For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: फूंकने को इसे बिजलियाँ आगईं

212/212/212/212

याद तुमने किया हिचकियाँ आगईं
दिल की तस्कीन को बदलियाँ आगईं।

ज़ेर ए तामीर था ये नशेमन मेंरा
फू़ंकने को इसे बिजलियाँ आगईं।

तू नहीं आसका हाल तेरा मगर
लेके अख़बार की सुर्ख़ियाँ आगईं।

जब तड़प कर गुलों ने पुकारा उन्हें
लब हसीं चूमने तितलियाँ आ गईं।

गर्म साँसों की औढ़ा दो मुझको रिदा
लौट कर फिर वो ही सर्दियाँ आ गईं।

चाह दिल में तेरे वस्ल की जब जगी
लम्स तेरा लिये चिट्ठियाँ आ गईं।

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 631

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 29, 2017 at 7:01pm

बाकमाल ग़ज़ब की ग़ज़ल हुई है .............मुबारकबाद क़ुबूल करें 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 16, 2017 at 2:20pm
इस शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 15, 2017 at 10:05pm
बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई आदरणीय...आदरणीय नीलेश जी बड़ी बारीक़ बात कही है..सादर
Comment by SALIM RAZA REWA on October 13, 2017 at 6:29pm
जनाब अफ़रोज़'सहर'साहिब,
शेर दर शेर
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारक़बाद.
Comment by Naveen Mani Tripathi on October 13, 2017 at 11:45am
वाह वाह बहुत खूब ग़ज़ल हुई । बधाई ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 12, 2017 at 10:44pm
बहुत ख़ूब। मतले में किसी तरह शेष अशआर वाला काफ़िया कायम कर बढ़िया ग़ज़ल होगी। हार्दिक बधाई आदरणीय अफ़रोज़'सहर'साहब।
Comment by Samar kabeer on October 12, 2017 at 2:41pm
जनाब अफ़रोज़'सहर'साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
मतले पर जनाब निलेश जी से सहमत हूँ ।
तीसरे शैर के ऊला में 'आसका'को अलग अलग लिखना था "आ सका" ।
'गर्म साँसों की मुझको औढा दो रिदा'
इस मिसरे में 'औढा'लफ़्ज़ मुनासिब नहीं "उढा" होना चाहिए :-
'गर्म साँसों की मुझको उढा दो रिदा'
देखियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
41 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
41 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
42 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
42 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
43 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
52 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service