For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( सोचता हूँ आज तक ग़ज़लों से क्या हासिल हुआ..)

(2122 2122 2122 212)

सोचता हूँ आज तक ग़ज़लों से क्या हासिल हुआ
पहले से बीमार था दिल दर्द भी शामिल हुआ

जब तलक घुटनों के बल चलता रहा था ख़ुश बहुत
आ पड़ा ग़म सर पे जब से दौड़ के क़ाबिल हुआ

ज़िंदगी में तुम नहीं थे इक अधूरापन-सा था
जब से आए हो ये लगता है कि मैं कामिल हुआ

चलते-चलते लोग कहते हैं सफ़र आसान है
ज़िंदगानी में सरकना भी बहुत मुश्किल हुआ

वो शरीक-ए-ग़म है अब मैं क्या कहूँ तारीफ़ में
चोट लगती है मुझे वो जब कभी घाइल हुआ

जब कभी आया है सुख भी घर की चौखट पर मेरे
चोरी-चोरी दुख भी 'सालिक' चुपके से दाखिल हुआ

*मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 778

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सालिक गणवीर on July 30, 2020 at 12:55pm

भाई सुरेंद्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.

Comment by नाथ सोनांचली on July 30, 2020 at 11:19am

आद0 सालिक गणवीर जी सादर अभिवादन। शानदार ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद पेश करता हूँ।

Comment by सालिक गणवीर on July 27, 2020 at 3:24pm

आदरणीया डिंपल शर्मा जी
नमस्कार

ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.

Comment by Dimple Sharma on July 27, 2020 at 11:57am

आदरणीय सालिक गणवीर जी नमस्ते, बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है आदरणीय बधाई स्वीकार करें विशेषकर पाँचवा शेर तो कमाल हुआ है वाह क्या कहने।

Comment by सालिक गणवीर on July 22, 2020 at 6:41am

आदरणीय भाई बसंत कुमार शर्मा जी
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और सराहना के लिए ह्रदय से आभार.

Comment by सालिक गणवीर on July 22, 2020 at 6:40am

आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर'साहिब
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और सराहना के लिए ह्रदय से आभार.

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 22, 2020 at 12:27am

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, इस शानदार ग़ज़ल पर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 21, 2020 at 8:39pm

आदरणीय सालिक गणवीर जी सादर नमस्कार 

बेहतरीन ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद आपको 

Comment by सालिक गणवीर on July 21, 2020 at 3:25pm

आदरणीय रवि शुक्ला जी

सादर अभिवादन

ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और हौसला अफ़जाई के लिए आपका हार्दिक आभार.

Comment by सालिक गणवीर on July 21, 2020 at 3:23pm

भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

सादर अभिवादन

ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और सराहना के लिए सादर आभार.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
7 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
11 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service