For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संसद भवन के बाहर भूख हड़ताल पर बैठे हुए उन युवाओं को दो महीनों से अधिक का समय हो गया था पर न तो किसी अख़बार में इसकी कोई ख़बर थी और न ही न्यूज़ चैनल्स पर चर्चा। 

“इन बेरोज़गार लौंडों के पास अब कोई काम नहीं रह गया है।” बड़ी-बड़ी मूँछों वाले उस स्थानीय बुज़ुर्ग ने अपने पास खड़े अधेड़ से कहा। “कुछ नहीं मिला तो सरकार को ही बदनाम करने में लग गए।”

“कह क्या रहे हैं ये लोग?” अधेड़ ने जिज्ञासा व्यक्त की।

“कह रहे हैं कि जब देश की जनता भूखों मर रही है तो कोई काजू की रोटी कैसे खा सकता है? कहीं पीने को पानी नहीं है और कुछ लोग बादाम का शर्बत पी रहे हैं? लोकतंत्र में ये कैसे सम्भव है? प्रधानमंत्री इसका जवाब दें।”

“कह तो सही रहे हैं।” अधेड़ को लड़कों की बात में दम दिखा।

“क्या ख़ाक सही कह रहे हैं?” बुज़ुर्ग ग़ुस्सा हो गया। “अरे मेहनत करो और तुम भी खाओ। किसने रोका है? पर ये तो इन चोट्टों से होगा नहीं। ये तो बस व्यवस्था को दोष देंगे और पूँजीपतियों को गरियाएँगे।” संसद भवन की तरफ़ देखते हुए उसने गर्व से अपना सर ऊँचा किया और कहा, “प्रधानमंत्री देश का राजा होता है। अब अगर राजा ही फ़क़ीर की तरह खाये-पिये तो देश की नाक का क्या होगा? वो कट नहीं जाएगी?”

अधेड़ को इस बार बुज़ुर्ग की बात में दम नज़र आया। “समानता की बात मुझे भी बेमानी मालूम देती है। जब हमारे हाथ की उँगलियाँ तक बराबर नहीं हैं तो हम कौन होते हैं समाज में समानता ढूँढने वाले।”

“समझदार आदमी मालूम पड़ते हो।” बुज़ुर्ग ने ख़ुश होते हुए कहा। “समानता तो सिर्फ़ एक चूरन है जो ये क्रान्ति-क्रान्ति चिल्लाने वाले बेचा करते हैं। तुम देख लेना, ये पक्का विरोधी पार्टी से पैसे खा के बैठे हैं। किसानों और मज़दूरों के लौंडे पढ़ाई-लिखाई के बहाने शहरों में आ कर क्या करते हैं मैं अच्छे से जानता हूँ। अगर अच्छा पैसा मिले तो ये साले ज़हर भी खा जाएँ।”

काफ़ी देर तक उनके बीच इसी तरह बातचीत होती रही और फिर वो वहाँ से चले गए।

इतने दिनों की भूख हड़ताल में अधिकांश युवा दम तोड़ चुके थे, बचे थे तो सिर्फ़ जतिन दा और भगत सिंह। आज उन्होंने भी दम तोड़ दिया। न तो उन्हें प्रधानमंत्री की तरफ़ से कोई जवाब मिला और न ही उनके द्वारा उठाए गए सवालों पर जनता का समर्थन।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 644

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 29, 2018 at 1:19pm

आदरणीय महेंद्र जी मुखर चिंतन के साथ हकीकत को बयान करती शानदार रचना हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Mahendra Kumar on June 26, 2018 at 10:37pm

नमस्कार आदरणीया नीलम जी। रचना पर अपना अमूल्य समय दे कर टिप्पणी करने के लिए आपका हृदय से आभार। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर। 

Comment by Mahendra Kumar on June 26, 2018 at 10:35pm

सादर आदाब आदरणीय समर कबीर सर। लघुकथा पसन्द करने के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर। 

Comment by Mahendra Kumar on June 26, 2018 at 10:34pm

धन्यवाद आदरणीय तेज वीर सिंह जी। हार्दिक आभार। सादर। 

Comment by Mahendra Kumar on June 26, 2018 at 10:33pm

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी। हृदय से आभारी हूँ। सादर। 

Comment by Neelam Upadhyaya on June 26, 2018 at 2:21pm

आदरणीय महेंद्र कुमार जी, नमस्कार।  बधाई स्वीकार करें अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति के लिए ।   

Comment by Samar kabeer on June 26, 2018 at 12:14pm

जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,बहतरीन लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 26, 2018 at 6:11am

हार्दिक बधाई आदरणीय महेंद्र कुमार जी।बेहतरीन संदेश प्रद लघुकथा।सम सामयिक विषय पर अच्छा प्रयास।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 25, 2018 at 7:44pm

बेहतरीन उम्दा और विचारोत्तेजक सृजन। हार्दिक बधाई जनाब महेंद्र कुमार साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service