For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक दोहा गज़ल - प्रीत - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर'

एक दोहा गज़ल - प्रीत -(प्रथम प्रयास )

छूट गयी जब  से  यहाँ, सहज  प्रेम की रीत
आती तन की वासना, बनकर मन का मीत।१।
*
चलते फिरते तन करे, जब  तन से मनुहार
मन को तब झूठी लगे, मन की सच्ची प्रीत।२।
*
एक समय जब स्नेह में, जाते थे जग हार
आज सुवासित वासना, चाहे केवल जीत।३।
*
भरे सदा ही  प्रीत ने, ताजे तन मन घाव
प्रेम रहित जो हो गये, खोले घाव अतीत।४।
*
मण्डी जब  से  देह को, कर  बैठे हैं लोग
मन से मन के मध्य में, आ पसरी है शीत।५।
*
हुआ वासनामय अगर, देता नित ढब कष्ट
प्रीत भरी हो तो सहज, जीवन जाता बीत।६।
*
जीवन का प्रासाद है, टिका कर्म की नींव
उससे ही पथ प्रीत का, होता सदा प्रणीत।७।
*
कर्म कलंकित जो  करे, जग  से पाता द्वेष
स्नेह जगत में पा गया, जिसके कर्म पुनीत।८।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 558

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 15, 2021 at 6:51pm

आ. भाई अमीरुद्दीन जी मैंने आपकी टिप्पणी को सही परिप्रेक्ष में पढकर ही उसकी व्याख्या की । आपकी बात को कटा नहीं । आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ। सादर..

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 15, 2021 at 6:27pm

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी, लगता है आपने मेरी टिप्पणी को ध्यान से नहीं देखा है, मुझे आपकी उक्त पंक्ति का वाक्य विन्यास ठीक लगा था तभी तो निवेदन किया था कि 

''इस पंक्ति में वासना शब्द स्त्रीलिंग है// जनाब समर कबीर साहिब (की इस बात) से सहमत हूँ लेकिन 'मीत' शब्द पुल्लिंग है। उम्मीद है कि बात स्पष्ट हुई हो।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 15, 2021 at 12:15pm

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद। मतले के इंगित मिसरे में आपका कहना उचित है कि वासना शब्द स्त्रीलिंग है, किन्तु
-सम्बन्ध कारक की विभक्ति अपने बाद वाली संज्ञा के लिंग के अनुसार प्रयुक्त होते देखी गई है,जैसे-राम का बेटा,राम की बेटी आदि।'तन की वासना 'में वासना के अनुसार 'की' का प्रयोग हुआ है।उसी तरह 'मन का मीत' में मीत के अनुसार। सादर...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 15, 2021 at 12:12pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, सराहना व स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद। इंगित मिसरे में आपका कहना उचित है कि वासना शब्द स्त्रीलिंग है, किन्तु
-सम्बन्ध कारक की विभक्ति अपने बाद वाली संज्ञा के लिंग के अनुसार प्रयुक्त होते देखी गई है,जैसे-राम का बेटा,राम की बेटी आदि।'तन की वासना 'में वासना के अनुसार 'की' का प्रयोग हुआ है।उसी तरह 'मन का मीत' में मीत के अनुसार। इसलिए मेरे हिसाब से यह मिसरा सही है। बाँकी आ. भाई सौरभ जी की राय की प्रतीक्षा है। सादर...

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 14, 2021 at 8:30pm

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी रचना हुई है बधाई स्वीकार करें।

//'आती तन की वासना, बनकर मन का मीत'

इस पंक्ति में वासना शब्द स्त्रीलिंग है//  जनाब समर कबीर साहिब से सहमत हूँ लेकिन 'मीत' शब्द पुल्लिंग है। सादर। 

Comment by Samar kabeer on September 14, 2021 at 8:10pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, दोहा ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'आती तन की वासना, बनकर मन का मीत'

इस पंक्ति में वासना शब्द स्त्रीलिंग है,यूँ कहें:-

आती तन की वासना, बनकर मन की मीत'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
12 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
13 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
13 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
14 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
15 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
24 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service