For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर सफ़े का हिसाब बाकी है- ग़ज़ल

2122 1212 22/112

देख लीजे ज़नाब बाकी है,
हर सफ़े का हिसाब बाकी है।

जब तलक इंतिसाब बाकी है,
तब तलक इंतिहाब बाकी है।

बर्क़-ए-शम से मिच मिचाए क्यों,
आना जब आफ़ताब बाकी है?

चंद अल्फ़ाज पढ़ के रोते हो,
पढ़ना पूरी क़िताब बाकी है।

रौंदने वाले कर लिया पूरा,
अपना लेकिन ख़्वाब बाकी है।

'बाल' अच्छा कहाँ यूँ चल देना,
जब कि काफ़ी शराब बाकी है।

---
इंतिसाब: उठ खड़े होना।
इंतिहाब: लूटना, डाका डालना, लुटना।
बर्क़-ए-शम: दीप की चमक।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 662

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 27, 2021 at 11:48pm

// सँभवतः मैनें ये शब्द रेख़्ता पर देखें हैं। और वहीं से इनका अर्थ लिय्या है//

रेख़्ता पर अधिकतर जानकारी ग़लत दी हुई है,उस पर भरोसा न किया करें । 

//मंसूब करना का अर्थ मैं नहीं समझ पाया//

'मंसूब' का अर्थ होता है समर्पित करना ।

'अपना लेकिन ख़्वाब बाकी है'

इस मिसरे को यूँ कहें:-

'अपना लेकिन ये ख़्वाब बाक़ी है'

'ख़्वाब' लिखा ऐसे जाता है,लेकिन पढा 'ख़ाब' जाता है,और इसका वज़्न 21 होता है,उम्मीद है समझ गए होंगे ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 26, 2021 at 10:58pm

आदरणीय समर कबीर सर सादर नमन, आपके मार्गदर्शन के लिए सादर हार्दिक आभार सर। सँभवतः मैनें ये शब्द रेख़्ता पर देखें हैं। और वहीं से इनका अर्थ लिय्या है। मंसूब करना का अर्थ मैं नहीं समझ पाया। सफ़हे को सफ़ा बह्र में लाने केलिए लिखा ऐसे ही ख्बाब को ख़वाब लिखने की कोशिश की, यदि ऐसा करना गलत है तो फिर मुझे इन खयालात को ऐसे गजल में कैसे बांधना होगा या फिर् खारिज करना होगा, कृपया मार्गदर्शन करें।

Comment by Samar kabeer on March 24, 2021 at 7:59pm

जनाब सतविन्द्र कुमार राणा जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करे ।

'हर सफ़े का हिसाब बाकी है'

इस मिसरे में 'सफ़े' शब्द ग़लत है सहीह शब्द है "सफ़हे", देखियेगा ।

'जब तलक इंतिसाब बाकी है,
तब तलक इंतिहाब बाकी है'

इस मतले में 'इंतिसाब' का अर्थ आपने ग़लत लिखा और लिया है, इसका अर्थ है 'मंसूब करना'और 'इंतिहाब' शब्द मेरे लिये नया है,ये किस भाषा का है?

 'बर्क़-ए-शम से मिच मिचाए क्यों'

ये मिसरा बह्र में नहीं है,और 'बर्क़-ए-शम' शब्द आपने कहाँ से लिया है?

'अपना लेकिन ख़्वाब बाकी है'

ये मिसरा बह्र में नहीं है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service