For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नमस्कार साथियो !

चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक-१८ में आप सभी का हार्दिक स्वागत है |

बंधुओं ! हमारे देश में क़ानून तो बहुत बना दिये जाते हैं पर उन पर अमल कितना होता है....यह इस बार के चित्र में स्पष्ट दिखाई दे रहा है | यह केंद्र सरकार के रेलवे विभाग का एक रेलवे स्टेशन है | जब यहाँ का यह हाल है तो अन्य जगहों का तो भगवान ही मालिक है ...जिस बालिका के हाथ में कापी-कलम होनी चाहिए थी उसके हाथ में झाडू ???.....अब आप सभी को इसका मर्म चित्रित करना है !

बाल श्रम पर आधारित इस बार का यह चित्र स्वयं मेरे द्वारा ही खींचा गया है |

 

किस्मत पे झाडू फिरे, दूर करें यह रोग.

कलम इसे अब दीजिए, सुधरें सारे लोग..

तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण, और हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि ओ बी ओ प्रबंधन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह प्रतियोगिता सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगी, कृपया इस प्रतियोगिता में दी गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों से पूर्व सम्बंधित छंद के नाम व प्रकार का उल्लेख अवश्य करें | ऐसा न होने की दशा में वह प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार की जा सकती है | 

प्रतियोगिता के तीनों विजेताओं हेतु नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र  की भी व्यवस्था की गयी है जिसका विवरण निम्नलिखित है :-

"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता हेतु कुल तीन पुरस्कार 
प्रथम पुरस्कार रूपये १००१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company 

 

द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali

A leading software development Company

 

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House

नोट :-

(1) १५ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १६ से १८ तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट हेतु खुला रहेगा |

(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत है, अपनी रचना को "प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करें | 

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना मात्र भारतीय छंदों की किसी भी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक कृतियां ही स्वीकार किये जायेगें | 

विशेष :-यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें|  

अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१८ , दिनांक १६ सितम्बर  से १८ सितम्बर की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन पोस्ट ही दी जा सकेंगी साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

मंच संचालक: अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 15196

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

(पत्रकारिता)

पत्रकारिता पीत यह, फैलाए आक्रोश ।

खोटो फोटो वाकया, दिया प्रशासन दोष ।

दिया प्रशासन दोष, होश कर फोटोग्राफर ।

लाई घर से टिफिन, बाप का थी कल दुपहर ।

दे झाड़ू पकड़ाय, खींच लेता तू फोटो ।
रेल होय बदनाम, करे है धंधा खोटो ।

//दे झाड़ू पकड़ाय, खींच लेता तू फोटो ।
रेल होय बदनाम, करे है धंधा खोटो ।//

फोटोग्राफर को दोष न दें आदरणीय , क्योंकि झाड़ू के एक तरफ का फर्श साफ़ और दुसरे तरफ कूड़ा, झाड़ू के सींकों का फोटो, झाड़ू पकड़ने का तरीका, बच्ची के दोनों पैरों की स्थिति एक दम स्पष्ट है |

बहानाबाजी नहीं चलेगी :-))))))

आदरणीय !!

सामान्य बात की है मीडिया और फोटोग्राफर की-
आसाम वाले केस में सुना है भूकंप / आपदाओं में मरे लोगों के चित्र का गलत प्रयोग हुआ था ।।
वहीँ से आये यह भाव ।।
किसी व्यक्ति विशेष से अर्थ न लगाए ।
सादर ।।
बागी जी की बात का, लूँ पूरा आनंद ।
लेकिन अब तो रच गया, यह टेढ़ा सा छंद ।
यह टेढ़ा सा छंद, बंद का अर्थ बंद है ।
मैं मूरख मतिमंद, मीडिया तो स्वछंद है ।
गढ़े कहानी खूब, मीडिया है खटरागी ।
रहा देश यह डूब, बने रिश्वत से बागी ।।

आदरणीय रविकर जी एक पाठक के तौर पर मैं इस प्रतियोगिता का आनन्द ले रहा हूँ, आपकी काव्य-कला का तो मैं मुरीद हो चुका हूँ, चित्र को आपने जिस तरीके से, जितनी दफ़ा, उलट कर, पलट कर, घुमा कर, फ़िरा कर देखा है वो आपकी रचना, आपके उत्तर, प्रतिउत्तर में स्पष्ट रूप से दिख रहा है. बस कहिये, कि मजा आ रहा है.

यहां एक बात मुझे अवश्य लगती है कि इस प्रतियोगिता की आत्मा इसके चित्र में है. सारे प्रतियोगी उसी चित्र से प्रेरणा लेते है और अपने विचार को प्रकट करते हैं. फ़िर वो चित्र कैसे आया, क्यों आया, कौन लाया, आदि प्रश्नों का मतलब नहीं रह जाता है,  भले ही वो चित्र फ़ोटोशाप से ही तैयार किया गया हो, फ़िर भी उसकी महत्ता तात्कालिक प्रतियोगिता के लिये किसी तरह से कम नहीं हो सकती. ये न तो न्यूज चैनल है, न फ़ोटोग्राफ़ी की प्रतियोगिता. जो कुछ भी है वो चित्र है और इसी पर रचना देनी है. क्यों ना हम इसी चित्र के साथ अपने विचार-प्रवाह को प्रवाहित होते रहने दे...

सादर

जी, महोदय ।

प्रस्तुत 10 कुंडलियाँ अलग अलग विषय पर हैं-सभी कुंडलियों पर ध्यान देने की जरुरत है ।।

यह कुंडली असम की घटना से प्रेरित है, जिसमें प्राकृतिक आपदाओं में मरे लोगों के शव दिखाकर पूरे देश में गलत सन्देश दिए गए । मीडिया की भूमिका पर सवाल किया गया है-

कसम से, फोटोग्राफर विशेष से मेरा तात्पर्य नहीं है ।

सादर ।।

आप मुझसे बहुत बड़े हैं आदरणीय रविकरजी.  आपके पास अवश्य ही विशाल अनुभव है. आप काव्य -कला में माहिर भी दीख रहे हैं. लेकिन खेद है कि आपके उत्तर से मेरे जैसा अदना पाठक जो पद्य रचनाओं का केवल पाठक है तनिक भी संतुष्ट नहीं हुआ.

आप इस आयोजन के चित्र पर ही दृष्टि रखिये न. नहीं तो प्रस्तुतियों और उत्तरों में भटकाव और अव्यवहार की स्थिति बन जायेगी. कहाँ असम की घटनाएँ और कहाँ यह चित्र पर आधारित प्रतियोगिता ?

सादर अनुरोध है कि मुझ अनुज की बातों को उसी संदर्भ में लेंगे जिसमें हमने कहने की कोशिश की है. मैं भी इस मंच पर नया-नया गद्य लिखना शुरु किया हूँ. 

नहीं हुआ संतोष आपको , उत्तर पर शंका है बाक़ी ।

फोटोग्राफर के शुभ चिन्तक , माफ़ करो मेरी चालाकी ।

 

एस एम् वर्मा माफ़ करो, बेमतलब आरोप लगाया  -

इंस्पेक्टर-श्रम भी माफ़ करो, बिन अंकुश जो बुद्धि हांकी ।

बिटिया के हे मातु-पिता सुन, मैं ही  हूँ  इसका अपराधी -

माफ़ करो हे दर्शक गन सब, माफ़ करो हे काका काकी ।

निकट-दृष्टि  की दोषी आँखे, मन में मेरे मैल  भरी है -

सत्ताधीशों माफ़ करो सब, कान पकड़ कर मैंने ना की ।।

फोटोग्राफर के शुभ चिन्तक, माफ़ करो मेरी चालाकी । 

क्या क्या सोच है ?  क्या लिख रहे हैं आप ? हाः ! हम तो आयोजन के शुभचिंतक हैं, भाई.

फिर किसी श्रद्धेय और विद्वान का शुभचिंतक होना गुनाह है क्या ? 

सादर

आदरणीय आप इसी को मेरी रचना माने -

आपके लिए शेष रचनाएं वापस लेता हूँ-

झाड़ू देती बालिका, पुरुष देखते तीन ।

बक्से पर बालक दिखा, महिला चार प्रवीन ।

महिला चार प्रवीन, तीन खम्भे भी दीखे ।

इक पाइप इक गटर, गोद में बच्ची चीखे ।

सुटके चुटके ग्लास, पड़ी पन्नी कुछ फाड़ू ।

नेम प्लेट दो डोर, दंड में बाँधा झाड़ू ।।

बहुत खूब ! वाह वाह !! 

 बैठा है चारों तरफ , कुंडलियों में  साँप| 

अदभुत भाषा बोलते ,कहीं हँसी संताप|| 

कविता में खिचड़ी पके ,प्रेमी जन है खाय|

रविकर समझे जो गुनी ,बार बार परसाय||

आदरणीय रविकर जी 

आपकी रचना को सादर समर्पित 

बाजी हारे बाप तो, करे आक्रमण बाज ।
बाज बाज आते नहीं, लोक लाज नाराज ।
लोक लाज नाराज, नराधम नजर गड़ाते ।
मज़बूरी का लाभ, हमेशा रहे उठाते ।
दृष्टि -दोष स्वीकार, कहे है रविकर *पाजी ।
किया नहीं है मित्र, कदाच बहानेबाजी ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आभार आ. अमित जी "
1 minute ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"दोस्तो आदाब, तबीअत ख़राब होने के कारण इस आयोजन में शिर्कत नहीं  कर पा रहा हूँ, माज़रत  ।"
7 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"२१२२ १२१२ २२ यूँ ख़ुमारी के सँग बला भी थी आँख में नींद थी निशा भी थी /१ ये जो चूके हैं हम निशाने…"
15 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"साइट में कुछ तकनीकी समस्या के कारण 'सुरेन्द्र इंसान' अपनी ग़ज़ल मंच पर पोस्ट नहीं कर पा रहे…"
19 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत खूब आदरणीय निलेश भाईअच्छे अशआर हुए हैं, हार्दिक बधाई आपको। गिरह खूब लगी है। मित्रता…"
35 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब  ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। 2122 1212…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"शुक्रिया अमित भाई "
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"2122    1212    22/112 दास्ताँ प्यार फ़लसफ़ा भी थी  और फ़साना वफ़ा दुआ भी…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय जी आदाब, ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"क्या बिहतरीन है इस ग़ज़ल में?"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आ. अजय जी,इस मंच पर आने से पहले मुझे एक मिश्रा भी बहर में कहना नहीं आता था .. इसी प्रकार की चर्चाएँ…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service