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उसको फिर वापस आना है ,
मुझको भी तो समझाना है ।

अब उसकी यादों से हरदम ,
अपने दिल को बहलाना है ।

दूर सदा जो रहते भाई ,
उनको घर वापस लाना है ।

नाम इसी का जीवन देखो ,
हर मुश्क़िल से टकराना है ।

इस दुनिया में सबसे प्यारा ,
अब भारत देश बनाना है ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment by Mohammed Arif on September 11, 2017 at 7:56am
डहुत-बहुत से भार आदरणीय महेंद्र कुमार जी ।
Comment by Mahendra Kumar on September 10, 2017 at 7:59pm

अच्छी ग़ज़ल है आ. मोहम्मद आरिफ़ जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Mohammed Arif on September 10, 2017 at 7:36am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय मुकेश जी ।
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on September 9, 2017 at 11:12pm
kya bat hai mitra
Comment by Mohammed Arif on September 9, 2017 at 9:46pm
आदरणीय समीम रज़ा साहब ग़ज़ल पर अपनी प्रतिक्रिया और इस्लाह का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Mohammed Arif on September 9, 2017 at 9:45pm
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,ग़ज़ल पर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत आभार ।
Comment by SALIM RAZA REWA on September 9, 2017 at 8:53am
जनाब आरिफ साहब गज़ल के लिए मुबारक़बाद आखिरी शेर थोड़ा बदलाव चाहता है... एक बार फिर से देखें
Comment by Samar kabeer on September 7, 2017 at 10:55pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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