For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक दोहा गज़ल - नज़रें

एक दोहा गज़ल - नज़रें -(प्रथम प्रयास )


नज़रें मंडी हो गईं, नज़र बनी बाज़ार ।
नज़र नज़र में बिक गया, एक जिस्म सौ बार।
*
नजरों को झूठी लगे, अब नजरों की प्रीत ,
हवस सुवासित अब लगे, नजरों की मनुहार ।
*
नजरों से छुपती नहीं , कभी नज़र की बात ,
नजरें करती हैं सदा, नजरों से व्यापार ।
*
भद्दा लगता है बड़ा ,काजल का शृंगार ,
लुट जाता है जब कभी ,नजरों का संसार ।
*
कह देती है हर नज़र , अन्तस की हर बात ,
कहीं नज़र की जीत है, कहीं नज़र की हार ।।

सुशील सरना / 31-8-21

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 542

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chetan Prakash on September 10, 2021 at 4:51pm

नमस्कार,  भाई सुशील सरना  जी, दोहा ग़ज़ल  का आपका  प्रयास  अच्छा  ही कहा जाएगा, आपको  इस  हेतु  बधाई  ! लेकिन  दूसरा  दोहा संशोधन  चाहता  है, दूसरा ( सानी ) मिसरा  भाव से विरोधी है , देखिएगा ! सादर   !

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 10, 2021 at 10:25am

बहुत शानदार सृजन है आदरणीय...बधाई

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 7, 2021 at 8:54am

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ, दूसरे शे'र पर जनाब सौरभ पाण्डेय जी से सहमत हूँ।  सादर।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 6, 2021 at 11:49pm

आपने मुग्ध कर दिया आदरणीय सुशील सरना जी. 

सशक्त प्रयास के लिए हार्दिक धन्यवाद. 

दूसरे शेर में अब का दो बार आना तनिक खल रहा है. इस शेर को आप कहीं बेहतर कर सकते हैं. बाकी सभी, पुन: कहूँ, सशक्त हैं. 

Comment by Samar kabeer on September 6, 2021 at 6:26am

जनाब सुशील सरना जी आदाब, दोहे की बह्र पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on September 4, 2021 at 8:41pm
आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार
Comment by मनोज अहसास on September 3, 2021 at 12:01am

दोहा गजल के लिए अच्छा प्रयास हुआ है आदरणीय बहुत-बहुत आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
47 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
15 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service