूँ?”

“हुजूर, डीईओ साहब आपके बड़े अच्छे मित्र हैं, आप उन्हें कह दें तो...”

“लेकिन वे मेरी बात क्यूँ मानेंगे?”

“स्कूल वाले उन्हें भी एक कार उपहार में देना चाह रहे हैं।”

“हूँ...”

“जी हुजूर...तो”

“तो... उन्हें यह ज़रूर कह देना कि लैपटॉप और ए.सी. छोटी-मोटी क्वालिटी का नहीं हो...”

“जी-जी हुजूर... बेस्ट क्वालिटी।” उसने खिलखिलाते स्वर में प्रत्युत्तर दिया।

एक क्षण की शांति के बाद फिर दूसरी तरफ से स्वर आया, “ठीक है, मैं उनसे बात करता हूँ।”

अब उसने पहले से भी ज़्यादा जोश भरे स्वर में कहा, “जी हुजूर, जय हिंद सर।”

“जय हिन्द।”

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 519

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 17, 2017 at 10:40am
हालांकि प्रथम पात्र /जी हुजूर/, /जी-जी हुजूर/कहता हुआ आदरपूर्वक खड़े हुए ही बात कर रहा है, फिर भी एक प्रयास के रूप में एक और सुझाव/अभ्यास मात्र :

//“जी-जी हुजूर... बेस्ट क्वालिटी।”// ==// अरे साब, ये भी कोई कहने की बात है! बेस्ट की ही बात हो रही थी!" प्रत्युत्तर में उसकी हंसी फूट पड़ी।//
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 17, 2017 at 10:13am
वाह। शीर्षक और उस गरिमामय अभिवादन/नारे 'जय हिन्द' के साथ आज के सत्य को पिरोकर बेहतरीन कटाक्षपूर्ण नवीनतम सृजन के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी जी। आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी की टिप्पणी से सहमत हूं। बड़े वाले संवाद को भी किसी तरह दो भागों में कहलवाया जा सकता है। संवादों में कुछ शब्द/अभिव्यक्ति कुछ बोलचाल वाली शैली/क्षेत्रीय भाषा में भी रहे, तो अधिक प्रभावी हो जायेंगे मेरे विचार से।

//प्रिंसिपल साब/साहब//, //उपहार/भेंट/तोहफा//

एक सुझाव मात्र :

// “स्कूल वाले उन्हें भी एक कार उपहार में देना चाह रहे हैं।”
// ==//मानेंगे क्यूं नहीं साब! उन्हें भी तो इक भेंट मिलने वाली है, कार, साब, कार!"
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 17, 2017 at 12:36am
आदरणीय चंद्रेश कुमार छटलानी जी , सुन्दर सूचनाप्रद कथा है। लेखन और प्रस्तुतिकरन भी अच्छा है , बधाई। एक निवेदन करूँ , स्थिति अब थोड़ी सी बदल चुकी है , अब सारे काम ' सिंगल विण्डो ' सिस्टम से होते हैं।
इनसे कहना ,
उनसे कहना ,
किसी से क्या कहना ,
काम जहां से होना ,
वहीं जो कहना है ,
कहना।
सादर ,
Comment by Samar kabeer on October 16, 2017 at 9:23pm
जनाब चन्द्रेश कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 16, 2017 at 8:36pm
जनाब चंद्रेश जी,
ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई.

तो... उन्हें यह ज़रूर कह देना कि लैपटॉप और ए.सी. छोटी-मोटी क्वालिटी का नहीं हो...” सुंदर..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
12 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service