For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सेज पर बिछने को होते फूल जैसे पर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/२१२२/२१२२/२


हम जरूरत के लिए विश्वास जैसे हैं
नाम पर सेवा के लेकिन दास जैसे हैं।१।
**
सेज पर बिछने को होते फूल जैसे पर
वैसे पथ के  पास  उगते  घास जैसे हैं।२।
**
है हमारा मान केवल जेठ जैसा बस
कब  तुम्हारे  वास्ते  मधुमास जैसे हैं।३।
**
दूध लस्सी  धी  दही  कब  रहे तुमको
कोक पेप्सी से बुझे उस प्यास जैसे हैं।४।
**
रोज हमको हो निचोड़ा आपने लेकिन
स्वेद भीगे हर  किसी  अहसास जैसे हैं।५।

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 19, 2020 at 9:53am

आ. भाई सुरेन्द्र नाथ जी, सादर अभिवादन । आपको गजल अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है । उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 19, 2020 at 9:52am

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 19, 2020 at 9:50am

आ. भाई बसंत कुमार जी, सादर अभिवादन । आपको गजल अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है । उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by नाथ सोनांचली on July 18, 2020 at 4:30pm

आद0लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर'जी सादर अभिवादन। अच्छी ग़ज़ल हुई है। दाद के साथ मुबारकवाद पेश करता हूँ।

Comment by सालिक गणवीर on July 18, 2020 at 9:39am

भाई लक्ष्मण धामी' मुसाफिर '

सादर प्रणाम

एक और उम्दा ग़ज़ल हुई है, दाद और मुबारकबाद क़ुबूल करें. सादर.

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 17, 2020 at 9:35pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार

।बेहतरीन गज़ल।

आनंद आ गया 

बधाई आपको 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2020 at 5:24pm

आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । आपकी उपस्थिति व उत्साहवर्धन से लेखन सफल हुआ । इसके लिए हार्दिक आभार ।

कमियों की ओर ध्यान दिलाने हेतु पुनः आभार ।

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on July 16, 2020 at 12:39pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' भाई, अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें।


/दूध लस्सी  धी  दही  कब  रहे तुमको/
भाई, इस मिस्रे में कोई लफ़्ज़ (शायद 'दे') छूट गया है, और 'धी' को 'घी' कर लीजिये।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 15, 2020 at 8:54am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 14, 2020 at 11:09am

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी।बेहतरीन गज़ल।

रोज हमको हो निचोड़ा आपने लेकिन
स्वेद भीगे हर  किसी  अहसास जैसे हैं।५।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service