For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"नहीं! मैं नहीं दूंगी अपने 'गणेशा' को।" विसर्जन के समय बेटी के हठी जवाब से मेरे सामने एक अजीब स्थिति आ खड़ी हुयी।  
                   पता नहीं ये मेरा अपनी बेटी के प्रति प्रेम था या उसकी बालहठ, कि मैं अपनी पारंपरिक मान्यताओं से आगे बढकर अपने घर पर गणपति जी की स्थापना के लिए तैयार हो गया और न केवल ५-७ दिन, बल्कि पूरे ११ दिन गणपति जी हमारे घर में विराजमान रहे। इसी बीच हर दिन बेटी का गणेशजी के साथ एक छोटे बच्चे की तरह प्यार जताना और उसकी उनकी देखभाल करना हमारे लिए एक उत्सव की तरह हो गया था। लेकिन आज विसर्जन की बेला में उसके इस तरह जिद्द करने से मैं विकट स्थिति में फंस गया था। उपस्थित मित्रगण अपने-अपने विचार रख रहे थे।
"रोने दो भाई। आप प्रतिमा लेकर विसर्जन के लिए चलो, देर हो रही है। बच्ची है, हो जाएगी चुप थोड़ी देर में....।"
"नही भाई, मेरे ख़याल से प्रतिमा-विसर्जन रहने ही दो जब इतना लगाव हो गया है बच्ची को बाल गणेशा से।....."
"नहीं बेटा। जब स्थापना की है तो विसर्जन भी आवश्यक है, यही प्रकृति का नियम है। किसी के प्रति उपजे हुए मोह को त्यागना ही तो गणपति विसर्जन का सन्देश है......।"
पिता समान वृद्ध पड़ोसी की बात दिल को छू गयी। उन्हें ये भी लगा कि बेटी से जबरदस्ती ठीक नहीं, यही सोचते हुए उन्होंने बेटी को समझाने का फिर एक प्रयास किया। "देखो तनु, तुम बहुत समझदार बच्ची हो। हमारी बात ध्यान से सुनो, जब हम इन्हें विसर्जित करेंगे तभी तो हम इनसे दुबारा वापिस लौट आने की प्रार्थना कर सकते हैं। क्या तुम नहीं चाहती कि तुम्हारे गणेशाजी वापस फिर से तुम्हारे ही पास आये।"
'"......ठीक है दादू। मैं फिर से गणेशाजी का इन्तजार करूंगी। लेकिन क्या.... ऐसा नहीं हो सकता कि वे मेरे भैया बनकर हमेशा मेरे साथ रहे और मैं रोज उनके साथ खेला करूँ।" बेटी एक प्रश्न के साथ मान गयी थी लेकिन उसकी कही बात मेरे अंदर तक जा लगी।
गणपति-विसर्जन के लिए यात्रा शुरू हो गयी और मेरा मन अनायास ही कुछ सोचने लगा। विसर्जन के बाद मैं "पालना" की ओर जाने का निर्णय कर चुका था..... जहां कई नन्हे-नन्हे गणेशा किसी माँ के आंचल में स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहे थे।

विरेंदर 'वीर' मेहता
"मौलिक, स्वरचित व अप्रसारित"

Views: 700

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 29, 2018 at 7:02pm

बहुत ही खूब वाह..सुन्दर सन्देश को समेटे हुए सार्थक कथा..बधाई

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on September 27, 2018 at 4:31pm

रचना पर आपके स्नेहिल शब्दों के लिए तहे दिल से आभार आदरणीय समर कबीर भाई जी, शुक्रिया...

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on September 27, 2018 at 4:30pm

आदरणीया नीलम जी रचना पर आपकी प्रोत्साहक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार.....

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on September 27, 2018 at 4:29pm

लघुकथा पर आपकी भावभीनी टिप्पणी के लिये हार्दिक आभार आदरणीय सुरेंदर नाथ सिंह जी.

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on September 27, 2018 at 4:29pm

रचना पर आपकी भावभीनी टिप्पणी के लिये आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी। शुक्रिया। 

Comment by Neelam Upadhyaya on September 26, 2018 at 4:09pm

आदरणीय  वीरेंदर वीर मेहता जी, नमस्कार। अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on September 25, 2018 at 8:21pm

आद0 वीरेंदर वीर मेहता जी सादर अभिवादन। बढ़िया मार्मिक लघुकथा हुई है। बहुत बहुत बधाई इस सृजन पर।

Comment by Samar kabeer on September 24, 2018 at 12:18pm

जनाब वीरेन्द्र वीर मेहता जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 24, 2018 at 11:46am

आ. वीरेंद्र मेहता जी, अच्छी कथा हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 23, 2018 at 2:07pm

(संशोधित)

बढ़िया ट्विस्ट्स लेती रचना अंत में बाल-मनोविज्ञान उभारती हुई बेहतरीन सकारात्मक प्रेरक संदेश वाहक अंत तक पहुंचती है।.सामाजिक सरोकार की बेहतरीन रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय वीरेन्द्र वीर मेहता  साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Wednesday
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service