For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मापनी 

२२१२ १२१२ ११२२ १२१२ 

 

प्यारी सी ज़िंदगी से न इतने सवाल कर,

जो भी मिला है प्यार से रख ले सँभाल कर. 

 

तदबीर के बग़ैर  तो मिलता कहीं न कुछ, 

सब ख़ाक हो गए यहाँ सिक्का उछाल कर.

 

पहले से कम नहीं हैं हमारी मुसीबतें, 

फिर से कोई नया तू खड़ा मत वबाल कर.

 

दिल में जगह बचे न अगर ख़ुद के ही लिए,  

इतने कभी रखो न वहम मन में पाल कर. 

 

शिकवा-गिला किया न ज़माने के सामने,

अपना ख़याल  कर कभी उनका ख़याल कर. 

 

मुरझा रहे हैं फूल तो कलियाँ उदास हैं, 

ख़ुश्बू मेरे चमन की तू फिर से बहाल कर. 

 

कैसे न हो यक़ीन  तेरी बात पर ‘बसंत’ 

तूने तो रख दिया है कलेजा निकाल कर.


"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 6, 2020 at 4:14pm

 आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' जी सादर नमस्कार, आपकी हौसलाअफजाई और मार्गदर्शन का दिल से शुक्रिया 

नुक्ते लगाना सही में छूट गया ध्यान नहीं गया, ठीक कर लेता हूँ और बह्र भी लिख देता हूँ 

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on July 6, 2020 at 2:18pm

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा साहिब, बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने, इस पर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल करें। हुज़ूर, अगर आप बह्र भी लिख दें तो इस मंच पर सीखने वालों को आसानी होगी। कुछ अलफ़ाज़ में नुक़्ते छूट गए हैं, जैसे: बग़ैर, ख़ाक, ख़ुद, ख़याल, ख़ुश्बू, और यक़ीन।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

AMAN SINHA posted blog posts
1 hour ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212सही सही बता है क्याभला है क्या बुरा है क्यान इश्क़ है न चारागरतो दर्द की दवा है क्यालहू सा…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
दिनेश कुमार posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service