For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-137

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 137वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा जनाब खुमार बाराबंकवी साहब की गजल से लिया गया है|

"ये कहाँ पहुँच गए हम तिरी बज़्म से निकल के "

  1121          2122           1121           2122 

 

 फ़इलातु          फ़ाइलातुन    फ़इलातु  फ़ाइलातुन

बह्र:  रमल मुसम्मन् मशकूल

 

रदीफ़ :-  के
काफिया :- अल(निकाल, संभाल, चल, ग़ज़ल, ढल आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 26 नवंबर दिन शुक्रवार  को हो जाएगी और दिनांक 27 नवंबर  दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 26 नवंबर दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 3418

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय दयाराम जी, नमस्कार

अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार कीजिए।

धामी जी से सहमत हूँ, देखियेगा।

सादर

धन्यवाद रिचा यादव जी।

आदरणीय दयाराम जी, आपके प्रयास पर हार्दिक बधाइयाँ. 

गुणीजनों, विशेषकर लक्ष्मण जी के कहे का संज्ञान लीजिएगा. 

शुभातिशुभ

तरही ग़ज़ल  :

1121     2122     1121     2122

कि बहार से रही दुश्मनी घर ख़िजा बदल के

वो फिज़ा अभी दहकने लगी रात से दहल के

न खुदा ने ही नवाज़ा  न कृपा हुई किसी की

न चराग़ जल उठे मौज में तीरग़ी निकल के 

जो भुला दिया हमें उसने बहुत बुरा किया है

कि लगे है अब तो मक़तल हो बसर अभी टहल के

जो कहीं मिले कभी तुम तो बहाल दिल भी होगा

कि गुलाब  खिल उठेंगे वो कतार से निकल के 

न खुला ही रास आया न वो रह सका ही मेरा

कि कहानी बन गये हम अपनी  राह से फिसल के

न किसी की आँख का नूर हूँ कोई न भरोसा 

ही वो जीस्त का,  रहा दिल तेरे निकल के 

न बुलाया है मुझे उसने सदा ही कोई आयी

न जवाब कोई आया न वो जाम शाम छल के

न कोई मकाम पाया न किसी के काम आये ( गिरह)

ये कहाँ पहुँच गये हम तिरी बज़्म से निकल के 

न कभी बिसात होगी न लगे सनम मिलेंगे

ये है हाल  अब कि 'चेतन' गिरे अश्क़ आँख ढल के

मौलिक एवम् अप्रकाशित 

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। कई अच्छे असआर हुए हैं । गिरह खूब लगाई है। हार्दिक बधाई स्वीकारें।

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

आदरणीय चेतन जी,नमस्कार

ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार कीजिए।

मतले की लय बाधित लगी,देखियेगा

सादर

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपके कहे पर विद्वद्जन अपनी-अपनी बातें करेंगे. किंतु मेरा सुझाव शिकस्ते ना'रवा दोष की ओर सचेत रहने का होगा. 

जय-जय 

1121 2122 1121 2122
तुझे देखने ही आए तेरे पास हम तो चल के
कभी सामने हमारे तू भी घर से आ निकल के।1

दिखे चाँद जैसा चेहरा तो ये दिल भी होगा रौशन
कटा वक़्त ये हमारा तो चराग़ जैसे जल के।2

किया इंतज़ार बरसों नहीं मिल सका हमें तू
तुझे ढूँढने ये आँसू चले आँख से निकल के।3

लगे ख़ुद को हैं समझने बड़ा होशियार, बच्चे
नहीं एक भी हैं सुनते ये सयाने आजकल के।4

रहे ढूँढते तुझे हम न मिला कहीं मुझे तू
"ये कहाँ पहुँच गए हम तेरी बज़्म से निकल के"5

भले जेब रहती ख़ाली बड़ा दिल मगर है उनका
रहे वो नवाब जैसे इन्हीं गुरबतों में पल के।6

तेरे वास्ते है करती "रिया" शायरी हमेशा
तेरी दाद को हैं तरसे सभी शे'र ये ग़ज़ल के।7

मौलिक व अप्रकाशित

आ. रिचा जी, अभिवादन। तरही मिसरे पर बड़ी खूबसूरत गजल हुई है । हार्दिक बधाई। 

मक्ते के लिए अतिरिक्त बधाई स्वीकारें।

आदरणीय

बहुत शुक्रियः आपका।

सादर

आदरणीय

बहुत शुक्रियः आपका

सादर

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
5 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service